
NHRC Action : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने राजस्थान के 2 मामलों में सख्त रुख आख्तियार किया। इसके तहत स्वत: संज्ञान लेते हुए राजस्थान के मुख्य सचिव और DGP को नोटिस दिया। साथ ही आयोग ने निर्देश दिए कि दो सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट जमा कराएं। राजस्थान के ये दो मामले बेहद दर्दनाक थे।
मीडिया की खबर पर स्वतः संज्ञान लेते हुए NHRC ने कहा है कि खबर सच है, तो यह मानवाधिकार के उल्लंघन का गंभीर मामला है। उसने कहा कि छोटे बच्चों के खुले/छोड़े गए बोरवेल और ट्यूबवेल में गिरने की ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं/घातक दुर्घटनाओं को रोकने संबंधी उच्चतम न्यायालय और केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का अधिकारी पालन नहीं कर रहे हैं। यह साफतौर पर कर्तव्य के प्रति उनकी लापरवाही और लोगों के जीवन के अधिकार का उल्लंघन है।
आयोग ने मामले में दर्ज प्राथमिकी, जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई और मृतक के परिजनों को दिए गए मुआवजे इत्यादि की जानकारी भी देने को कहा है।
वहीं दूसरा मामला जयपुर के सवाई मान सिंह मेडिकल कॉलेज के जेके लोन अस्पताल में इलाज के दौरान 10 वर्षीय बच्चे को दो अलग-अलग समूह के रक्त को चढ़ा दिया गया। जिसकी वजह से बच्चे की हालत गंभीर है। उसे वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है।
आयोग ने कहा है कि खबर में दी गई सूचना सही होने पर यह बच्चे के मानवाधिकार के गंभीर उल्लंघन का मामला है क्योंकि डॉक्टरों या चिकित्सा पेशेवरों की किसी भी लापरवाही से मरीजों को गंभीर क्षति पहुंच सकती है जिसकी भरपाई नहीं हो सकती। कुछ महीने पहले जयपुर के इस अस्पताल में ऐसी ही लापरवाही से एक 23 वर्षीय मरीज की जान जाने का आरोप है। एक ही अस्पताल में रक्त आधान में लापरवाही के दो कथित मामले चौंकाने वाले और चिंता का विषय हैं क्योंकि यह मरीजों के स्वास्थ्य और जीवन के अधिकार का उल्लंघन है। ऐसी लापरवाही करने वाले व्यक्तियों की पहचान करने और घटना की पुनरावृत्ति रोकने के लिए मामले की गहरी जांच जरूरी है।
Updated on:
17 Dec 2024 12:06 pm
Published on:
17 Dec 2024 12:05 pm
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