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पत्रकारिता से राजनीति में आए थे मोतीलाल वोरा, 3 साल रहे मध्य प्रदेश के सीएम, जानिये सियासी सफर

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा का सोमवार को निधन हो गया। पत्रकारिता के क्षेत्र से राजनीति में आकर उन्होंने एक लंबी सियासी पारी खेली।

भोपालDec 21, 2020 / 10:28 pm

Faiz

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पत्रकारिता से राजनीति में आए थे मोतीलाल वोरा, 3 साल रहे मध्य प्रदेश के सीएम, जानिये सियासी सफर

भोपाल/ मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा का सोमवार को निधन हो गया है। मोतीलाल वोरा पत्रकारिता के क्षेत्र से राजनीति में आए और यहां उन्होंने एक लंबी सियासी पारी भी खेली। 2 दिन पहले तबीयत बिगड़ने पर उन्हें फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां 93 साल की उम्र में सोमवार को उन्होंने अंतिम सांस ली। बता दें कि, रविवार को ही उन्होंने अपना 93वां जन्मदिन मनाया था।

 

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प्यार से लोग पुकारते थे दद्दू

देश के दिग्गज राजनीतिज्ञों में शुमार मोतीलाल वोरा अपने जीवन के आखिरी दस सालों में भी राजनीति में खासा सक्रीय रहे। कांग्रेस पार्टी में उन्होंने दो दशक तक कोषाध्यक्ष रहने के अलावा अहम जिम्मेदारी निभाई। मोतीलाल वोरा को लोग प्यार से दद्दू कहकर बुलाते थे और उनके बारे में मशहूर था कि बतौर कोषाध्यक्ष उन्होंने पार्टी की पाई पाई का हिसाब रखा और एक पैसे को भी कहीं फिजूल खर्च नहीं होने दिया।


1970 में मध्य प्रदेश विधानसभा से चुनाव जीतकर राज्य सड़क परिवहन निगम के उपाध्यक्ष नियुक्त किए गए। 1977 और 1980 में दोबारा विधानसभा में चुने गए और उन्हे 1980 में अर्जुन सिंह मंत्रिमंडल में उच्च शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी संभाली। मोतीलाल वोरा 1983 में कैबिनेट मंत्री बने और मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में भी नियुक्त हुए। इसके बाद 13 मार्च 1985 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और करीब तीन साल इस पद की जिम्मेदारी संभालने के बाद 13 फरवरी 1988 तक इस पद पर रहे। इस दौरान मध्य प्रदेश के विकास में उनका अहम योगदान रहा।


इसके बाद उन्होंने इस्तीफा देकर 14 फरवरी 1988 में केंद्र के स्वास्थ्य परिवार कल्याण और नागरिक उड्डयन मंत्रालय का कार्यभार संभाला। अप्रैल 1988 में मोतीलाल वोरा राज्यसभा के लिए चुने गए। हालांकि, उन्हें मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री के तौर पर दूसरी बार जनवरी 1989 से दिसंबर 1989 तक एक बार और जिम्मेदारी मिली थी। 26 मई 1993 से 3 मई 1996 तक उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के पद पर आसीन रहे। मोतीलाल वोरा जब मुख्यमंत्री बने तो उनकी जगह पर दिग्विजय सिंह को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था।

 

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3 साल रहे उत्तर प्रदेश के राज्यपाल

1993 में मोतीलाल वोरा उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के तौर पर जिम्मेदारी संभाली और 3 साल वहां राज्यपाल रहे। उनके राज्यपाल रहते हुए 1995 में यूपी गेस्टहाउस कांड हुआ था, जिसके बाद बीजेपी कार्यकर्ताओं ने राजभवन में धरना दिया था और सपा सरकार को भंग करने की मांग की गई थी। कांग्रेस मुख्यालय में कोई हो या न हो मोतीलाल वोरा रोजाना बदस्तूर पार्टी कार्यालय जरूर जाते थे। 24 अकबर रोड पर कोई भी मदद मांगने वाला या कार्यकर्ता मोतीलाल वोरा से आसानी से मुलाकात कर सकता था।


इसलिये पत्रकारों में भी लोकप्रीय थे मोतीलाल वोरा

पत्रकारिता के क्षेत्र से सियासत में आने वाले मोतीलाल वोरा ने कई बड़े-छोटे अखबारों में काम किया था। इसी वजह से वो पत्रकारों के बीच भी हमेशा लोकप्रिय रहे। उन्हें पत्रकारों की गुगली से बचने की भी खूब महारत हासिल थी। लेकिन अपने जीवन काल में वो कभी किसी विवाद में नहीं पड़े। कई सालों तक पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य करते हुए 1968 में उन्होंने राजनीति में एंट्री की।

 

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गांधी परिवार के बेहद करीबी सदस्य थे वोरा

मोतीलाल वोरा ने कांग्रेस पार्टी के संगठन में भी लंबी पारी खेली थी। उन्हें गांधी परिवार के सदस्य के रूप में ही माना जाता है, वो गांधी परिवार के लिये बेहद वफादार भी थे। 26 जनवरी हो या पार्टी का कोई और कार्यक्रम, मोतीलाल वोरा हमेशा सोनिया गांधी के दाएं बाएं नजर दिख ही जाते थे। वो गांधी परिवार में न सिर्फ सोनिया गांधी और राहुल गांधी बल्कि नरसिम्हा राव के भी बेहद करीबी माने जाते थे।

 

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20 दिसंबर 1927 को राजस्थान के नागौर में हुआ था जन्म

मूल रूप से छत्तीसगढ़ के के निवासी मोतीलाल वोरा ने अपने राजनीतिक जीवन में कई महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएं दी थीं। मोतीलाल वोरा का जन्म 20 दिसंबर 1927 को राजस्थान के नागौर जिले में हुआ था। मोतीलाल वोरा का विवाह शांति देवी वोरा से हुआ था। उनकी चार बेटियां और दो बेटे हैं। उनके बेटे अरुण वोरा दुर्ग से विधायक हैं और वो तीन बार विधायक के रूप में चुनाव जीत चुके हैं।

 

एक दूसरे पर बरसे मंत्री-विधायक, देखें Video

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