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चिकित्सा महकमे में भ्रष्टाचार का बड़ा खेल, ऐसे मिलती है कॉलेजों का मान्यता, सुनिए डील का पूरा EXCLUSIVE AUDIO

locationजयपुरPublished: Jan 15, 2018 04:24:54 pm

Submitted by:

Kamlesh Sharma

भ्रष्टाचार, यह शब्द अब इस कदर हम सभी के जहन में बैठ चुका है कि यह सामान्य बात हो गई है।

corruption in rajasthan

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विकास जैन
जयपुर। भ्रष्टाचार, यह शब्द अब इस कदर हम सभी के जहन में बैठ चुका है कि यह सामान्य बात हो गई है। लेकिन चिकित्सा विभाग का जो भ्रष्टाचार रिकॉर्डिंग से सामने आया है वह परेशान करने वाला है। खुलमखुल्ला नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने के नाम पर लाखों रुपयों के लेनदेन और मेडिकल काउंसिल में ऑफिशियली बात करने के इस वार्तालाप में कई ‘बड़ों’ की पोल खुलती दिख रही है।
राज्य में नर्सिंग शिक्षण संस्थानों को मान्यता दिए जाने के नाम पर सरकार में प्रभावशाली व्यक्ति के बेटे के 20-20 लाख रुपए प्रति कॉलेज लेने और इसके बाद भी काम नहीं होने की बात है। ऑडियो में स्पष्ट सुनाई दे रहा है कि निजी नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दिलाने के नाम पर प्रभावशाली व्यक्ति के बेटे ने पहले 5 लाख, फिर 10 लाख और फिर 20 लाख रुपए प्रति कॉलेज ले रखे हैं।
पूरी बातचीत में फोन लोकेशन मालवीय नगर स्थित अपेक्स सर्किल बताई जा रही है। इस बातचीत में चिकित्सा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों सहित नर्सिंग काउंसिल के चुनिंदा लोगों के भी नाम शामिल हैं।

विमल : पहली बार विवेक सर… मैं खड़ा हूं, मैडम (चिकित्सा विभाग की वरिष्ठ अधिकारी का नाम) से हम बात करेंगे, उस फाइल को पकड़े रखो आप।
कॉलेज संचालिका : हम मालवीय नगर के ही हैं सर… सर ने ही हमारे अस्पताल का उद्घाटन किया था १९97-98 की बात है….दीक्षा है हमारे यहां आपके कजन की बेटी हैं…, टाइम इतना हो चुका है, इन्होंने आरयूएचएस को चार दिन पहले अननेसेसरी लिख दिया, सब कुछ इनके कहे अनुसार हो रहा है, हर दिन उलझाते जा रहे हैं, एक कॉलेज का निरीक्षण हुआ था, उलझाने के लिए इन्होंने दो का कर दिया, हमने सब कुछ किया, रिपोर्ट हम तो नहीं लिख सकते, हमें कहा था कि रिपोर्ट में सौ कमियां होंगी तो भी सही रहेगी, शुरूआत की थी 5 लाख से, 5 लाख से 10 लाख हो गए, 10 से 20 लाख। मैं कॉलेज जाती हूं तो वहां लडक़े रहते हैं, किसी के साथ वकील होते हैं, मैने बाजार से पैसे लिए हैं, करूं क्या…मेरे साथ कमिटमेंट किया था इन्होंने …कहा था कि सारा काम कराकर दूंगा।
विमल : पीछे से मैनेज ही नहीं कर पाया, मंत्री के पास फाइल होगी, उससे पहले अफसर (चिकित्सा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी का नाम) ने कहा था कि मैं मैनेज कर लूंगा, अधिकारियों को भी, रिपोर्ट मैं मेरे सामने लिखवाउंगा, अब वो तो खुद ही नेगेटिव लिख रहे हैं, जबकि लिखना चाहिए था कि इन्हें मान्यता देनी चाहिए, उन्हें लिखना चाहिए था कि सुविधाएं पर्याप्त है।
ये अफसर आपका आदमी है सर… उससे सारी डील आपने की, जब वह ऐसा कर रहा है तो क्यों नहीं बोल रहे…. कान पकड़ देते एक… बदमाशी की है…

कॉलेज संचालिका : पैसा ले लिया ना…. उसको मुंह मांगे दाम मिले फिर भी वो नहीं कर रहा है, आपके बारे में सुना है कि आपके कमिटमेंट पक्के होते हैं।
विमल : आज मुझे ये डर लग रहा है कि मेरा राजा मेरी मदद नहीं कर रहा, फैसला हो गया ना जीवन में…

बातें सुन विवेक ने कहा, काउंसिल में बात करते हैं
कल सबको बुला लो, उसको कहो…तेरे सब इंस्पेक्टरों को बुला ले, जब तूने पैसे भी ले लिए, रिपोर्ट पॉजीटिव क्यों नहीं लिखी, क्या दिक्कत है, ऑफिशियली बैठ जाएंगे मेडिकल काउंसिल में, इंस्पेक्टरो को बुला लेंगे…जब तुमने पैसे लिए हैं तो लिखी क्यों नहीं, चलो कोई बात नहीं। कल साहब…किशनगढ़ से आ रहे हैं…
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