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मिक्सिंग मशीन तो बंद, अब हाथ से मिलाते हैं क्लोरीन…

locationभोपालPublished: Feb 25, 2019 10:36:34 am

अधिकारी बोले, मशीन तो ठीक है, चल रही है-लिफ्टिंग प्लांट वाली बंद होगी…

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मिक्सिंग मशीन तो बंद, अब हाथ से मिलाते हैं क्लोरीन…

भोपाल. केरवा वाटर प्लांट से कई दिनों से गंदा पानी आपूर्ति और लोगों के बीमार होने के मामले पर हंगामा हुआ। केरवा वाटर प्रोजेक्ट के प्लांट पर लगी पानी में मिलाई जाने वाली लिक्विड क्लोरीन की यूनिट कई दिनों से बंद पड़ी है।
अधिकारी इसके सही और सुचारु होने का दावा कर रहे हैं, लेकिन मौके पर मौजूदा स्टाफ इस बात की तस्दीक कर रहा है कि मशीन कई दिनों से बंद पड़ी है और वे हाथ से पानी में क्लोरीन मिला रहे हैं।
पत्रिका टीम के स्टिंग में यह खुलासा हुआ। बातचीत से पता चला कि केरवा प्लांट से लिक्विड क्लोरीन मिक्सिंग यूनिट बंद होने और जरूरी मात्रा में एलम न मिलाए जाने से गंदा पानी सप्लाई होता रहा, जिससे लोग बीमार पड़े।
हालांकि, अधिकारी इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं हैं। हंगामा होने के बाद एलम मंगवाकर मात्रा बढ़ाई गई और क्लोरीन भी हाथ से मिलाई जाने लगी, तब जाकर पानी पीने लायक हुआ।
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कोलार रोड की तमाम कॉलोनियों में हजारों लोगों को जलप्रदाय करने वाला संयंत्र असुरक्षित पड़ा हुआ है। अधिकारी इधर झांकने भी नहीं आते। कर्मचारी इधर-उधर गायब रहते हैं, या प्लांट के अंदर ही खाने-पीने में मस्त रहते हैं।
प्लांट पर न बाउंड्री है, न फेंसिंग है और न ही कैमरे आदि की व्यवस्था है। सुरक्षा के लिए तैनात स्टाफ भी इधर-उधर रहता है। ऐसे में कोई अवांछित तत्व अप्रिय वारदात को अंजाम देकर आसानी से निकल सकता है।
कुछ दिन पूर्व केरवा वाटर प्रोजेक्ट का पानी पीने से जब कई लोग बीमार हुए और गंदे पानी की आपूर्ति की शिकायतें आईं तो पत्रिका टीम ने इस प्रोजेक्ट के प्लांट की स्थितियों को स्टिंग किया, जिसमें सुरक्षा की बड़ी चूक सामने आई।
जब टीम यहां पहुंची तो स्टाफ कहीं कोई स्टाफ नहीं दिखाई दिया। पानी चल रहा था, क्लोरीन मशीन बंद पड़ी थी। एलम स्टोर खुला हुआ था। काफी देर तक जोर-जोर से दरवाजे पीटने और चिल्लाने के बाद प्लांट से दो कर्मचारी निकलकर आए, जिनसे रिपोर्टर ने बात की।
प्लांट कर्मचारी से सीधी बात:
रिपोर्टर: पानी के प्लांट पर क्या तुम्हारी ड्यूटी है
कर्मचारी: हां, मेरी ड्यूटी है
रिपोर्टर: क्या नाम है तुम्हारा, कहां के रहने वाले हो?
कर्मचारी: शैतान सिंह, समसपुरा का रहनेवाला हूं।
रिपोर्टर: और इनका क्या नाम है, ये भी प्लांट पर हैं?
कर्मचारी: सगापुर के रहने वाले हैं, प्रताप सिंह मेवाड़ा। यहीं काम करते हैं।
रिपोर्टर: इतने देर से बुला रहे हैं किसी का अता-पता नहीं चल रहा?
कर्मचारी: ऊपर प्लांट में मशीनें चल रहीं, वहां आवाज नहीं पहुंचती।
रिपोर्टर: पानी में कोई कुछ डाल दे, कोई हरकत कर दे तो तुम्हें पता ही नहीं चलेगा?
कर्मचारी: नहीं, चारदीवारी, फेंसिंग या कैमरा अभी तो प्लांट पर कोई सेफ्टी नहीं।
रिपोर्टर: तुम लोग क्या दिन-रात दोनों टाइम रहते हो?
कर्मचारी: नहीं, दिन में। रात में दूसरे दो लोग ड्यूटी करते हैं।
रिपोर्टर: अभी क्या पानी चल रहा हैै, एलम कौन मिलाता है?
कर्मचारी: मैं ही मिलाता हूं। हाथ से डाली जा रही है।
रिपार्टर: और क्लोरीन कौन मिलाता है?
कर्मचारी: क्लोरीन की मशीन कई दिनों से बंद चल रही है। हर आधा घंटे में हाथ से मिलाते हैं। मशीन ठीक करने वाले आए थे, फिर भी ठीक नहीं हुई।

केरवा प्लांट पर अभी सुरक्षा इंतजाम नहीं हैं। बाउंड़ी निर्माण कार्य शुरू किया जाना है। क्लोरीन मशीन बंद नहीं है, चल रही है। प्यूरीफाइड पानी दिया जा रहा है। दिन में वाटर लिफ्टिंग प्लाइंट बंद रहता है, उसका मीटर बंद दिखा रहा होगा।
– इं. आशीष मार्तंड, प्रभारी-केरवा वाटर प्रोजेक्ट
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