
mahashivratri 2018 shubh muhurat chauragarh mahadev pachmarhi
भोपाल। मध्यप्रदेश में सतपुड़ा के ऊंचे पहाड़ पर विराजे हैं भोलेनाथ। इस स्थान पर लाखों त्रिशूल नजर आते हैं। बारह माह श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। पचमढ़ी में साल में दो बड़े मेले लगते महाशिवरात्रि पर चौरागढ़ मंदिर और नागपंचमी पर नागद्वारी गुफा में विराजे भोले शंकर के दर्शन पूजन के लिए लाखो श्रद्धालु उपस्थिति दर्ज कराते है। भोले के भक्त एक क्विंटल तक वजनी त्रिशूल को अपने कांधे पर लेकर चौरागढ़ मंदिर तक पहुंच जाते हैं।
mp.patrika.com महाशिवरात्रि के मौके पर आपको बता रहा है ऐसा शिवालय जहां भोले को त्रिशूल चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं और मनोकामना भी पूरी कर देते हैं...।
यहां के पहाड़ पांच मढ़ियों से मिलकर बने हैं इसलिए इसका नाम पचमढ़ी है। पचमढ़ी की वादियों में बसे चौरागढ़ पहाड़ पर चढ़ाई आसान नहीं है। यह समुद्री सतह से करीब 4200 फीट ऊंचाई पर है। यहां पर कई प्राचीन गुफाएं और शैलचित्र हैं
ऐसी मान्यता है...
शिवजी है बहनोई, पार्वती है बहन और गणेश हैं भांजे
-माता पार्वती ने महाराष्ट्र में एक बार मैना गौंडनी का रूप धारण किया था। इस वजह से महाराष्ट्र के वाशिंदे माता को बहन और भोलेशंकर को बहनोई और भगवान गणेश को भांजा मानते हैं।
-एक किवदंती यह भी प्रचलित है कि भस्मासुर से बचने भोले शंकर ने चौरागढ़ की पहाडिय़ों में शरण ली थी।
इसलिए चढ़ाते हैं त्रिशूल
बताया जाता है कि चौरा बाबा ने वर्षों पहाड़ी पर तपस्या की, जिसके बाद भगवान ने उन्हें दर्शन दिए और कहा कि बाबा के नाम से यहां भोले जाने जाएंगे। तभी से पहाड़ी की चोटी का नाम बाबा के नाम पर चौरागढ़ रखा गया। इस दौरान भोलेनाथ अपना त्रिशूल चौरागढ़ में छोड़ गए थे। उस समय से यहां त्रिशुल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई है।
साल भर पूजते है शिव का त्रिशूल
मेले में त्रिशूल लेकर मंदिर आने जाने वाले भक्तो के अनुसार भोले शंकर से मन्नत मांगने के बाद उनके नाम का त्रिशूल घर ले जाते है साल भर त्रिशूल का पूजन घर में करते है। महाशिवरात्रि पर त्रिशूल कांधे पर रखकर पैदल भोले शंकर के दरबार पहुंच कर त्रिशूल अर्पित करते है भक्तों की मन्नत भोले शंकर पूरी करते है।
दूर-दूर से पैदल आते हैं श्रद्धालु
यहां हर साल महाशिवरात्रि के मेले के दौरान छिंदवाड़ा, बैतूल, पांडुरना और महाराष्ट्र की सीमा से लगे गांवों के लोग बड़ी संख्या में पैदल ही पचमढ़ी चले आते हैं। वे साथ में त्रिशूल भी लाते हैं, जो भोलेनाथ को अर्पित करते हैं। यही कारण है कि अब चौरागढ़ पहाड़ी पर असंख्य त्रिशूल नजर आते हैं।
कैसे पहुंचे
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से यह स्थान 200 किलोमीटर दूर है। पचमढ़ी जाने के पिपरिया से मटकुली के रास्ते 47 किमी की दूरी तय करना पड़ती है। यहां टेढ़ेमेढ़े रास्ते लोगों को रोमांचित करते हैं।
पिपरिया है नजकीती रेलवे स्टेशन
पचमढ़ी जाने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन पिपरिया और इटारसी है। इसके अलावा निकटतम हवाई अड्डा भोपाल है। पचमढ़ी भोपाल, इंदौर, पिपरिया, नागपुर से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। भोपाल से टैक्सी से भी जाया जा सकता है।
यहां ठहरें
पचमढ़ी में ठहरने के लिए वैसे तो काफी होटल हैं, लेकिन यहां पर्यटकों के लिए मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम के होटल भी हैं। इसके अलावा कुछ सस्ते होटल भी हैं, जहां ठहरा जा सकता है।
कहां घूमें
पचमढ़ी में घूमने के लिए कई स्पॉट हैं, यहां घूमने के लिए जिप्सी से जाना पड़ता है।
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Published on:
10 Feb 2018 06:00 am
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