जेल जाने के बाद सरिता समझ गई कि उसे पॉलिटिकल कनेक्शन की जरूरत है। खूबसूरत तो वो थी ही। अंग्रेजी, हिंदी, मलयालम तीनों भाषा अच्छे से बोल लेती थी। सरिता अब नंदिनी नायर बन गई और खुद को चार्टर्ड एकाउंटेंट बताने लगी। बीजू कभी खुद को स्ट्रेटेजिक इन्वेस्टर बताता था और कभी-कभी वह खुद को एक आईएएस अफसर बताता था। सरिता और बीजू बड़े नामों का इस्तेमाल करने में माहिर थे। अगर सरिता किसी से किसी योजना के बारे में बात करती थी और वह इन्ट्रेस्ट दिखाता था तो अगला फोन बीजू की तरफ से किया जाता था, जो बताता था कि वह लंदन से बोल रहा है। ये दोनों कोई न कोई प्रोग्राम आर्गनाइज कर राजनेताओं को उनमें आमंत्रित किया करते, उनके साथ फोटो खिंचवाते और अपनी पहचान का दायरा बढ़ाया करते थे।