Published: Jun 20, 2018 01:12:16 pm
Saurabh Sharma
मुक्तामणि ने मुक्ता शूज नाम की कंपनी की स्थापना 1990 में की, आज उनके हाथों से बने इन जूतों को बहुत से देशों जैसे ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम, मेक्सिको और कुछ अफ्रीकी देशों में एक्सपोर्ट किया जाता है।
मणिपुर की इस महिला ने अपने हुनर से बनाया इंग्लैड आैर आॅस्ट्रेलिया को अपना दीवाना
नर्इ दिल्ली। फिल्म नसीब का एक गाना काफी पाॅपुलर हुआ था, ‘जिंदगी इम्तिहान लेती है’। इस गाने के बोल आज एक महिला पर पूरी तरह से चरितार्थ होते हैं। क्योंकि जिस इम्तिहान से वो 28 साल पहले गुजरी थी, वो उसमें अव्वल नंबरों से पास हुर्इ है। आैर एेसी पास हुर्इ है कि सिर्फ भारत में ही नहीं उनका नाम आॅस्ट्रेलिया आैर इंग्लैंड में भी गूंज रहा है। कभी ना हार मानने का जज्बा लेकर मैदान में उतरी मणिपुर की इस महिला ने अपने हुनर आैर मेहनत से सभी को अपना दीवाना बना लिया। आइए आपको भी बताते हैं इस महिला के संघर्ष आैर सफलता की कहानी…
इस महिला ने दिया वक्त आैर जिंदगी को माकूल जवाब
वक्त आैर जिंदगी इम्तिहान लेते हैं तो कोर्इ कोताही नहीं बरतते हैं। उन्हें माकूल जवाब देने वाला ही सफलता की नर्इ गाथाआें को गढ़ता है आैर नए पैमाने कायम करता है। यह कहानी है मोइरांगथेम मुक्तामणी देवी की। उनके साथ एक दिलचस्प कहानी जुड़ी हुर्इ हैै। मुक्तामणि घर में सामान जैसे जूते, चप्पल आदि सामान बेचकर अपने घर का चलाती थी। जब उनकी बेटी उन्हीं के बनाए हुए जूते पहनकर गर्इ तो स्कूल में उसे बाकी बच्चों की तरह जूते पहनकर आने को कहा गया। बस यहीं से मुक्तामणि की जिंदगी का संघर्ष आैर सफलता की कहानी शुरू होती है।
28 साल पुराना है मुक्तामणि का सफर
मुक्तामणि ने मुक्ता शूज नाम की कंपनी की स्थापना 1990 में की। जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुढ़कर नहीं देखा। आज उनके हाथों से बने इन जूतों को बहुत से देशों जैसे ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम, मेक्सिको और कुछ अफ्रीकी देशों में एक्सपोर्ट किया जाता है। मुक्तामणी आज 1000 लोगों को ट्रेनिंग दे रही हैं। उनकी जूतों की फैक्ट्री मुक्ता इंडस्ट्री में महिलाओं, पुरुषों, और बच्चों के लिए दस्तकारी जूते और सैंडल्स बनाए जाते हैं। उनकी कीमत 200 रुपए से 800 रुपये तक होते हैं। इन जूतों और सैंडल्स केवल भारत में ही नहीं विश्व भर में मांग है।
अवाॅर्ड से किया गया था सम्मानित
मुक्तामणि को उनके संघर्ष आैर सफलता के लिए अवाॅर्ड भी मिल चुका है। नेशनल इंश्योरेंस और टेलीग्राफ की मेजबानी में किए गए समारोह ट्रू लेजेंड्स अवार्ड्स से सम्मानित किया गया और उन्होंने अपना यह सम्मान देश की महिलाओं के नाम समर्पित कर दिया। आज मुक्ता देश की महिलाआें के लिए ही नहीं बल्कि उन तमाम लोगों के लिए आदर्श बनी हुर्इ हैं जो जिंदगी से हार मानकर बैठ जाते हैं।