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UP Government: आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के लिए Yogi सरकार का बड़ा फैसला, बनेगा सेवा निगम

UP Government Job:   उत्तर प्रदेश सरकार ने आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के हित में बड़ा कदम उठाते हुए 'उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम' के गठन को मंजूरी दे दी है। यह निगम कर्मचारियों के पारिश्रमिक, सामाजिक सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा करेगा तथा प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करेगा।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Jul 04, 2025

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दी निगम गठन को मंजूरी, पारदर्शिता, सुरक्षा और स्थायित्व की दिशा में बड़ा फैसला फोटो सोर्स : Patrika

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दी निगम गठन को मंजूरी, पारदर्शिता, सुरक्षा और स्थायित्व की दिशा में बड़ा फैसला फोटो सोर्स : Patrika

UP Government Outsource Nigam 2025: प्रदेश के लाखों आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को राहत देने और उनके श्रम अधिकारों की रक्षा हेतु उत्तर प्रदेश सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम’ (UP Outsource Seva Nigam) के गठन को मंजूरी दे दी है। यह निगम न केवल प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शिता लाएगा, बल्कि आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को सम्मान, स्थायित्व और भरोसा भी प्रदान करेगा।

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मुख्यमंत्री ने यह निर्णय एक उच्चस्तरीय बैठक में लिया, जो उनके सरकारी आवास पर आयोजित की गई थी। बैठक में प्रस्तावित निगम की कार्यप्रणाली, संरचना तथा अधिकार क्षेत्र पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए।

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आउटसोर्सिंग व्यवस्था में व्यापक सुधार की आवश्यकता

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वर्तमान में आउटसोर्सिंग एजेंसियों का चयन विकेन्द्रीकृत प्रणाली के तहत किया जाता है, जिसके कारण अनेक समस्याएं सामने आती हैं। कर्मचारियों को समय पर वेतन न मिलना, वेतन में अनियमितता, ईपीएफ (EPF) और ईएसआई (ESI) जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से वंचित रह जाना और एजेंसियों द्वारा पारदर्शिता का अभाव ये सभी गंभीर समस्याएं हैं। कर्मचारियों को आए दिन उत्पीड़न और असुरक्षा का सामना करना पड़ता है। इन सब चुनौतियों को देखते हुए मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि अब इस व्यवस्था में व्यापक सुधार की आवश्यकता है। इसी उद्देश्य से उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम के गठन का प्रस्ताव पारित किया गया है।

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कम्पनी एक्ट के तहत गठित होगा निगम

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि यह निगम कम्पनी एक्ट के तहत गठित किया जाए। इसकी सर्वोच्च संचालन इकाई के रूप में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक ‘बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स’ का गठन होगा, वहीं एक महानिदेशक निगम की कार्यपालिका का नेतृत्व करेंगे। मंडल और जिला स्तर पर भी समितियों का गठन किया जाएगा, जो स्थानीय स्तर पर निगरानी और संचालन सुनिश्चित करेंगी।

कार्मिकों को मिलेगा समय से वेतन और सभी लाभ

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि निगम से जुड़े सभी आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को उनका मासिक वेतन हर महीने की 5 तारीख तक सीधे उनके बैंक खाते में भेजा जाए। इसके साथ ही उनके ईपीएफ और ईएसआई का अंशदान समय से संबंधित प्राधिकरणों में जमा कराया जाए। कर्मचारियों को सभी अनुमन्य लाभ जैसे मेडिकल, बीमा, अवकाश आदि भी समयबद्ध तरीके से उपलब्ध कराए जाएं।

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निगम बनेगा रेगुलेटरी बॉडी, एजेंसियों पर होगी सख्त निगरानी

नया निगम केवल सेवा प्रदाता नहीं, बल्कि एक रेगुलेटरी बॉडी के रूप में भी कार्य करेगा। यह एजेंसियों की कार्यप्रणाली की निगरानी करेगा और किसी भी प्रकार की अनियमितता, उल्लंघन या कर्मचारियों के शोषण की स्थिति में संबंधित एजेंसी के विरुद्ध ब्लैकलिस्टिंग, डिबारमेंट, पेनाल्टी और वैधानिक कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

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नियुक्तियों में होगा आरक्षण का पूर्ण पालन

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि निगम द्वारा की जाने वाली सभी नियुक्तियों में संविधान प्रदत्त आरक्षण प्रावधानों का पूरी तरह से पालन किया जाएगा। इसमें अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS), महिला, दिव्यांगजन और पूर्व सैनिकों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके अलावा, निराश्रित, तलाकशुदा और परित्यक्त महिलाओं को भी नियुक्तियों में वरीयता दी जाएगी।

GeM पोर्टल से एजेंसी चयन, वर्तमान कर्मियों की सेवाएं नहीं होंगी बाधित

एजेंसियों का चयन GeM पोर्टल (Government e-Marketplace) के माध्यम से न्यूनतम तीन वर्षों की अवधि के लिए किया जाएगा। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वर्तमान में कार्यरत आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की सेवाएं किसी भी स्थिति में बाधित न हों। चयन प्रक्रिया में वर्तमान कर्मियों को उनके अनुभव के आधार पर वेटेज (वज़न) मिलेगा।

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नियमित पदों पर नहीं होगी आउटसोर्स नियुक्ति

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिए कि नियमित पदों के विरुद्ध किसी भी प्रकार की आउटसोर्स सेवा नहीं ली जाएगी। साथ ही, किसी भी कर्मचारी को बिना सक्षम अधिकारी की संस्तुति के सेवा से मुक्त नहीं किया जाएगा।

प्रशासनिक पारदर्शिता और कर्मचारी कल्याण का संकल्प

मुख्यमंत्री ने कहा, “राज्य सरकार प्रत्येक कर्मचारी की गरिमा, सुरक्षा और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम प्रदेश की प्रशासनिक प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही का एक नया अध्याय जोड़ेगा। इससे जहां एक ओर लाखों आउटसोर्सिंग कर्मियों को सुरक्षा, सम्मान और लाभ मिलेगा, वहीं प्रशासनिक दक्षता में भी गुणात्मक सुधार होगा।”

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राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण निर्णय

यह निर्णय सामाजिक न्याय, कर्मचारी कल्याण और बेहतर प्रशासनिक व्यवस्था की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल माना जा रहा है। वर्षों से संविदा और आउटसोर्सिंग पर कार्यरत कर्मचारियों की प्रमुख मांगों में वेतन की स्थायित्व, सामाजिक सुरक्षा और पारदर्शी व्यवस्था शामिल रही हैं। यह निर्णय न केवल उनकी मांगों का सम्मान है, बल्कि एक समावेशी और उत्तरदायी शासन का प्रतीक भी है।