
CG Naxal News:बस्तर में अबूझमाड़ कभी नक्सलियों का सबसे सुरक्षित इलाका माना जाता था लेकिन बीते छह महीने में फोर्स ने यहां कई बड़े ऑपरेशन किए हैं जिससे नक्सलियों की चूलें हिल गई हैं। इस वर्ष अब तक फोर्स ने 40 से ज्यादा ऑपरेशन किए हैं जिसमें 71 नक्सली ढेर हुए हैं। कभी समूचे बस्तर के 15 हजार वर्ग किमी क्षेत्र में नक्सली प्रभावी थे लेकिन अब वह सिमटकर 4 हजार वर्ग किमी क्षेत्र में सीमित हो चुके हैं। 11 हजार वर्ग किमी पर अब सीधे फोर्स का कंट्रोल है क्योंकि ऐसे इलाकों में फोर्स के 150 से ज्यादा कैंप स्थापित किए जा चुके हैं।
वर्ष 2024 में छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार आने के बाद से ही बस्तर के कोर इलाके में अब तक 32 नए कैंप खोले गए हैं नक्सल मोर्चे पर सरकार की बदली रणनीति से नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन भी तेज हुए हैं। पुलिस अफसरों की मानें तो जनवरी से लेकर अब तक बस्तर के कोर इलाके में फोर्स की नक्सलियों से 72 मुठभेड़ हो चुकी हैं, जिसमें 137 नक्सली मारे गए हैं। इन दिनों फोर्स का पूरा फोकस इस वक्त अबूझमाड़ पर है।
यह नक्सलियों की अघोषित राजधानी कही जाती है। इसलिए फोर्स यहां नक्सलियों का प्रभाव कम करने में जुटी हुई है। नक्सलियों के ठिकाने पर लगातार फोर्स हमले बोल रही है। हर हमले के बाद नक्सलियों को बड़ा नुकसान हो रहा है। बस्तर के नक्सल इतिहास में कभी इतनी बड़ी संख्या में नक्सली नहीं मारे गए थे जितने पिछले छह महीने के भीतर मारे गए हैं। इससे नक्सलियों और उनके कैडर में दहशत का माहौल है। यही कारण है कि अब तक 6 महीने में 400 से अधिक नक्सलियों ने सरेंडर किया है। आमतौर पर एक साल में औसतन 500 समर्पण हुआ करते थे।
बस्तर में फोर्स की सक्रियता के चलते नक्सली अब अपने पांच कोर इलाके तक ही सिमटकर रह गए हैं, जिसमें प्रमुख अबूझमाड़, इंद्रावती नेशनल पार्क, बैलाडीला की पहाडिय़ों का तराई वाला इलाका, सुकमा जिले में बासागुड़ा-जगरगुंडा- भेज्जी ट्राएंगल व बीजापुर के पामेड़ इलाके में नक्सलियों की बटालियन नंबर 1 का इलाका शामिल है। अन्य इलाकों में फोर्स की मौजूदगी व कैंप स्थापना के बाद नक्सलियों का प्रभाव कम हुआ है। अबूझमाड़ व नेशनल पार्क इलाके को अब फोर्स ने जब से टारगेट किया है तब से इस इलाके में नक्सलियों के नई भर्ती शिविर और ट्रेनिंग कैंप आयोजित नहीं हो पा रहे हैं।
यहां पिछले कुछ वर्षों में बस्तर में नक्सली आतंकी घटनाओं और हताहतों की संख्या को दर्शाने वाला डेटा चार्ट है, जिसे हिंदी में लेबल किया गया है। यह चार्ट 2018 से 2023 तक घटनाओं और हताहतों की संख्या में गिरावट का रुझान दर्शाता है।
नक्सलियों के पीएलजीए के सशस्त्र लड़ाके अब बस्तर के गांवों में फैले मिलिशिया सदस्यों तक अपनी पहुंच नहीं बना पा रहे हैं। गांवों में फोर्स के कैंप स्थापित होने के बाद मिलिशिया सदस्यों की मीटिंग तक लड़ाके नहीं ले पा रहे हैं। अब मिलिशिया कैडर नक्सलियों के प्रभाव से बाहर निकलते दिख रहे हैं। बस्तर में नक्सलियों के लिए यह बड़ा नुकसान है।
अबूझमाड़ की सीमा पांच जिलों में फैली हुई हैं जिसमें कांकेर, नारायणपुर, बीजापुर, दंतेवाड़ा और बस्तर जिला शामिल है। फोर्स का दबाव जिस तरह से अबूझमाड़ में बढ़ा है उसके बाद से नक्सलियों के टॉप लीडर वहां से लगातार शिफ्ट हो रहे हैं। जिनमें नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी के सचिव बसव राजू, एम वेणुगोपाल उर्फ भूपति उर्फ सोनू, पक्का हनुमंतलु उर्फ गणेश उइके और दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का सचिव केआरसी रेड्डी उर्फ गुड़सा उसेंडी आदि शामिल हैं।
बताया जा रहा है कि अब वहां पीएलजीए लड़ाके ही अपना गढ़ बचाए रखने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। अधिकांश नक्सली एमएमसी, एओबी व टीटीके जोन में शिफ्ट होने की जानकारी मिल रही है। दुर्दांत नक्सली हिड़मा के गांव पूवर्ती में भी इसी साल कैंप स्थापित किया गया जो कि बस्तर में नक्सल मोर्चे पर मिली बड़ी कामयाबियों में से एक थी। हिड़मा अब अपना इलाका छोड़ बस्तर के अलग-अलग क्षेत्र में मूवमेंट कर रहा है।
2018: 125
2019: 79
2020: 44
2021: 48
2022: 31
2023: 24
2024 में अब तक 137
बस्तर को नक्सल मुक्त बनाने की दिशा में हम तेजी से बढ़ रहे हैं। फोर्स को बीते छह महीने में कई बड़ी सफलताएं मिली हैं। नक्सलियों का प्रभाव क्षेत्र सिमटता जा रहा है। नक्सल प्रभाव वाले दो तिहाई क्षेत्र में अब नक्सलियों को जनता ने भी नकार दिया है। नक्सल मुक्त बस्तर का जो लक्ष्य है उसे पाने के लिए हम रणनीतिक रूप से आगे बढ़ रहे हैं। - सुंदरराज पी. आईजी, बस्तर रेंज
Updated on:
02 Jul 2024 07:43 am
Published on:
01 Jul 2024 11:23 am
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