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तो क्या कांग्रेस का सपा से हो गया मोहभंग? अखिलेश यादव के बुलाने पर भी बैठक में नहीं पहुंचे कांग्रेस व बसपा नेता

locationलखनऊPublished: Jan 07, 2018 09:40:35 am

Submitted by:

Hariom Dwivedi

सपा ने शनिवार को जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट में विपक्षी दलों की एक मीटिंग बुलाई थी, जिसमें बसपा-कांग्रेस समेत विपक्षी दलों को बुलाया गया था…

 janeshwar mishra trust meeting
लखनऊ. समाजवादी पार्टी ने शनिवार को राजधानी के जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट में विपक्षी दलों की एक मीटिंग बुलाई थी। मीटिंग का मकसद ईवीएम के बजाय बैलेट पेपर से चुनाव कराने के मुद्दे पर समर्थन जुटाना था। इसके लिए अखिलेश यादव के निर्देश के बाद सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने कांग्रेस, बसपा, रालोद, लोकदल, सीपीआई, सीपीएम समेत सभी विपक्षी दलों को बुलावा भेजा था। बैठक तय समय पर शुरू भी हुई, लेकिन बैठक में कांग्रेस और बसपा के किसी भी प्रतिनिधि ने भाग लिया। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि लोहिया ट्रस्ट पर आयोजित बैठक में कांग्रेस और बसपा के किसी भी प्रतिनिधि का शामिल होना होना, ईवीएम के खिलाफ विपक्ष की एकता पर सवाल है। कांग्रेस के मीटिंग में न आने पर यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या कांग्रेस पार्टी का समाजवादी पार्टी से मोहभंग हो गया है?
गुजरात चुनाव परिणाम के बाद सपा और अन्य दलों के मध्य ईवीएम की गड़बड़ी को जनआंदोलन का रूप देने पर चर्चा हुई। माना जा रहा है कि इसी का परिणाम है कि समाजवादी पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले ईवीएम के खिलाफ विपक्षी दलों की एकजुटता के लिए शनिवार को लोहिया ट्रस्ट पर बैठक बुलाई। सूत्रों की मानें तो इस बैठक में गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव पर भी चर्चा होनी थी। साथ ही इस मीटिंग का मकसद भी 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकजुटता ही था।
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तो क्या कांग्रेस का सपा से हो गया मोहभंग?
लोहिया ट्रस्ट पर आयोजित बैठक का यूपी के दो बड़े दलों कांग्रेस और बसपा द्वारा बहिष्कार कर दिया गया। जबकि यूपी के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद से भी अखिलेश यादव सपा-कांग्रेस के गठबंधन की बात कहते रहे हैं। लेकिन शनिवार को आयोजित बैठक में कांग्रेस का कोई प्रतिनिधि नहीं पहुंचा। ऐसे सवाल उठने लगे हैं कि क्या कांग्रेस पार्टी का समाजवादी पार्टी से मोहभंग हो गया है। पिछले माह ही संपन्न हुए सिकंदरा विधानसभा चुनाव में भी समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के खिलाफ कांग्रेस पार्टी ने अपना प्रत्याशी उतारा था।
ईवीएम के खिलाफ सबसे पहले भाजपा ने उठाई थी आवाज
2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा सुप्रीमो मायावती ने सबसे पहले ईवीएम में गड़बड़ी को लेकर सवाल उठाये थे। उसके बाद 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में सपा, बसपा, कांग्रेस और रालोद ने भाजपा पर ईवीएम में गड़बड़ी के आरोप लगाये। हाल ही में गुजरात विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद विपक्षी दलों ने भाजपा की जीत की वजह ईवीएम में गड़बड़ी को माना था। हालांकि, वर्ष 2009 में भारतीय जनता पार्टी ने ही सबसे पहले ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाया था, लेकिन तब मामला इतना तूल न पकड़ सका था।
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