
Old 1980 rules scrapped, officials will no longer be called 'gram sevak' Photo source: Social Media X
UP Revamps Gram Vikas Officers' Policy: उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्राम विकास अधिकारियों की सेवा शर्तों और भर्ती प्रक्रिया में एक बड़ा प्रशासनिक और संरचनात्मक सुधार करते हुए कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इन बदलावों से ग्राम्य विकास तंत्र में पारदर्शिता, कुशलता और तकनीकी दक्षता बढ़ने की उम्मीद की जा रही है। अब ग्राम विकास अधिकारी राज्य अधीनस्थ अराजपत्रित सेवा के अंतर्गत आएंगे और उनका तबादला एक जिले से दूसरे जिले में किया जा सकेगा। सरकार द्वारा 1980 की ग्राम सेवक सेवा नियमावली को पूरी तरह से निरस्त कर दिया गया है। इसके साथ ही ‘ग्राम सेवक’ पदनाम को समाप्त कर सभी संबंधित पदधारकों को अब ‘ग्राम विकास अधिकारी’ के रूप में जाना जाएगा।
अब तक ग्राम विकास अधिकारियों की नियुक्ति संबंधित जिले तक सीमित होती थी और उनके तबादले की व्यवस्था सीमित अधिकार क्षेत्र में ही थी। लेकिन अब, इन्हें राज्य अधीनस्थ अराजपत्रित सेवा में समाहित करने के बाद यह अधिकारी राज्य स्तर पर ट्रांसफर व पोस्टिंग के लिए पात्र हो गए हैं। इससे प्रशासनिक संतुलन, पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित होगी। इस फैसले से यह संभावना भी बनी है कि किसी एक जिले में अधिक समय तक जमे अधिकारियों को अन्य जिलों में स्थानांतरित किया जा सकेगा, जिससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगने की उम्मीद है।
राज्य सरकार ने ‘ग्राम सेवक’ शब्द को अब आधिकारिक रूप से समाप्त कर दिया है। इस नाम में बदलाव केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इससे पद की प्रतिष्ठा, जिम्मेदारी और अधिकारों की स्पष्टता बढ़ेगी। साथ ही, ग्राम्य विकास के क्षेत्र में काम करने वाले अधिकारियों की छवि भी और अधिक सशक्त होगी।
नई नियमावली के अंतर्गत अब ग्राम विकास अधिकारी के पद पर नियुक्ति के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड से इंटरमीडिएट या समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण होना अनिवार्य होगा। पहले कुछ मामलों में न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता अस्पष्ट थी या पुरानी प्रणाली पर आधारित थी, जिससे चयन प्रक्रिया में कई तरह की विसंगतियाँ सामने आती थीं। अब इस नए प्रावधान से यह सुनिश्चित होगा कि पद पर आने वाला प्रत्येक व्यक्ति न्यूनतम शैक्षिक योग्यता से सुसज्जित हो, जिससे प्रशासनिक कार्यों की गुणवत्ता बेहतर हो।
वर्तमान समय में सरकारी कार्यों में कंप्यूटर का उपयोग तेजी से बढ़ा है। इसे ध्यान में रखते हुए ग्राम विकास अधिकारी और सहायक विकास अधिकारी की भर्ती में अब "ट्रिपल सी (CCC)" यानी ‘कोर्स ऑन कंप्यूटर कॉन्सेप्ट्स’ प्रमाणपत्र अनिवार्य कर दिया गया है।
अब तक इन पदों के लिए कंप्यूटर ज्ञान आवश्यक नहीं था, जिससे भर्ती होने वाले उम्मीदवारों को विभागीय कार्यों में तकनीकी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। लेकिन अब यह सर्टिफिकेट अनिवार्य कर दिए जाने से तकनीकी दक्षता और काम की गति में निश्चित सुधार देखने को मिलेगा। ट्रिपल सी प्रमाणपत्र राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (NIELIT) द्वारा जारी किया जाता है और यह कंप्यूटर की बेसिक जानकारी देता है, जो आधुनिक सरकारी कार्य प्रणाली में आवश्यक हो गया है।
ग्राम विकास विभाग द्वारा इस नई नियमावली को तैयार करने की प्रक्रिया उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के निर्देशों के तहत की गई। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि सेवा शर्तों में व्याप्त सभी विसंगतियों को दूर कर एक आधुनिक और पारदर्शी नियमावली तैयार की जाए, जिससे ग्राम विकास कार्यों में गति और जवाबदेही आए।
ग्राम्य विकास विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि “नई नियमावली से सेवा क्षेत्र में पारदर्शिता, जवाबदेही और तकनीकी दक्षता का समावेश होगा। ग्राम विकास अधिकारियों के पास अब राज्य स्तरीय ट्रांसफर का अवसर होगा और वे तकनीकी रूप से भी अधिक सक्षम होंगे। इस बदलाव से ग्राम्य विकास योजनाओं के क्रियान्वयन में बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे।”
इस नियमावली से ग्राम विकास अधिकारियों का प्रशासनिक दायरा विस्तृत हो जाएगा। इससे अधिकारियों की जवाबदेही बढ़ेगी और स्थान विशेष पर जमे रहने की प्रवृत्ति पर रोक लगेगी। साथ ही, कंप्यूटर दक्षता बढ़ने से डिजिटल ग्राम योजना, ऑनलाइन पोर्टल्स और MIS रिपोर्टिंग जैसे कार्यों में भी गति आएगी। यह कदम ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार की विभिन्न योजनाओं जैसे प्रधान मंत्री आवास योजना, मनरेगा, जल जीवन मिशन, शौचालय निर्माण, स्वरोजगार योजना आदि के सुनियोजित कार्यान्वयन में मददगार साबित होगा।
Published on:
04 Jul 2025 08:52 am
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