
एग्रीस्टेक पर अब रजिस्ट्रेशन 30 तक (Photo source- Patrika)
CG News: राज्य सरकार ने किसानों के लिए एग्रीस्टेक पोर्टल पर पंजीयन अनिवार्य कर दिया है। अब कोई भी किसान इस पोर्टल में फार्मर आईडी रजिस्टर नहीं करता है, तो वह न केवल समर्थन मूल्य पर धान नहीं बेच पाएगा, बल्कि फसल बीमा, पीएम किसान समान निधि समेत अन्य योजनाओं से भी वंचित रह जाएगा। यह व्यवस्था खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 से लागू होने जा रही है।
पंजीयन की अंतिम तारीख 30 अगस्त तय की गई है। ऐसे में दुर्गूकोंदल, कोदापाखा, लोहत्तर, चिखली, दमकसा और हाटकोंदल क्षेत्र के किसानों से संबंधित आदिम जाति सेवा सहकारी समितियों ने किसानों से समय रहते पंजीयन कराने की अपील की है। बता दें कि एग्रीस्टेक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जिसे भारत सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिए विकसित किया है। इसका उद्देश्य किसानों की वास्तविक पहचान, फसल, भूमि, मौसम, मिट्टी, उत्पादन और वित्त से जुड़ी जानकारियों को एक जगह एकत्रित करना है।
इससे किसानों को योजनाओं का लाभ सीधे उनके खाते में तेजी और पारदर्शिता के साथ मिल सकेगा। एग्रीस्टेक में एक बार पंजीयन होने पर किसानों को बार-बार दस्तावेज जमा नहीं करने पड़ेंगे। इससे सरकारी प्रक्रिया सरल, फार्मर डेटा सुरक्षित और डुप्लिकेशन खत्म होगा। पंजीयन के लिए किसान लेमप्स और सीएससी सेंटर (कॉमन सर्विस सेंटर) में जाकर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। पंजीयन के लिए किसान कार्ड, आधार और ई-केवाईसी जरूरी है। पंजीकरण ई-केवाईसी युक्त होता है, जिससे किसान की वास्तविक पहचान सुनिश्चित होती है।
दुर्गूकोंदल समिति प्रबंधक जितेंद्र साहू, लोहत्तर के संतु पांडेय, कोदापाखा की राकेश्वरी पुजारी ने किसानों से अपील की है कि वे 30 अगस्त से पहले एग्रीस्टेक पोर्टल में अपना पंजीयन करा लें। पंजीयन के अभाव में उन्हें धान बेचने और सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में परेशानी हो सकती है। उन्होंने बताया कि राज्य शासन ने यह नई व्यवस्था किसानों की सुविधा और पारदर्शिता के लिए लागू की है।
इससे किसानों को बार-बार दस्तावेज जमा नहीं करना पड़ेगा। भविष्य में योजनाओं का लाभ डिजिटल रूप से सीधे उनके खातों में मिलेगा। पुराने किसानों के साथ ही जो किसान पहली बार खेती शुरू कर रहे हैं, वे भी एग्रीस्टेक पोर्टल में पंजीयन करा सकते हैं। उन्हें भी योजनाओं का लाभ मिलेगा।
CG News: कृषक उन्नति योजना के अंतर्गत यदि किसान धान की जगह दूसरी खरीफ फसलें जैसे दलहन, तिलहन, मक्का, कोदो, कुटकी, रागी या कपास की खेती करता है, तो उसे प्रति एकड़ 10,000 से 11,000 रुपए तक की आदान सहायता राशि मिलेगी। इसके लिए फसल की गिरदावरी रिपोर्ट में पुष्टि होना जरूरी है।
इस बार पंजीयन प्रक्रिया कृषि विभाग, खाद्य विभाग और राजस्व विभाग के बीच इंटर-डिपार्टमेंटल कोऑर्डिनेशन के जरिए अधिक मजबूत किया गया है। धान खरीदी पोर्टल पर किसानों का डेटा एग्रीस्टेक की फार्मर रजिस्ट्री से एपीआई के माध्यम से लिया जाएगा। इससे विभागों के बीच डेटा की एकरूपता बनी रहेगी और काम में पारदर्शिता व गति आएगी।
Published on:
27 Aug 2025 01:46 pm
बड़ी खबरें
View Allकांकेर
छत्तीसगढ़
ट्रेंडिंग
