दो बार खिताब के करीब जाकर चूकी
मिताली राज के रहते टीम इंडिया दो बार 2005 और 2017 में खिताब से चूक गई। इन दोनों बार भारतीय महिला टीम ने आईसीसी महिला एकदिवसीय क्रिकेट विश्व कप के फाइनल में प्रवेश किया, लेकिन दोनों बार भारतीय टीम खिताब नहीं जीत पाई। 2005 में मिताली और भारत के सपने को ऑस्ट्रेलिया ने तोड़ दिया तो वहीं 2017 में फाइनल में इंग्लैंड ने भारत को मात देकर बाजी मार ली। अब मिताली की निगाहें 2021 में होने वाले आईसीसी एकदिवसीय महिला क्रिकेट विश्व कप पर है। मिताली भी जानती हैं कि यह उनका संभवत: आखिरी विश्व कप होगा। इसलिए इसमें वह जान लगा देना चाहती हैं।
अब कोई टीम भारत को हल्के में नहीं लेती
वर्तमान में महिला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की सबसे अनुभवी बल्लेबाज मिताली राज ने कहा कि लगातार टॉप 10 टीमों के खिलाफ अच्छे नतीजे के कारण हाल के दिनों में भारतीय महिला क्रिकेट टीम को ज्यादा सम्मान मिलने लगा है। अब कोई टीम भारत को हल्के में नहीं लेती। दाएं हाथ की बल्लेबाज मिताली राज ने कहा कि अब वे टीमें हमारे खिलाफ खेलने के लिए गंभीरता से तैयारी करती हैं। मिताली ने कहा कि दुनिया की सबसे अच्छी टीम ऑस्ट्रेलिया को वनडे में और इंग्लैंड को टी-20 में हराने के बाद हमें भी अब विश्वास हो गया है कि किसी भी टीम को हरा सकते हैं।
पिछले साल टी-20 से ले लिया था संन्यास
मिताली राज ने अपने वनडे करियर को लंबा खींचने के लिए पिछले साल टी-20 विश्व कप के बाद क्रिकेट के सबसे छोटे फॉर्मेट से संन्यास ले लिया था। मिताली ने बताया कि वह कोरोना वायरस महामारी के कारण देश में लगे लॉकडाउन में खुद को किस तरह फिट रख रही हैं। उन्होंने कहा कि इस उम्र में फिटनेस के लिए कुछ ऐसा करने की जरूरत रहती है, जिससे खेलने के लिए लगातार शरीर तैयार रहे। उन्हें पता है कि वह अपना कौशल नहीं भूल सकतीं। उनके पास अब भी कुछ बल्लेबाजी बची है। बस उन्हें अपनी लय पाने के लिए कुछ सत्रों की जरूरत हो सकती है।
पूरी तरह तैयार होने के लिए जमीन पर उतरना ही होगा
मिताली राज ने कहा कि हममें से कुछ ही के पास रनिंग स्पेस है, जबकि इसके उलट उनके जैसे कई अन्य खिलाड़ियोकं को प्रतिबंधित स्थानों के भीतर प्रबंधन करना पड़ता है। इसलिए हमारे ट्रेनर हमारे लिए रूटीन तैयार कर रहे हैं। कोच डब्ल्यूवी रमन हमारे कौशल प्रशिक्षण के साथ रचनात्मक होने की कोशिश कर रहे हैं। मिताली ने कहा कि यह मुश्किल है, क्योंकि हम घर के भीतर चाहे जितना भी प्रशिक्षण ले लें, पूरी तरह तैयार होने के लिए जमीन पर उतरना ही होगा।