scriptकबाड़ के लिए घर-घर घूमते हैं पिता, बेटा अरविन्द बनेगा डॉक्टर | Story of student Arvind is inspiring for millions of medical students | Patrika News

कबाड़ के लिए घर-घर घूमते हैं पिता, बेटा अरविन्द बनेगा डॉक्टर

locationकोटाPublished: Oct 23, 2020 06:39:48 pm

Submitted by:

Kanaram Mundiyar

-परिवार को सम्मान दिलाने की जिद पर एलन कोटा में पढ़कर नीट क्रेक कर साधारण से असाधारण बना अरविंद
-अरविन्द ने यह साबित कर दिया कि मजबूत इरादा रखें तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं

कबाड़ के लिए घर-घर घूमते हैं पिता, बेटा अरविन्द बनेगा डॉक्टर

कबाड़ के लिए घर-घर घूमते हैं पिता, बेटा अरविन्द बनेगा डॉक्टर

कोटा.
छात्र अरविन्द की कहानी उन लाखों मेडिकल विद्यार्थियों के लिए प्रेरणादायक हैं, जो संघर्ष व अभावों का सामना करते हुए कई बार लक्ष्य की राह छोड़ देते हैं। अरविन्द ने यह साबित कर दिया कि मजबूत इरादा रखें तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं है। अभावों में पले-बढ़े और लग्र से पढ़ाई करने वाले उत्तरप्रदेश के छात्र अरविन्द ने कोटा रहकर नीट परीक्षा में सफलता हासिल की है।

परिवार को गांव में सम्मान दिलाने पिता की शर्म को गर्व में बदलने का इरादा लिए ये छात्र दो साल पहले एलन कोटा आया था। यहां मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी की और अब मेडिकल कॉलेज में दाखिले की तैयारी है। डॉक्टर बनकर वो अपने माता-पिता का गौरव बनना चाहता है। अरविन्द ने नीट-2020 में 620 अंक प्राप्त किए। आल इंडिया 11603 एवं ओबीसी कैटेगिरी रैंक 4392 प्राप्त की है।

अरविन्द कुमार मूलत: उत्तरप्रदेश में कुशीनगर के बरडी गांव का निवासी है। अरविन्द के पिता भिखारी कुमार कबाड़ी का काम करते हैं। वे साइकिल रिक्शे पर गली-गली घूमकर कबाड़ खरीदते हैं और इसे बेचकर परिवार की आजीविका चलाते हैं। गांव में काम नहीं था, पारिवारिक परिस्थितियां विपरीत थी, ऐसे में पांचवी तक पढ़े-लिखे पिता भिखारी ने गांव से भी बहुत दूर जमशेदपुर टाटा नगर में जाकर यह काम किया। मां ललिता देवी निरक्षर है और घर का काम करती है। उनकी इच्छा थी कि अरविन्द डॉक्टर बने। इसके लिए उन्होंने खुद संघर्ष किया और बेटे को मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट की तैयारी करने कोटा भेजा। एलन में एडमिशन दिलवाया, पहले प्रयास में रैंक अच्छी नहीं आई तो फिर मेहनत की। दूसरे प्रयास में सफलता हासिल की।
दसवीं में 48 और 12वीं में 60 प्रतिशत प्राप्तांक-
अरविन्द के दृढ़ संकल्प का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उसने पढ़ाई में एक सामान्य छात्र रहते हुए यह उपलब्धि हासिल की। वो गोरखपुर के सरकारी स्कूल में पढ़ा। रोजाना साइकिल से 8 किलोमीटर आता-जाता था। 10वीं कक्षा 48 प्रतिशत एवं 12वीं कक्षा 60 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। इतने कम अंकों के बाद भी डॉक्टर बनने का सपना देखा और खुद को तैयार किया। अरविन्द ने बताया कि एलन का मार्गदर्शन टर्निंग प्वाइंट रहा।

कोटा ने बदली किस्मत-
अरविन्द ने कहा कि मैं अपनी सफलता का श्रेय पूरी तरह से कोटा को देना चाहता हूं। यदि मैं कोटा नहीं आता तो अपने-आपको इतना नहीं निखार पाता। मैं एक सामान्य स्टूडेंट था। जिसने 12वीं में मात्र 60 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। दसवीं में भी सैकंड डिवीजन था। कोटा में माहौल मिला तो मैं निखरता चला गया। यहां इंस्टीट्यूट में पढ़ाई में किसी तरह का भेदभाव नहीं होता है। हर स्टूडेंट को हर सुविधा दी जाती है और उसकी प्रतिभा के साथ न्याय किया जाता है।
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गांव का पहला डॉक्टर होगा अरविन्द-
अरविन्द के अनुसार वह अपने गांव का पहला डॉक्टर होगा। उसने बताया कि छोटा भाई अमित कुमार शिक्षक भर्ती परीक्षा की तैयारी कर रहा है। एमबीबीएस करने के बाद आर्थोपेडिक सर्जन बनना चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि परिवार को सम्मान मिले, पिता को पहले भिखारी कबाड़ी कहा जाता था अब उन्हें डॉक्टर के पिता के रूप में जाना जाएगा।
मेरा सपना साकार हुआ –
अरविन्द ने बताया कि कोटा में आकर एलन में प्रवेश लिया, यहां अपनी परिस्थिति बताई मेरी आर्थिक हालत को देखते हुए एलन ने फीस में 75 प्रतिशत की छूट दी। किराए से कमरा लेकर रहता था। कम अंक होने के बावजूद टीचर्स ने मुझे कमजोर नहीं समझा। मुझे हर समय मोटिवेट किया, अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए सहयोग दिया।
हर स्टूडेंट का सपना पूरा हो-
कॅरियर सिटी कोटा का यही उद्देश्य है कि हर स्टूडेंट का सपना पूरा हो। यहां का माहौल और मेहनत ही है कि साधारण बालक भी असाधारण बन जाता है। किसी भी छात्र की प्रगति में आर्थिक तंगी या दूरी बाधक नहीं बने, प्रतिभा को अपना मुकाम मिले। यही कोटा की असली कामयाबी है। अच्छा लगता है जब अरविन्द जैसे स्टूडेंट्स के सपने एलन पूरे करता है।
-नवीन माहेश्वरी निदेशक एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट
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