वैक्सीन बनाने के लिए कोडाजेनिक्स ने सीरम के साथ हाथ मिलाया है।विदित हो कि सीरम भारत में ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का कोरोना रोधी टीका भी बना रही है। ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनका के साथ करार के तहत ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल भी यह कंपनी भारत में कर रही है। बता दें कि अमरीका की नोवावैक्स ने भी अपनी संभावित वैक्सीन के उत्पादन के लिए सीरम के साथ समझौता किया है। साथ ही सीरम इंस्टीट्यूट खुद भी कोरोनी रोधी वैक्सीन का विकास कर रही है। खास यह कि लागत के मामले में किफायती, सुरक्षित और विश्वसनीय वैक्सीन के मामले में सीरम इंस्टीट्यूट दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है।
बाकियों से अलग वैक्सीन
अमरीकी कंपनी कोडाजेनिक्स की संभावित कोरोना रोधी वैक्सीन दौड़ में शामिल बाकी कंपनियों के फॉर्मूले से अलग है। कोडाजेनिक्स और सीरम मिल कर ‘लाइव एटेनुएटेड’ (जिंदा वायरस कमजोर कर लैब में वैक्सीन बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है) टीका बनाएंगी। कमजोर होने के चलते कोरोना वायरस लोगों को नुकसान नहीं पहुंचा सकता।
परीक्षण के अच्छे संकेत
डॉ. कोलमन ने बताया कि कोडाजेनिक्स की वैक्सीन का जानवरों पर परीक्षण किया गया है। इसके सकारात्मक नतीजे मिले हैं। हम इस साल दिसंबर के भीतर ब्रिटेन में इसानों पर इस टीके का परीक्षण शुरू करने की उम्मीद कर रहे हैं। सीरम की बनाई वैक्सीन का इस्तेमाल परीक्षण के लिए किया जाएगा।