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इस वर्ष शुक्रवार को अष्टमी तिथी सूर्योदय से सम्पूर्ण दिन रात रहेगी। इसके बाद अष्टमी तिथी में शीतला मां का पूजन होकर विशेष भोग लगाए। गुरुवार को रात्रि को मां का जागरण और पकवान बनेगे। शुक्रवार को भोग लगाया जाएगा। यह भी पढ़ें
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मान्यता है कि इस दिन शीतला जल का पान शुरू हो जाता है। शीतला का व्रत रखने से दाद ज्वर खुजली फोड़े, नेत्र के समस्त रोग सर्वदोष से दूर होते है। शीतला माता की महत्ता के विषय में स्कंद पुराण में विस्तृत वर्णन मिलता है। ् इसमें उल्लेख है कि शीतला देवी का वाहन गर्दभ है, ये हाथों में कलश, सूप, मार्जन ,झाड़ू और नीम के पत्ते धारण किये है, इनका प्रतीकात्मक महत्व है। यह भी पढ़ें
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वैज्ञानिक दृष्टिकोण- ज्योतिषाचार्य अमित शास्त्री के अनुसार शीतला अष्टमी से शीतल पदार्थो का सेवन शुरू हो जाता है। यह समय ऋतु परिवर्तन का माना जाता है। ठण्ड से गर्मी की शुरूआत हो जाती है। यह भी पढ़ें
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रोजगार नही तो सरकार को तल देगें- पीएम के स्टेटमेंट से भडक़े युवा कांग्रेस कार्यकर्ता, किया विरोध- प्रदर्शन मान्यता है कि शीतला सप्तमी के बाद बासी भोजन का सेवन वर्जित होता है। इस समय दूध, दही, लस्सी फल गन्ना जूस आदि शीतल खाद्य पदार्थो का सेवन करना चाहिए। यह भी पढ़ें