आरोप है कि जिला हॉस्पिटल में बच्चे को एक्सपायर्ड इंजेक्शन (Expired Injection) लगाया गया जिसकी वजह से उसकी तबियत अचानक बिगड़ गई। हॉस्पिटल के स्टाफ ने नवजात को एनआईसीयू में भर्ती कर दिया। परिजनों के बार-बार पूछने के बाद भी डॉक्टरों ने बच्चे को उन्हें देखने नहीं दिया। अस्पताल में 5—7 दिन गुजर जाने के बाद बच्चे को दूसरे अस्पताल रेफर कर दिया गया। नवजात की हालत देख परिजन दंग रह गए। उन्होंने देखा कि बच्चे का हाथ पूरी तरह से काला पड़ गया था।
ग्यारसपुर के लोहर्रा गांव में रहने वाले पीड़ित मनोज सेन ने बताया कि उसकी पत्नी ने 24 अगस्त को एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया था। तभी थोड़ी देर बाद डॉक्टरों ने बच्चे को कोई इंजेक्शन लगाया था जिससे उसे बुखार आ गया था। बाद में तबियत ज्यादा खराब होने पर उसे आईसीयू में रख दिया गया, लेकिन उन्हें कुछ ठीक से बताया नहीं गया। जब बच्चे को भोपाल रेफर किया गया तो वहां के डॉक्टरों ने बताया कि एक्सपायर्ड इंजेक्शन लगाने से बच्चे के हाथ में जहर फैल गया है, जिसकी वजह से हाथ काला पड़ गया है। बाकी शरीर के हिससे में जहर का असर न हो इसके लिए हाथ काटना पड़ेगा। इससे नाराज परिजनों ने जिला अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। हालांकि अस्पताल प्रबंधन ने सफाई दी कि उन्हें इस बात की सटीक जानकारी नहीं है। जांच में पता चलेगा कि हाथ काला पड़ने की असली वजह क्या है। वैसे किसी तरह की लापरवाही सामने आने पर सख्त कदम उठाया जाएगा।