उन्होंने कहा कि विधानसभा संविधान का बड़ा मंदिर है। इसके प्रति लोगों की आस्था है। अधिकारियों की लापरवाही का आलम यह है कि अभी चौदहवीं विधानसभा चल रही है, लेकिन ग्यारहवीं, बारहवीं और तेरहवीं विधानसभा के विभागों से संबंधित कार्य आज भी लंबित चल रहे हैं। लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ग्यारहवीं, बारहवीं और तेरहवीं विधानसभा के सभी लंबित कार्य अब आने वाले विधानसभा सत्र से पहले पूरे हो जाने चाहिए। इसके साथ ही चौदहवीं विधानसभा के कार्यों को भी प्राथमिकता से निपटाया जाए।
हाल ही विधानसभा के संपन्न हुए बजट सत्र के दौरान 27 फरवरी को विभागों के 72 वार्षिक प्रतिवेदन देरी से पेश करने पर उपाध्यक्ष ने संसदीय कार्य मंत्री को फटकार लगाते हुए अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी थी। हालांकि संसदीय सचिव की और से सदन में माफी मांगे जाने पर अधिकारियों को विधानसभा अध्यक्ष के सामने पेश होकर माफी मांगने के लिए कहा था। इसी मामले में संसदीय सचिव और अधिकारी माफी मांगने के लिए विधानसभा स्थित अध्यक्ष कक्ष में पहुंचे थे। संसदीय कार्य मंत्री राजेन्द्र राठौड़ के साथ मुख्य सचिव एन.सी. गोयल, अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त डी.बी. गुप्ता, सामान्य प्रशासन विभाग के पवन कुमार गोयल और विधि विभाग के मनोज कुमार व्यास मौजूद थे। सभी सुबह करीब साढ़े 11 बजे विधानसभा पहुंचे और एक घंटे सुनवाई चली।
अधिकारी केबिनेट सचिवालय में दे चुके थे सफाई… विभागों के 72 वार्षिक प्रतिवेदनों में देरी के लिए 15 अतिरिक्त मुख्य सचिव और प्रमुख सचिवों को विधानसभा में माफी मांगनी थी। लेकिन विधानसभा से मिली राहत के चलते सभी अधिकारियों ने केबिनेट सचिवालय में प्रतिवेदन पेश करने में हुई देरी को लेकर पक्ष रख दिया था। इसी आधार पर मुख्य सचिव गोयल ने विधानसभा में जानकारी दी।