शुरू हुई किराए पर इलेक्ट्रिक कार
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने किराए पर इलेक्ट्रिक कार देने वाली सेवा की शुरुआत करते हुए कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों में बैटरी की कीमत ही सबसे मुख्य है और अब बैटरी की कीमत धीरे-धीरे काफी कम होती जा रही है। इस बात से साबित होता है कि अगले चार वर्षों में पेट्रोल-डीजल की कार के मुकाबले इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतों में कमी होगी।
लगातार बढ़ रहा है पॉल्यूशन
इलेक्ट्रिक कारों को भारत का भविष्य इसलिए भी माना जा रहा है, क्योंकि पिछले साल डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक सबसे प्रदूषित शहरों में 13 शहर अकेले भारत के थे और भारतीय सड़कों पर पेट्रोल डीजल कारों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो देश में 1.2 मिलियन लोगों की मृत्यू प्रदूषण के कारण होती है।
लोगों का बोझ होगा कम
इलेक्ट्रिक कारों के आने से लोगों की जेब पर भी सीधा असर पड़ेगा। लिथियम बैटरी कम से कम एक बार में तीन से पांच साल तक चलती है। एक दिन में 100 किलोमीटर के लिए 20 से 25 रुपए बैटरी को चार्ज करने में लगेगा।
कुछ ऐसा सरकार का लक्ष्य
एफएएमई इंडिया में नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान के तहत भारत में तेजी से लोग हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक कार को जगह दे रहे हैं। अगर 2017-18 में इलेक्ट्रिक कारों के बजट की बात करें तो 175 करोड़ का था। जबकि हैवी इंडस्ट्री मिनिस्ट्री को इस कार्यक्रम के लिए 14000 करोड़ की जरुरत है। 2020 से सरकार की योजना 60 से 70 लाख हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक कारों को बाजार में लांच करने की है।
60,000 करोड़ की बचत
वहीं हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक कारों के सड़क पर दौड़ने से भारतीय अर्थव्यवस्था पर सीधे तौर पर 60,000 करोड़ रुपए के ईंधन की बचत होगी। सरकार ने हाइब्रिड गाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार एफएएमई मोटरबाइक पर 29000 रुपए और कार पर 1.38 लाख की छूट देने की बात भी कही है।