
Rajasthan Tourism News : चित्तौड़गढ़। अच्छी खबर है कि चीतों को लेकर वन्यजीव प्रेमियों व पर्यटकों के रुझान को जिंदा रखने के लिए भजनलाल सरकार ने बजट में गांधी सागर अभयारण्य, भैंसरोडगढ़ अभयारण्य और चंबल सेंचुरी को कुनो नेशनल पार्क से जोड़ते हुए चीता विचरण केरिडोर व सफारी के लिए मध्यप्रदेश से एमओयू करते हुए फीसीबिलिट स्टेडी का प्रावधान किया है। सब कुछ ठीक रहा तो रावतभाटा-गांधीसागर अभयारण्य देश का दूसरा चीता सफारी केंद्र बन जाएगा। बता दें कि देश की पहली चीता सफारी मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में है। राजस्थान में चीता सफारी बनाने की यह पहल इसलिए की गई है, ताकि वहां पर्यटन से जुड़ी गतिविधियां शुरू हो सके। इससे इस क्षेत्र का विकास होगा, साथ ही लोगों में चीतों को लेकर दिलचस्पी बनी रहेगी।
रावतभाटा सीमा से सटे गांधीसागर अभयारण्य में चीतों को बसाने की कवायद तेज हो गई है। चीतों को बसाने के पूर्व केन्या से आए डेलीगेशन के 6 सदस्यों ने गांधीसागर अभयारण्य का भ्रमण किया था। दल ने गांधीसागर अभयारण्य में प्रचलित चीता पुनर्स्थापना योजना अन्तर्गत कार्यों का भी निरीक्षण किया व जानकारी ली। पहले दिन भ्रमण दल को अभयारण्य में चीता पुनर्स्थापना के लिए की गई तैयारियों एवं कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीता प्रोजेक्ट के सफलतम एक वर्ष के संबंध में विस्तृत प्रस्तुतीकरण द्वारा दिया गया था।
दल ने अभयारण्य में चीता पुनर्स्थापना अंतर्गत 6400 हैक्टेयर में बने बाड़े एवं क्षेत्र को भी देखा। चीतों को भारत सरकार की क्वारंटाइन गाइडलाइन अनुसार गांधीसागर में लाने के उपरांत 30 दिन के प्रारंभिक क्वारंटाइन के लिए बनाए गए बाड़ों का भ्रमण एवं बाड़े अन्तर्गत चीतों की मॉनिटरिंग के लिए लगाए गए हाईमास्ट कैमरा, जलस्रोत का भी केन्या से आए दल ने निरीक्षण किया था।
श्योपुर स्थित कूनो में 17 सितंबर 2022 को नामीबिया से 8 चीते लाए गए थे। इसके बाद 18 फरवरी 2023 को दक्षिण अफ्रीका से 8 चीते लाए गए। इनमें से 7 वयस्क चीतों की मौत हो चुकी है। फिलहाल 13 वयस्क चीते कूनो में हैं। राजस्थान से सटे गांधी सागर में पहले चरण में दक्षिण अफ्रीका से 5- 8 चीते लाए जाएंगे। मौका देखने आए दल ने राजस्थान की आबोहवा को चीतों के लिए अनुकूल माना है।
बारिश के बाद सर्दी में चीतों को अफ्रीका से यहां लाया जाएगा। वर्तमान में प्रति वर्ग किमी 15 शाकाहारी वन्य प्राणी है। प्रति वर्ग किमी 20 वन्य प्राणियों की जरूरत है। बारिश के और लाए जाएंगे।
– राजेश मंडवालिया, एसडीओ, गांधीसागर वनविभाग
Updated on:
11 Jul 2024 09:28 am
Published on:
11 Jul 2024 09:21 am
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