
भारत-न्यूजीलैंड एफटीए से कई सेक्टर्स को बड़ा फायदा होने वाला है। (PC: AI)
India-New Zealand FTA: भारत और न्यूजीलैंड ने मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत सफलतापूर्वक पूरी कर ली है। यह समझौता दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। 9 महीने तक चली गहन बातचीत के बाद इस डील को अंतिम रूप दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन से फोन पर बातचीत की और दोनों नेताओं ने संयुक्त रूप से इस समझौते के सफल निष्कर्ष की घोषणा की है। इस समझौते पर अगले तीन महीनों के भीतर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है और इसके अगले साल से लागू होने की संभावना है।
भारत-न्यूजीलैंड FTA भारत के सबसे तेजी से पूरे हुए व्यापार समझौतों में से एक है और यह विकसित भारत 2047 के विजन के अनुरूप है। इस पर बातचीत 16 मार्च 2025 को शुरू हुई थी और पांच दौर की वार्ताओं के बाद इसे अंतिम रूप दिया गया। इस समझौते का उद्देश्य रोजगार, व्यापार, निवेश, नवाचार और MSME सेक्टर को बढ़ावा देना है।
इस समझौते के तहत न्यूजीलैंड, भारतीय उत्पादों पर टैरिफ को पूरी तरह खत्म कर देगा। इससे भारत के सभी निर्यातों को ड्यूटी-फ्री एक्सेस मिलेगा। इससे भारत के इन श्रम-प्रधान सेक्टर्स को बड़ा फायदा होगा:
भारत को न्यूजीलैंड में आईटी और आईटी-इनेबल्ड सर्विसेज, प्रोफेशनल सर्विसेज, एजुकेशन, फाइनेंस, टूरिज्म, कंस्ट्रक्शन और अन्य कारोबारी सेवाओं में बेहतर बाजार पहुंच मिलेगी। इससे भारतीय सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए नए अवसर खुलेंगे और हाई-स्किल्ड रोजगार को बढ़ावा मिलेगा।
इस समझौते की एक बड़ी खासियत टेम्पररी एम्प्लॉयमेंट एंट्री वीजा है। जिसके तहत एक तय समय में 5,000 भारतीय स्किल्ड प्रोफेशनल्स तीन साल तक न्यूजीलैंड में काम कर सकेंगे। यह वीजा इन प्रोफेशंस को कवर करेगा:
भारत और न्यूजीलैंड एग्री-टेक्नोलॉजी एक्शन प्लान तैयार करेंगे, जो कीवीफ्रूट, सेब और शहद पर केंद्रित होंगे। इन योजनाओं के निम्न उद्देश्य होंगे:
साथ ही सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, बेहतर पौध सामग्री, किसानों को ट्रेनिंग और बागवानी प्रबंधन, पोस्ट-हार्वेस्ट प्रक्रियाओं और फूड सेफ्टी में तकनीकी सहायता दी जाएगी। इससे किसानों की आय बढ़ने की उम्मीद है।
यह समझौता भारतीय फार्मास्युटिकल और मेडिकल डिवाइस एक्सपोर्टर्स के लिए भी फायदेमंद होगा। न्यूजीलैंड अब US FDA, EMA और UK MHRA जैसे नियामकों की GMP और GCP इंस्पेक्शन रिपोर्ट्स को स्वीकार करेगा। इससे कंप्लायंस लागत घटेगी। बार-बार इंस्पेक्शन की जरूरत नहीं पड़ेगी और भारतीय प्रोडक्ट्स के लिए बाजार में एंट्री तेज होगी।
न्यूजीलैंड ने अगले 15 वर्षों में भारत में 20 अरब डॉलर के निवेश को सुविधाजनक बनाने की प्रतिबद्धता जताई है। यह निवेश मैन्युफैक्चरिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर, सर्विसेज, इनोवेशन और रोजगार सृजन को बढ़ावा देगा। साथ ही मेक इन इंडिया कार्यक्रम को मजबूती देगा।
समझौते में जियोग्राफिकल इंडिकेशन (GI) से जुड़े प्रावधान भी शामिल हैं। न्यूजीलैंड भारतीय वाइन, स्पिरिट्स और अन्य उत्पादों के GI रजिस्ट्रेशन की अनुमति देने के लिए अपने कानूनों में बदलाव करेगा। इस तरह का लाभ वह पहले यूरोपीय यूनियन को दे चुका है।
न्यूजीलैंड के लिए यह समझौता बेहद फायदेमंद है।
इससे न्यूजीलैंड के एक्सपोर्टर्स को भारत के तेजी से बढ़ते मिडिल क्लास मार्केट तक बेहतर पहुंच मिलेगी।
Published on:
23 Dec 2025 10:03 am
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