Kidney Cancer In India : किडनी के कैंसर के मामले सिर्फ दुनिया भर में ही नहीं बल्कि भारत में भी तेजी से बढ़ रहे हैं। भारत अब इस बीमारी के मामलों में दुनिया में चौथे स्थान पर आ गया है। एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेफ्रोलॉजी एंड यूरोलॉजी (AINU) के कंसल्टेंट यूरो-ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ। अदापाला राजेश कुमार रेड्डी के मुताबिक, यह कैंसर अब सभी उम्र के लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है, फिर चाहे उनकी लाइफ स्टाइल कैसी भी हो या वे किसी भी लिंग के हों।
किडनी के कैंसर (Kidney Cancer) और बाकी पेशाब की थैली से जुड़े कैंसर भी बहुत तेजी से फैल रहे हैं। डॉ। राजेश कुमार रेड्डी कहते हैं, अगर कैंसर का पता शुरुआत में ही चल जाए, तो लगभग किसी भी कैंसर का इलाज मुमकिन है। किडनी के मामले में तो जल्दी पता चलना और भी जरूरी हो जाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमें लक्षणों को लेकर सावधान रहना चाहिए और किसी भी बड़ी परेशानी से बचने के लिए समय पर जांच करवाते रहना चाहिए।
एक ग्लोबल कैंसर रिसर्च एजेंसी ग्लोबोकैन (GLOBOCAN) के अनुमानों के मुताबिक इस साल दुनिया भर में किडनी के कैंसर (Kidney Cancer) के करीब 4,34,840 नए मामले सामने आए हैं। इनमें सबसे ज़्यादा मामले चीन (73,656) में थे, उसके बाद अमेरिका (71,759), रूस (29,109) और भारत (17,480) का नंबर आता है। यानी, भारत गुर्दे के कैंसर के मामलों में दुनिया के टॉप चार देशों में से एक है।
किडनी पेशेंट को कौन से बीजों का सेवन करना चाहिए
- तंबाकू का सेवन
- शराब पीना
- मोटापा
- हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप)
- एस्बेस्टस, बेंजीन, कैडमियम और ट्राईक्लोरोएथिलीन जैसे केमिकल्स के लंबे समय तक संपर्क में रहना
किडनी का कैंसर (Kidney Cancer) पुरुषों को महिलाओं के मुकाबले दोगुना ज़्याज्यादा होता है, यानी अगर 2 पुरुषों को यह होता है, तो 1 महिला को। वैसे तो यह किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन 70 साल की उम्र के बाद इसकी आशंका बढ़ जाती है। हालांकि, आजकल की लाइफ स्टाइल के चलते अब कम उम्र के लोगों में भी यह पाया जाने लगा है।
इसके अलावा, जिन लोगों को पुरानी किडनी की बीमारी है, जो लंबे समय से डायलिसिस करवा रहे हैं, और जिनके परिवार में पहले किसी को किडनी कैंसर रहा है, उन्हें भी इस बीमारी का ज़्यादा खतरा होता है।
किडनी कैंसर (Kidney Cancer symptoms) के कुछ ऐसे लक्षण हैं जिन पर अक्सर लोग ध्यान नहीं देते या उन्हें कुछ और समझ लेते हैं। अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखे तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं:
पेशाब में खून आना: इसे अक्सर लोग इन्फेक्शन या गर्मी से जुड़ी समस्या मानकर टाल देते हैं, लेकिन यह एक बड़ा संकेत हो सकता है।
कमर या पेट के निचले हिस्से में लगातार दर्द रहना: ऐसा दर्द जो जाए नहीं, उस पर ध्यान दें।
पीठ के निचले हिस्से या बगल में सूजन या गांठ महसूस होना: अगर आपको अपनी पीठ के निचले हिस्से या पेट के बगल में कोई असामान्य सूजन या गांठ लगे, तो उसे नजरअंदाज न करें।
बिना किसी वजह के बुखार रहना: कई बार ट्यूमर से निकलने वाले कुछ रसायन (साइटोकाइन और इंटरल्यूकिन) बिना किसी कारण के बुखार का कारण बन सकते हैं।
भूख न लगना और बिना किसी वजह के वजन कम होना: अगर आप डाइटिंग या कसरत नहीं कर रहे हैं और फिर भी आपका वजन घट रहा है और आपको भूख नहीं लग रही, तो यह भी एक चेतावनी का संकेत है।
अक्सर, किडनी कैंसर के शुरुआती दौर में कोई खास लक्षण दिखते ही नहीं हैं। इसी वजह से, जब तक इसका पता चलता है, तब तक यह अक्सर काफी बढ़ चुका होता है।
हालांकि, अल्ट्रासाउंड जैसे इमेजिंग टेस्ट भले ही वे किसी और वजह से करवाए गए हों किडनी में ट्यूमर का पता लगा सकते हैं। अगर इसका जल्दी पता चल जाए, तो रोबोटिक या लेप्रोस्कोपिक पार्शियल नेफ्रेक्टोमी जैसी छोटी और कम चीरफाड़ वाली सर्जरी की जा सकती है। इन सर्जरी से ट्यूमर को हटाया जा सकता है, जबकि किडनी का बाकी हिस्सा सुरक्षित रहता है।
अब गुर्दे के कैंसर (Kidney Cancer) के इलाज के लिए कई एडवांस्ड तकनीकें आ गई हैं, जो सर्जरी को ज़्यादा सुरक्षित और सटीक बनाती हैं:
इंट्राऑपरेटिव अल्ट्रासाउंड (IOUS): जब आंशिक नेफ्रेक्टोमी (गुर्दे का कुछ हिस्सा निकालने की सर्जरी) की जाती है, तो IOUS तकनीक से डॉक्टर को ऑपरेशन के दौरान ही ट्यूमर की सही जगह और आसपास की खून की नसें वास्तविक समय में दिख जाती हैं। इससे सर्जरी ज़्यादा सुरक्षित और सटीक तरीके से हो पाती है।
रोबोटिक सर्जरी: इसमें रोबोट की मदद से सर्जरी की जाती है, जिससे अंदरूनी अंगों का 3D व्यू मिलता है और सर्जरी की सटीकता बढ़ जाती है।
टारगेटेड थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी: इन नई दवाओं और थेरेपी ने गुर्दे के कैंसर के इलाज के नतीजों में बहुत सुधार किया है।
Updated on:
22 Jun 2025 11:23 am
Published on:
21 Jun 2025 03:17 pm