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फिल्म पद्मावती विवाद में उतरे आसाराम, अब कह गए कुछ एेसा…

locationजोधपुरPublished: Nov 21, 2017 03:51:22 pm

Submitted by:

Harshwardhan bhati

एससीएसटी कोर्ट में नाबालिग छात्रा के साथ यौन दुराचार के मामले में बचाव पक्ष की ओर से पूर्व में अधूरी रही अंतिम बहस मंगलवार को शुरू हुई।

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जोधपुर . बॉलीवुड फिल्म पद्मावती पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। तीन-चार राज्यों में इस विवाद की आग जोरों पर भड़की हुई है। इस विवाद में जहां छोटे-बड़े नेता और अभिनेताओं के तीखे बोल सामने आ रहे हैं। वहीं मंगलवार को आसाराम भी इस विवाद में कूद पड़े। विभिन्न विवादों में सुर्खियों में रहने वाले आसाराम ने इस बार फिल्म पद्मावती को लेकर अपनी राय अभिव्यक्त की। एससीएसटी कोर्ट में नाबालिग छात्रा के साथ यौन दुराचार के मामले में बचाव पक्ष की ओर से पूर्व में अधूरी रही अंतिम बहस मंगलवार को शुरू हुई। इस दौरान सुनवाई के लिए आए आसाराम को दंगा नियंत्रण वाहन वज्र में भारी सुरक्षा के साथ लाया गया। कोर्ट परिसर में आसाराम समर्थकों की भारी भीड़ उमड़ी। यहां पहुंचने पर मीडिया ने पद्मावती फिल्म के रिलीज को लेकर सवाल पूछे। मीडियाकर्मियों ने आसाराम से पूछा कि क्या फिल्म पद्मावती रिलीज होनी चाहिए की नहीं?। इस पर आसाराम ने एकदम से अनभिज्ञता जाहिर कर दी और कहा जो ठीक हो वह होना चाहिए।
मुझे पद्मावती मामले में मत घसीटो : आसाराम

पिछले दिनों सुनवाई पर आए नाबालिग के साथ यौन दुराचार के आरोप में चार साल से मुकदमे का सामना कर रहे आसाराम ने कहा था कि फिल्म पद्मावती के मामले में मुझे मत घसीटो। मुझे किसी से लेना-देना नही है। संबंधित कोर्ट में पीठासीन अधिकारी नहीं होने से गत शनिवार को आसाराम की सुनवाई टल गई थी। गत दिनों आसाराम ने कोर्ट में आते जाते मीडियाकर्मियों से बातचीत भी की और शेर भी सुनाए थे। आसाराम ने कहा, बुरे हैं वो मर्द, जो हर हाल में खुश नहीं रहते और जिन्दगी का बोझ हर हाल में उठाना चाहिए। इसके साथ लौटते हुए अपने समर्थकों को भी चुप रहने का इशारा किया और कहा कि कोर्ट के बार-बार कहने के बावजूद हल्ला करते हैं, वो अच्छा नही है, न्यायपालिका का सम्मान करना चाहिए।


हुए कई खुलासे


अनुसूचित जाति जनजाति के विशिष्ट न्यायाधीश मधुसूदन शर्मा की अदालत में चल रहे अपने ही आश्रम की नाबालिग छात्रा के साथ यौन दुराचार में आरोपी आसाराम के मामलें में गत शुक्रवार को बचाव पक्ष की ओर से चल रही अंतिम बहस में कई खुलासे हुए। आसाराम के अधिवक्ता सज्जनराज सुराणा ने कहा कि एएसआई पुष्पलता जो पुलिस हेल्पलाईन की प्रभारी थी। उसने प्रथम सुचना रिपोर्ट कैसे लिखी, उसे यह अधिकार ही नहीं था, हेल्पलाईन रजिस्टर के कुछ पन्ने फाड़ दिए गए। इस तरह पुष्पलता ने पीडि़ता की मां तथा अन्य से मिलकर षडयंत्र पूर्वक उनके मुवक्किल को झूठा फंसाया है।
महिला पुलिस अधिकारी ने मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना ही पीडि़ता का गैरकानूनी तरीके से दो बार मेडिकल करवा दिया। बिना उचित कारण एफआईआर को स्वयं के पास रोके रखा। अधिवक्ता सुराणा ने कहा कि इस तरह से पूरा मामला ही मनगढ़ंत तथा बेबुनियाद है। इस मामले में मुख्य आरोपी आसाराम को कड़ी सुरक्षा के साथ दोपहर दो बजे न्यायालय में पेश किया गया। इस दौरान पुलिस को आसाराम के समर्थकों को हटाने की काफी मशक्कत करनी पड़ी।

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