
Rajasthan News : राजस्थान सरकार की उड़ान योजना के तहत राजस्थान चिकित्सा सेवा निगम लिमिटेड (आरएमएससीएल) ने सेनेटरी नैपकिन की खरीद और वितरण करने से हाथ खींच लिए हैं। 1 करोड़ 22 लाख छात्राओं और महिलाओं को निःशुल्क सेनेटरी नैपकिन मिलने पर संकट खड़ा हो गया है। गत 2 माह से स्कूलों-कॉलेजों व आंगनबाड़ी केन्द्रों में सेनेटरी नैपकिन नहीं पहुंच पाए हैं। सितंबर के बाद योजना के तहत सेनेटरी नैपकिन की खरीद नहीं हो रही है।
आरएमएससीएल ने योजना के प्रथम शेड्यूल में 3 माह अप्रेल, मई व जून 2024 तक के लिए ही सेनेटरी नैपकिन खरीदकर वितरित किए। इसके बाद जुलाई से अगले साल मार्च-2025 तक के लिए सेनेटरी नैपकिन की खरीद और वितरण करने से मना कर दिया है। इस सम्बंध में आरएमएससीएल की प्रबंधन निदेशक ने महिला अधिकारिता विभाग की आयुक्त को पत्र लिखा है। इसमें विभाग अपने स्तर पर सेनेटरी नैपकिन की खरीद और वितरण की व्यवस्था करने को कहा। वहीं विभाग ने अक्टूबर में ही वित्तीय वर्ष 2024-25 के शेड्यूल द्वितीय व तृतीय के लिए प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति जारी कर डिमांड आरएमएससीएल को भेज दी है।
विभाग के अधिकारियों की मानें तो हर माह 99 हजार 776 केन्द्रों पर एक करोड़, 22 लाख, 23 हजार, 990 छात्राओं और महिलाओं को सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध करवाई जाती है। एक लाभार्थी को प्रतिमाह 12 सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध कराए जाते हैं।
शेड्यूल प्रथम यानी अप्रेल से जून तक का वितरण सितंबर तक पूरा हो चुका है। अब अक्टूबर से बाद से सेनेटरी नैपकिन की खरीद और वितरण बंद हो गई है।
महिला एवं बाल विकास विभाग की समीक्षा बैठक में भी यह मामला उठा, तब मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने आरएमएससीएल के माध्यम से ही सेनेटरी नैपकिन की खरीद और वितरण करने के निर्देश दिए थे। उसके बाद इस पर अभी तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है। फाइल अभी वित्त विभाग में ही घूम रही है।
आरएमएससीएल ही दवाओं आदि की खरीद करती है। इसके लिए उसके पास पूरा तंत्र है। इसके लिए अलग से पोर्टल भी बना रखा है। जबकि महिला अधिकारिता विभाग के पास एक्सपर्ट नहीं है। गोदाम आदि की व्यवस्था भी नहीं है।
हर तीन माह में 90 करोड़ रुपए का भुगतान
प्रदेश की छात्राओं और महिलाओं को नि:शुल्क सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध करवाने के लिए उड़ान योजना के तहत सालाना 500 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है। महिला अधिकारिता विभाग हर तीन माह में करीब 90 करोड़ रुपए आरएमएससीएल को सेनेटरी नैपकिन खरीदने और बांटने के लिए देती है। हालांकि इससे पहले वित्त विभाग से अनुमति लेना जरूरी होता है। विभाग के अफसरों की मानें तो जून तक का भुगतान भी कर दिया गया है।
विभाग - लाभार्थी
उच्च प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों - 23, 05, 367
आंगनबाड़ी केन्द्रों - 95,58,274
आयुक्तालय कॉलेज शिक्षा - 2,38,976
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग - 23,961।
Published on:
12 Dec 2024 03:07 pm
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