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Viral Fever and Co-Infection : वायरल के साथ को-इंफेक्शन, 2025 में इतनी खतरनाक क्यों हो गई हैं मौसमी बीमारियां?

Viral Fever and Co-Infection : 2025 में वायरल और सांस से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। को-इंफेक्शन, कमजोर इम्यूनिटी और प्रदूषण ने लोगों की हालत बिगाड़ दी है। जानें कारण, लक्षण और बचाव के 7 आसान उपाय।

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भारत

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Manoj Vashisth

Oct 09, 2025

Viral Fever and Co-Infection

Viral Fever and Co-Infection यह मौसम क्यों बन गया है बीमारियों का घर?

Viral Fever and Co-Infection : मौसम के इस बदलाव ने शहरों में बीमारी का ऐसा जाल बिछाया है कि हर दूसरा आदमी खांस रहा है या बुखार से तप रहा है। कभी तेज गर्मी, तो कभी अचानक ठंड… मौसम की इस लुका-छिपी ने हमारे शरीर की इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) पर सीधा हमला किया है।

मौसम की मनमानी, सबकी सेहत पर भारी

साल 2025 में वायरल और सांस से जुड़ी (Respiratory) बीमारियों ने तो जैसे रिकॉर्ड ही तोड़ दिया है। डॉक्टर बता रहे हैं कि इस बार बीमारियां लंबी खिंच रही हैं और इनके लक्षण भी समझ से हैं यानी, पता ही नहीं चल रहा कि यह सामान्य फ्लू है, एलर्जी या कुछ और।

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इस बार बीमारियों के पैटर्न (Pattern) में बड़े बदलाव दिख रहे हैं, जो बड़े खतरे की घंटी है:

को-इंफेक्शन (Co-infections) का नया चलन: अब लोगों में एक साथ दो वायरस और बैक्टीरिया का संक्रमण देखने को मिल रहा है। इसे को-इंफेक्शन कहते हैं, जिसके कारण बीमारी को ठीक होने में अधिक समय लग रहा है।

कमजोर इम्यूनिटी: COVID-19 महामारी के बाद कई लोगों की इम्यूनिटी पहले से कमजोर हुई है, जिससे वे छोटी-मोटी बीमारियों को भी झेल नहीं पा रहे हैं।

प्रदूषण का जहर: शहरों में बढ़ता वायु प्रदूषण (Air Pollution) सांस की नली को पहले ही डैमेज कर देता है, जिससे वायरल इंफेक्शन का असर कई गुना बढ़ जाता है। साथ ही एलर्जी के लक्षण भी लंबे समय तक बने रह रहे हैं।

नए वायरल स्ट्रेन (New Viral Strains): वायरस लगातार अपना रूप बदल रहे हैं, जिस कारण हमारा शरीर उन्हें पहचान नहीं पाता और बार-बार बीमार पड़ता है।

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मौसम की इस मार से कुछ लोगों को ज्यादा बचाकर रखने की जरूरत है:

  1. बच्चे (Children): स्कूल जाकर और खेल-कूद में घुलने-मिलने के कारण, बच्चों में इंफेक्शन आसानी से फैलता है। उनकी इम्यूनिटी भी अभी विकसित हो रही है, इसलिए उन्हें तुरंत संक्रमण हो जाता है।
  2. बुज़ुर्ग (Elderly): बढ़ती उम्र में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। इसके अलावा, शुगर (Diabetes) या हृदय रोग (Heart Disease) जैसी पुरानी बीमारियों के कारण उनकी हालत तेजी से बिगड़ सकती है।
  3. पुराने रोगों से पीड़ित लोग: जो लोग अस्थमा, डायबिटीज या दिल की बीमारी जैसी क्रॉनिक बीमारियों से जूझ रहे हैं, उनमें संक्रमण से लड़ने की ताकत कम होती है और वे बहुत धीरे ठीक हो पाते हैं।

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बदलते मौसम में खुद को सुरक्षित रखने के लिए ये सरल आदतें अपनाएँ, यही सबसे बड़ी वैल्यू एडिशन है:

भरपूर पोषण और पानी (Hydration): पौष्टिक खाना खाएं और पानी की कमी बिल्कुल न होने दें। पानी शरीर से टॉक्सिन्स (Toxins) निकालने में मदद करता है।

कपड़ों की लेयरिंग (Layering): सुबह-शाम और दिन के तापमान में बड़ा अंतर होता है, इसलिए परतों में कपड़े पहनें। जब गर्मी लगे तो एक परत उतार दें और ठंड लगे तो तुरंत पहन लें।

हाथ धोना और मास्क: भीड़ वाली जगहों पर मास्क पहनना न भूलें और हाथों को बार-बार धोएं। यह सबसे बेसिक लेकिन सबसे असरदार बचाव है।

घर को हवादार रखें: घर को बंद न रखें, ताजी हवा आने दें। अपने आस-पास साफ-सफाई बनाए रखना भी बहुत ज़रूरी है।

पसीने के बाद ठंडी हवा से बचें: यह सबसे बड़ी गलती है। अगर कसरत या मेहनत के बाद आपको पसीना आ रहा है, तो तुरंत पंखे या AC के सामने न बैठें। शरीर को सामान्य होने दें।

पुरानी दवाओं में लापरवाही नहीं: अगर आप किसी क्रॉनिक बीमारी की दवा ले रहे हैं, तो उसे नियमित रूप से लें। इस मौसम में किसी भी दवा को मिस करना भारी पड़ सकता है।

डॉक्टर से तुरंत मिलें: अगर बुखार, खांसी या बदन दर्द लंबे समय तक बना रहे या बार-बार हो, तो खुद से इलाज करने के बजाय तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।

मौसम को तो नहीं बदल सकते, लेकिन अपनी आदतों को बदलकर इस बीमारी के जाल से खुद को और अपने परिवार को जरूर बचा सकते हैं। याद रखें: थोड़ी सी सावधानी, बड़ी बीमारी से बचाव है।

डिसक्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल जागरूकता के लिए है और यह किसी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी दवा या उपचार को अपनाने से पहले विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह लें।