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यह है सबसे बड़ी वजह
फिच समूह की रिपोर्ट के अनुसार उनकी पहले की रिपोर्ट में भारत की इकोकॉमी के बेहतर होने का अनुमान लगाया गया था, लेकिन भारत की त्रअर्थव्यवस्था में कम खपत और कम निवेश मांग की वजह से जीडीपी दर को कम आंकने को मजबूर होना पड़ा। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के अर्थशास्त्री सुनील सिन्हा के अनुसार एजेंसी उम्मीद लगा रही थी कि मौजूदा वित्त में कुछ सुधार होगा, लेकिन अभी भी जोखिम बना हुआ है, जिसकी वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था कम खपत और कमजोर मांग के चक्र में फंसती दिखाई दे रही है। आपको बता दें कि वित्त वर्ष 2018-19 में भारत की विकास दर 6.8 फीसदी थी यानी इसमें करीब 1.8 फीसदी की गिरावट है। वहीं दूसरी ओर बाकी रेटिंग एजेंसियों ने भी भारत की जीडीपी अनुमान को कम आंकना शुरू कर दिया है।
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IMF भी कम कर चुका है अनुमानित दर
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक विकास दर के अपने अनुमान को 6.1 फीसदी से घटाकर 4.8 फीसदी कर दिया है। आईएमएफ ने भारत की विकास दर के अपने अनुमान में इस भारी कटौती की वजह देश की घरेलू मांग में काफी नरमी बताई है। वैश्विक संस्था के अनुसार घरेलू मांग काफी कमजोर रहने और गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र के दबाव में होने के कारण चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक विकास दर घटकर 4.8 फीसदी रह सकती है।
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मूडीज ने कम किया अनुमानित दर
इससे पहले मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की अनुमानित आर्थिक विकास दर में कटौती की थी। रेटिंग एजेंसी के अनुसार उपभोग मांग सुस्त रहने के कारण चालू वित्त वर्ष 2019-20 में भारत की आर्थिक विकास दर 4.9 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था। अमरीकी रेटिंग एजेंसी ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत की आर्थिक विकास दर के अपने अनुमान को 5.8 फीसदी से घटाकर 4.9 फीसदी कर दिया है।