2013 में हड़पी जमीन, 2015 से मांग रहा इंसाफ – किसान भार्गव की जमीन खसरा नंबर 1/2 ग 2/5. एक एकड़ 1 डिसमिल को वन विभाग ने साल 2013 में ले लिया था। इसके बदले में दूसरी जगह उतनी ही जमीन देने का वादा भी किया था। मगर आज तक न तो जमीन मिली न मुआवजा। इसे लेकर किसान भार्गव ने साल 2015 में भी लोक सुराज (नगर सुराज) में अपना आवेदन लगाया था। इसका नंबर 12073112140012 है। लेकिन इसका कोई समाधान नहीं निकला। ऐसे लोक सुराज का क्या मतलब जिसमें आप ढोल तो खूब बजाते हो, मगर समाधान नहीं कर पाते।
2017 में भी लोकसुराज में दिया आवेदन – किसान ने अपने आवेदन में लिखा है कि साल 2017 में भी उसने लोकसुराज के तहत इंसाफ के लिए गुहार लगाई थी। इसका आवेदन नंबर 317073121400253 था। मगर इसके बाद भी सरकार के सिर पर जूं नहीं रेंगा।
समाधान नहीं कर सकते तो फांसी लगाने रस्सी दे दो – किसान दिलहरण भार्गव ने अपने आवेदन में अंतिम लाइन में लिखा है कि अगर शासन उनकी समस्या को सुन भी नहीं सकता और समाधान भी नहीं करना चाहता तो मुख्यमंत्री जी कम से कम 2 मीटर रस्सी तो दे ही दीजिए, ताकि किसान फांसी लगाकर अपनी जान दे सके।
अफसर करते हैं मनमानी, सो रहे हैं मुख्यमंत्री – सभी दस्तावेजों के साथ किसान ने बार-बार गुहार लगाई है। लेकिन इसे लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया। कांग्रेस नेता शैलेष पांडे कहते हैं कि सरकार के मुखिया सो रहे हैं। उन्हेें लोगों की जरा भी चिंता नहीं है। किसान परेशान हीं।