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लॉकडाउन के कारण बुजुर्ग को कांधा देने नहीं पहुंच सके अपने तो पुलिस ने पेश की मानवता की मिसाल

locationगाज़ियाबादPublished: Apr 02, 2020 10:07:34 am

Submitted by:

lokesh verma

Highlights
– बुलंदशहर में मुस्लिमों तो गाजियाबाद में पुलिस ने पेश की मानवता की मिसाल
– पिता की मौत के बाद पुलिस के पास रोते हुए पहुंंची बेटी
– अंतिम संस्कार में मदद के साथ पुलिस ने उपलब्ध कराया घर का राशन

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गाजियाबाद. कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन की वजह से लोगों को बेहद परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस लॉकडाउन में मरने वाले को अपनों के चार कंधे तक नसीब नही हो रहे हैं। ऐसे ही मामला गाजियायाबाद के शालीमार गार्डन चौकी क्षेत्र में सामने आया है। जहां एक बुजुर्ग की मौत होने के बाद जब उसका कोई अपना नहीं पहुंचा तो ऐसे में पुलिस ने आगे आते हुए उसका अंतिम संस्कार कराया। इतना ही पुलिस ने घर में रह रहे लोगों को राशन भी उपलब्ध कराया। शालीमार गार्डन पुलिस चौकी पर तैनात पुलिसकर्मियों ने यह कार्य करते हुए मानवता की एक अनोखी मिसाल पेश की है।
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आपने हमेशा खाकी पर पैसे लेने की तस्वीरें देखी होंगी, लेकिन गाजियाबाद के साहिबाबाद थाने की शालीमार गार्डन पुलिस चौकी चौकी के इंचार्ज शशि चौधरी और कांस्टेबलसौरभ सोलंकी एक बेटी की पीड़ा सुनकर इस तरह मदद की जैसे कोई अपने परिवार की करता है। हुआ यूं कि 93 साल के रामेश्वर का लंबी बीमारी के बाद बुधवार दोपहर निधन हो गया था। एक तो घर मे खाने के लाले और ऊपर से पिता की मौत ने बेटी सोनी को तोड़कर रख दिया। सोनी और उसके 12 साल के बेटे ने दाह संस्कार के लिए लोगों से मदद मांगी, लेकिन कोई आगे नहीं आया।
थक-हारकर सोनी आंखों में आंसू लिए शालीमार पुलिस चौकी पहुंची। जहां उसने चौकी इंचार्ज शशि चौधरी को रोते हुए बताया कि उसके पिता की मौत हो गई है। लॉकडाउन के कारण परिवार के अन्य लोग चाहकर भी नहीं आ पा रहे हैं। यह सुनते ही चौकी इंचार्ज भावुक हो गए और पूरे हिंदू रीति-रिवााज से 93 वर्षीय रामेश्वर का अंतिम संस्कार कराया। शव ले जाने के लिए वाहन से लेकर दाह संस्कार का पूरा खर्च उन्होंने ही उठाया। इसके साथ ही घरेलू सामान और राशन भी दिया।
चौकी इंचार्ज शशि चौधरी ने बताया कि उनके क्षेत्र में रहने वाले एक बुजुर्ग की मौत हो गई थी। ऐसे में उनके करीबी भी लॉकडाउन के चलते नहीं पहुंच पाए और उनकी बेटी के पास अंतिम संस्कार के लिए भी पैसे नहीं थे ।जब उन्हें जानकारी मिली तो उन्होंने रामेश्वर के अंतिम संस्कार की पूरी तैयारी करते हुए दाह संस्कार कराया और उनकी बेटी को भरोसा दिया गया है कि वह परेशान न हों उनके खाना खर्चा पुलिस मुहैया कराएगी।

मुस्लिमों ने भी पेश की थी मिसाल

बता दें कि बुलंदशहर जिले में लॉकडाउन के दौरान अंतिम यात्रा में समस्या आने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले बुलंदशहर के मोहल्ला आनंद विहार में 28 मार्च को मुस्लिम आबादी के बीच रहने वाले एक हिंदू परिवार में एक व्यक्ति का निधन हो गया था। उस दौरान मोहल्ले के मुस्लिम लोगों ने न सिर्फ आर्थिक रूप से कमजाेर परिवार की मदद की, बल्कि मुस्लिमों ने ही अर्थी को कांधा देते हु हिन्दू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार भी कराया था। इस दौरान मुस्लिमों ने लॉकडाउन के नियमों का भी पूरी तरह निर्वाह किया।
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