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भारत बना वैश्विक स्तर पर Chikungunya से सबसे ज्यादा प्रभावित देश, नए अध्ययन ने चेताया

Chikungunya: एक हालिया अध्ययन के अनुसार, हर साल भारत में 50 लाख से अधिक लोग चिकनगुनिया की चपेट में आ सकते हैं, और यह संख्या आने वाले वर्षों में और भी बढ़ने की आशंका है।

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भारत

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MEGHA ROY

Oct 05, 2025

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India most affected by Chikungunya|फोटो सोर्स – Patrika.com

Chikungunya Health Risk India: एक हालिया वैश्विक अध्ययन ने दुनिया के सामने एक चौंकाने वाला सच रखा है जहां भारत, चिकनगुनिया जैसी खतरनाक मच्छर जनित बीमारी से सबसे ज्यादा लंबे समय तक खतरे का सामना कर रहा है। यह वायरस न केवल बुखार और जोड़ों के दर्द की वजह बन रहा है, बल्कि इसके लंबे समय तक लाखों लोगों की जिंदगी को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं। एक हालिया अध्ययन के अनुसार, हर साल भारत में 50 लाख से अधिक लोग चिकनगुनिया की चपेट में आ सकते हैं, और यह संख्या आने वाले वर्षों में और भी बढ़ने की आशंका है।

वैश्विक अध्ययन के अनुसार

लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन, नागासाकी यूनिवर्सिटी और इंटरनेशनल वैक्सीन इंस्टीट्यूट (सियोल) के वैज्ञानिकों ने इस अध्ययन में दुनिया भर के सबसे संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान की। उनके मुताबिक, हर साल भारत में 50 लाख से ज्यादा लोग चिकनगुनिया की चपेट में आ सकते हैं, और यह संख्या आने वाले वर्षों में और भी बढ़ सकती है।

भारत के अलावा, ये दो देश भी चिकनगुनिया से प्रभावित

इस अध्ययन में भारत, ब्राजील और इंडोनेशिया को सबसे ज्यादा खतरे वाले देशों में गिना गया है। हैरानी की बात यह है कि भारत और ब्राजील मिलकर दुनिया भर में चिकनगुनिया के कुल स्वास्थ्य प्रभावों के लगभग 50% हिस्से के लिए जिम्मेदार हैं। यानी एक तरह से यह बीमारी अब सिर्फ एक मेडिकल इमरजेंसी नहीं, बल्कि एक सामाजिक और आर्थिक संकट का रूप लेने लगी है।

कौन हैं सबसे ज्यादा जोखिम में?

रिपोर्ट के मुताबिक, बच्चे (10 साल से कम उम्र के) और 80 साल से अधिक उम्र के बुज़ुर्ग इस बीमारी से तीव्र रूप से प्रभावित हो सकते हैं। वहीं, 40 से 60 साल की आयु के लोगों में इसका सबसे अधिक दीर्घकालिक असर देखा जा रहा है जैसे जोड़ों में लंबे समय तक रहने वाला दर्द, चलने-फिरने में दिक्कत, थकान और रोजमर्रा की जिंदगी पर बुरा असर।

बीमारी की असली तस्वीर

चिकनगुनिया वायरस मुख्य रूप से दो प्रकार के मच्छरों एडीज एजिप्टी और एडीज एलबोपिक्टस (जिन्हें आम भाषा में पीला बुखार और टाइगर मच्छर कहा जाता है) के जरिए फैलता है। यह वही मच्छर हैं जो डेंगू और जीका वायरस जैसी अन्य बीमारियों को भी फैलाते हैं। आपको बता दे की पहली बार 1950 के दशक में पहचान हुई यह बीमारी 2004 में फिर से उभरकर सामने आई और अब तक 114 से ज्यादा देशों में अपने पैर पसार चुकी है।

लंबे समय तक चिकनगुनिया का लक्षण

रिसर्च में इस बात पर जोर दिया गया कि चिकनगुनिया की सबसे बड़ी चुनौती इसके लंबे समय तक बने रहने वाले लक्षण हैं। रिपोर्ट कहती है कि करीब 50% मरीजों में संक्रमण के बाद महीनों या सालों तक शरीर दर्द, थकावट और मूवमेंट संबंधी परेशानियां बनी रहती हैं, जो व्यक्ति की कार्यक्षमता और जीवन की गुणवत्ता दोनों को प्रभावित करती हैं।

चिकनगुनिया से बचाव के लिए सुझाव

  • साफ-सफाई बनाए रखना बेहद जरूरी है।
  • मच्छर भगाने वाले उपाय अपनाएं, जैसे मच्छरदानी, रिपेलेंट्स, और घर के आसपास पानी जमा न होने देना।
  • समय रहते चिकित्सा जांच कराना जरूरी है, ताकि संक्रमण का जल्दी पता चल सके।
  • चिकनगुनिया के बढ़ते खतरे को देखते हुए जनजागरूकता अभियान चलाए।
  • टीकाकरण के क्षेत्र में अनुसंधान (रिसर्च) को बढ़ावा दे।
  • स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करे, ताकि आपात स्थिति में प्रभावी इलाज संभव हो सके।