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बांस की दो टोकरियां सप्त धान से भर लें यह सात अनाज गेहूं, जौ, तिल, चावल, कंगनी, ज्वार, उरद टोकरियों में क्रम से भरें तथा पहली टोकरी में ब्रहमा जी के तथा उसके नीचे नाशपाती, लीची आदि स्त्रीवाचक फल रखें तथा सुहाग की वस्तुएं सती सावित्री को अर्पित करें तथा वरदान मांगे अक्षय सौभाग्य व अक्षय उन्नति का। इसके बाद बड़ पूजन कर बड़ को सीचें तथा कच्चे सूत को हाथ में लेकर वट वृक्ष पर लपेटते हुए सात परिक्रमा करते हुए यह भावना करें कि इस देव वृक्ष के तने में सतोगुणी विष्णु शक्ति का वास है तथा इस वृक्ष की रक्षा तथा पोषण का दायित्व पूर्णतः हमारा है। तभी हो सकेगी बड़ पूजन की सार्थकता।
यथा शक्ति करें दान पूजन के बाद यथाशक्ति गरीबों को दान करें। हो सके तो उनको खाना भी खिलाएं। गरीबों को दान करने से पूजा और व्रत का फल लगता है। दान जो भी हो यथाशक्ति हो। जरूरी नहीं कि दान अपनी हैसियत से अधिक हो।