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पढ़ाई से दूर न हो बचपन : इसलिए कभी मंदिर तो कभी खेत और कभी सड़क पर ही कक्षा लगा देते हैं ये शिक्षक

शिक्षा की अलख-पढ़ाई की ललक : बच्चों को पढ़ाने दिव्यांग शिक्षक की अनूठी पहल।

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पढ़ाई से दूर न हो बचपन : इसलिए कभी मंदिर तो कभी खेत और कभी सड़क पर ही कक्षा लगा देते हैं ये शिक्षक

मंदसौर/ एक तो कोरोना काल में नियमित स्कूल नहीं लग रहे, ऊपर से बारिश का मौसम, जिसने ग्रामीण इलाकों के बच्चों को शिक्षा से वंचित तक कर दिया है। ऐसे में बच्चों को पढ़ाने की ऐसी ललक जिले के रामेश्वर नागरिया में दिखी कि, वो जहां जगह मिल जाए, वहां बच्चों को पढ़ाने को प्राथमिकता देते हैं। कभी ये किसी मंदिर, तो किसी टपरे के नीचे बच्चों को पढ़ाते दिखते हैं और मौसम खुला हो तो किसी खेत या सड़क पर भी इनकी कक्षा लगी देखी जा सकती है। दिव्यांग होने के बावजूद भी रामेश्वर का हौसला बेमिसाल है।

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4 से 5 परिवारों के आधा दर्जन बच्चों को पढ़ाते हैं

प्राथमिक विद्यालय बावड़ीकलां चंद्रपुरा के शिक्षक रामेश्वर ट्राइसिलकिल से खिलचीपुरा, चंद्रपुरा और जगतपुरा पहुंच जाते हैं। यहां ये करीब 4 से 5 परिवारों के आधा दर्जन बच्चों को पढ़ाते हैं। ऐसे में आपको कभी कक्षा मंदिर में लगी मिलेगी, तो कभी खेत में, कभी खुले मैदान में तो कभी सड़क किनारे पर। रामेश्वर के पढ़ाने का तरीका भी ऐसा है, जिसके कारण उनकी कक्षा का कोई भी छात्र ललक के साथ रोज़ाना पढ़ने आता है।

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पत्रिका की खबर का हवाला देकर CMO मध्य प्रदेश ने सराहा

पत्रिका में खबर प्रकाशित होने के बाद मध्य प्रदेश सरकार के आधिकारिक ट्विटर हैंडल @CMMadhyaPradesh ने भी शिक्षक रामेश्वर नागरिया की सराहना करते हुए लिखा कि, 'जब इच्छाशक्ति प्रबल होती है तो कोई भी बाधा हमें नहीं रोक सकती। प्राथमिक विद्यालय बावड़ीकलां चन्द्रपुरा के दिव्यांग शिक्षक श्री रामेश्वर नागरिया मुश्किलों के बाद भी बच्चों को पढ़ाने हर संभव जतन कर रहे हैं। साथ ही बच्चों के अभिभावकों को कोरोना संक्रमण के प्रति जागरूक भी कर रहे हैं।'

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सरकार ने दी है छूट

शिक्षक रामेश्वर नागरिया बताते हैं कि, सरकार ने हमारा घर हमारा विद्यालय योजना में दिव्यांग शिक्षकों को छूट दी है, लेकिन में बच्चों को देखते ही पढ़ाई की कोशिश में जुट जाता हूं। रोजाना बावड़ीकलां स्कूल के पहली से आठवीं तक के छात्रों को उनके घरों तक पहुंचकर उनतक शिक्षा पहुंचाता हूं।

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एक दिन देते हैं होमवर्क, दूसरे दिन करते हैं चेक

कक्षा पांचवीं की छात्रा रितिका रावत का कहना है कि, घर पर बैठने की जगह नहीं थी तो शिक्षक हमें सड़क किनारे पेड़ के नीचे बैठाकर पढ़ाने लगे हैं। छात्रा का कहना है कि, सर कि, इस फिक्र के चलते हम अपनी पढ़ाई पूरी कर पा रहे हैं। छात्रा ने बताया कि, सर एक दिन होमवर्क देते हैं, तो दूसरे दिन उसे चेक करते हैं।