
MP Election 2023 : बमोरी विधानसभा में 79.98% मतदान, यहां है कांटे की टक्कर
मध्य प्रदेश के ग्वालियर संभाग में आने वाले गुना जिले की बमोरी विधानसभा प्रदेश की चर्चित सीटों में से एक है। कांग्रेस का गढ़ मानी जाने वाली बमोरी सीट पर साल 2020 में बड़ा उलटफेर हुआ, जिसके चलते यहां की जनता ने उम्मीदवार को बदले बिना पार्टी को बदल दिया। मौजूदा समय में ये सीट भाजपा के पाले में है। वहीं, इस बार भारतीय जनता पार्टी ने बमोरी सीट पर मौजूदा विधायक महेंद्र सिंह सिसोदिया को फिर से चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं, कांग्रेस ने ऋषि अग्रवाल को उम्मीदवारी सौंपी है।
17 नवंबर को संपन्न हुए चुनाव में बमोरी विधानसभा सीट पर 79.98 फीसदी की वोटिंग दर्ज की गई है। वहीं, बात करें 2018 के वोट प्रतिशत की तो पिछली बार इस सीट पर 79.63 प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि 2013 में यहां 77.56 प्रतिशत वोट पड़े थे। देखना दिलचस्प होगा कि इस बार जनता इस सीट से किस उम्मीदवार को चुनकर मध्य प्रदेश की विधानसभा पहुंचाती है।
विधानसभा के समीकरण
2018 के विधानसभा चुनाव में इस सीट त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला था। 17 प्रत्याशियों के बीच इस सीट पर हुए मुकाबले में उस समय कांग्रेस के टिकट पर महेंद्र सिंह सिसोदिया को 64,598 वोट मिले थे। वहीं, बीजेपी ने बृजमोहन सिंह आजाद को मैदान में उतारा था। उनके खाते में 36,678 वोट आए थे। इसके अलावा निर्दलीय प्रत्याशी कन्हैयालाल रामेश्वर अग्रवाल ने बीजेपी का खेल बिगाड़ते हुए 28,488 वोट हासिल कर लिया जिस वजह से बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस ने 27,920 वोटों से 2018 का विदानसभा चुनाव जीत लिया था।
सियासी उलटफेर से भाजपा के खाते में गई सीट
हालांकि, 2020 में मध्य प्रदेश में हुए सियासी फेरबदल के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ इस सीट के विधायक महेंद्र सिंह सिसोदिया भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चले गए थे। फिर इस सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने महेंद्र सिंह सिसोदिया को अपना उम्मीदवार बनाया। दूसरी तरफ पिछले चुनाव में निर्दलीय खड़े हुए कन्हैयालाल रामेश्वर सिसोदिया कांग्रेस में शामिल हो गए। पार्टी ने उन्हें उपचुनाव में टिकट दे दिया। लेकिन, 2020 के उपचुनाव में भाजपा के महेंद्र सिसोदिया को 1,01,124 वोट मिले जबकि कांग्रेस के कन्हैयालाल रामेश्वर अग्रवाल को 47,971 वोट मिले। यानी उस चुनाव में सिसोदिया को रिकॉर्ड 53,153 वोटों से जीत हासिल हुई।
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बमोरी सीट का राजनीतिक इतिहास
बमोरी विधानसभा के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो ये सीट 2008 में अस्तित्व में आई थी तब से लेकर अब तक हुए 4 चुनावों में बीजेपी को 2 तो कांग्रेस को 2 बार जीत हासिल हुई है। 2008 में बीजेपी के कन्हैयालाल रामेश्वर अग्रवाल को इस सीट पर जीत मिली थी। लेकिन 2013 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर महेंद्र सिंह सिसोदिया ने जीत मिली। उन्होंने कन्हैयालाल को हराया। उनकी जीत का सिलसिला 2018 में भी जारी रहा, लेकिन 2020 में दलबदल हो गया और महेंद्र सिंह सिसोदिया ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में आ गए। इस बार के उपचुनाव में महेंद्र सिंह सिसोदिया को ही जीत मिली, लेकिन इस बार टिकट भाजपा से मिला था।
भाजपा के महेंद्र सिंह सिसोदिया
भाजपा की ओर से इस सीट पर उम्मीदवार बनाए बनाए गए महेंद्र सिंह सिसोदिया 2008 में हुए इस सीट के गठन के समय से ही यहां सक्रीय हैं। पहले 2008, 2013 और 2018 के चुनाव में वो कांग्रेस के सदस्य रहकर इस सीट पर चुनाव में उतरे। लेकिन, ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर समर्थक माने जाने वाले महेंद्र सिंह सिसोदिया 2019 के मध्य प्रदेश के राजनीतिक उलटफेर में सिंधिया के साथ भाजपा में आ गए। इसके बाद भाजपा ने उन्हें 2020 के उपचुनाव में टिकट भी दिया, जिसपर भी उन्हें भारी मतों से जीत मिली। अब भाजपा ने इस बार भी उन्हीं को अपना उम्मीदवार बनाकर मैदान में उतारा है।
कांग्रेस के ऋषि अग्रवाल
कांग्रेस की ओर से बमोरी सीट पर ऋषि अग्रवाल को उम्मीदवार बनाकर उतारा गया है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस के सर्वे में इस बार सबसे ऊप ऋषि अग्रवाल का नाम रहा था। आपको बता दें कि, ऋषि अग्रवाल प्रदेश के दिग्गज नेता और इस सीट के पूर्व विधायक और भाजपा सरकार में राज्यमंत्री रहे कन्हैयालाल अग्रवाल के पुत्र हैं। कन्हैयालाल अग्रवाल 2008 में बमोरी विधायक रहे हैं। इसके बाद वो 2013, 2018 और 2020 के उपचुनाव में महेंद्र सिंह सिसोदिया से हार गए थे। फिलहाल, इस सीट पर महेंद्र सिंह सिसोदिया के सामने ऋषि अग्रवाल को उम्मीदवारी सौंपना कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है।
बमोरी विधानसभा के मतदाता
बमोरी का विधानसभा क्रमांक 28 है। विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 25 हजार 174 है। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 15 हजार 958 है। जबकि महिला मतदाता 1 लाख 9 हजार 216 हैं।
बमोरी विधानसभा की जनता की आवाज
- बमौरी विधानसभा क्षेत्र के लोगोंको अच्छी सड़कों और पुल-पुलिया का इंतजार है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि ऐसा हो जाएगा, तो बारिश के दिनों में आसपास के इलाकों से संपर्क कट जाने का दंश जो हर साल भोगना पड़ता है, उससे मुक्ति मिल जाएगी।
- राजस्थान जाने वाला स्टेट हाईवे जर्जर है और बारिश के समय कट जाता है। इससे राजस्थान और मध्यप्रदेश के लोगों का आने-जाने का और 200 से अधिक गांवों का आपस में सम्पर्क कट जाता है।
- महुगढ़ा फाटक भी बड़ी समस्या है। अच्छी बात ये कि जनता को इस समस्या से मुक्ति मिलने वाली है, क्योंकि यहां अंडर ब्रिज का काम शुरू हो गया है। कुछ समय बाद फाटक खुलने का वाहन चालकों को इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
- बमौरी तहसील में भवन होने के बावजूद एसडीएम और एसडीओपी नहीं बैठ रहे हैं।
- 'यहां औद्योगिक इकाइयां न होने से बेरोजगारी चरम पर है। लोग रोजगार की तलाश में राजस्थान और गुजरात चले जाते हैं।
- म्याना को तेजी से विकास के लिए नगर पंचायत बनाने की घोषणा जल्द पूरी होनी चाहिए।
- झागर के अंतर्गत आने वाले भौंरा, बरसाती और मगरोड़ा की पुलिया का निर्माण न होने से आमजन को खासा परेशानी का सामना करना पड़ता है।
- ग्वाल टोरिया, छतरपुरा और रबड़ी पन्हेटी तालाबों का निर्माण 40 साल बाद भी नहीं हो पाया है।
- झुमका गांव में के लोगों का कहना है कि गांव में कोई विकास नहीं हुआ। यहां की ज्वलंत समस्या पेयजल है। नल-जल योजना कई गांवों में बंद पड़ी है।
इस बार हर सीट पर कांटे की टक्कर
6 जनवरी 2024 को मध्यप्रदेश विधानसभा का कार्यकाल पूरा हो जाएगा। उससे पहले 3 दिसंबर को चुनाव आयोग नई विधानसभा के गठन की प्रक्रिया को पूरा कर लेगा। 17 नवंबर को पूरे प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने सभी 230 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है। चुनाव से पहले अबतक सामने आए सर्वेक्षणों में ये पता चला है कि इस बार मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान कांग्रेस और भाजपा के बीच हर सीट पर कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी।
Updated on:
02 Dec 2023 08:41 pm
Published on:
05 Nov 2023 01:34 pm
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