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विज्ञान और तकनीक का आने वाले दिनों में दिखेगा कमाल…क्या सोचने भर से ही चलेंगी मशीनें?

करीब-करीब दिव्यांग हो चुके विलियम कोचेवर इसका शानदार उदाहरण हैं, जिनकी जिंदगी में विज्ञान और तकनीक ने फिर रंग भर दिए।

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Science and technology

नई दिल्ली। वह दिन दूर नहीं जब हमारे सोचने भर से ही मशीनें या उपकरण काम करने लगेंगे। दुनियाभर में जिस तरह से तकनीकी बदलाव हो रहे हैं, उसे देखते हुए यह जल्द ही संभव हो सकेगा। तकनीक हमारी दुनिया में नित नई क्रांति ला रही है। इसकी मदद से लोगों की जिंदगी में गुणात्मक बदलाव आ रहा है और जिंदगी आसान होती जा रही है। करीब-करीब दिव्यांग हो चुके विलियम कोचेवर इसका शानदार उदाहरण हैं, जिनकी जिंदगी में विज्ञान और तकनीक ने फिर रंग भर दिए। ऐसी अनोखी तकनीक पर एक नजर....

सवाल. क्या संकेतों में बदल सकती हैं सूचनाएं?

बिल्कुल। सूचनाओं को संकेतों में बदला जा सकता है, जिससे मस्तिष्क सक्रिय हो जाता है। इन्हीं के आधार पर भविष्य की तकनीक पर काम हो रहा है। विज्ञान की भाषा में इसे ब्रेनगेट सिस्टम कहते हैं, जैसा कि विलियम ने ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेसेज (बीसीआई) के जरिए कर दिखाया। सोच से ही कार्य पर काबू पाया जा सकता है।

सवाल. कितने लोगों को मिल चुका है फायदा?

तीन लाख से ज्यादा दिव्यांग लोगों को कॉचिलियर इंप्लांट्स लगाया गया है, जिससे उनको फायदा मिला है। ऐसे में वे आम जिंदगी जी पा रहे हैं। भारत समेत दुनियाभर में ऐसे कई उपकरण बनाए जा रहे हैं, जो इंसान के मस्तिष्क से नियंत्रित होंगे। ऐसे उपकरण मील का पत्थर साबित होंगे।

सवाल. किन जीवों पर हो चुका है ऐसा प्रयोग?

वैज्ञानिकों ने बंदरों के सिर में इसी तरह से प्रयोग किया है, जो उन्हें इलेक्ट्रिक सिग्रलों के जरिए कोई भी काम करने को प्रेरित करता है। इसी तरह अमरीका, ब्रिटेन और ऑस्टे्रलिया व भारत समेत पूरी दुनिया में बंदरों के अलावा चूहों पर प्रयोग हो रहे हैं। चीन में भी इसी तरह से चूहों पर प्रयोग किए जा रहे हैं।

सवाल. क्या सुपर मानव की भी है परिकल्पना?

दुनियाभर में वैज्ञानिक और उनसे जुड़ी संस्थाएं इस शोध में जुटी हैं कि लोग टेलीपैथी से ही एक-दूसरे की मन की बात जान लें और मशीनों या उपकरणों का इस्तेमाल करके सुपर मानव जैसी क्षमता हासिल कर लें। ताकि इंसान उच्च तीव्रता की तरंगों को और आवाजों को भी सुन सके। अभी इंसान ऐसी तरंगों को सुन नहीं पाता है।

सवाल. अभी किनके लिए मददगार है बीसीआई?

बीसीआई की मदद से आंखों से जुड़े विजुअल कॉर्टेक्स को सक्रिय किया जा सकता है, जिससे दृष्टिबाधित लोग भी देख सकेंगे। स्ट्रोक्स से पीडि़त लोगों के शरीर में नया न्यॅूरॉन कनेक्शन बनाया जा सकता है। अवसाद के वक्त मस्तिष्क की निगरानी रखी जा सकती हैं।

सवाल. क्या सीधे न्यूरॉन्स से जुड़ा जा सकता है?

इलेक्ट्रॉइनसेफिलोग्राम(ईईजी) जैसे उपकरणों को भी शरीर की त्वचा, हड्डी और झिल्लियों से होकर गुजरने वाले ब्रेन सिग्रलों को भांपने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ये उपकरण अभी सटीक तौर पर काम नहीं कर पाते हैं। ऐसा कोई उपकरण नहीं है, जो सीधे न्यूरॉन्स से संपर्क साध सकें।

सवाल. अभी इस राह में क्या हैं मुश्किलें!

दरअसल, अभी जो भी उपकरण बने हैं, उनमें कई तरह की खामियां हैं। कई उपकरणों के तारों को खोपड़ी से गुजारना पड़ता है, जिससे कई बार इम्यून सिस्टम प्रभावित हो सकता है। ये उपकरण मानव के 85 अरब न्यूरॉन्स (मस्तिष्क की कोशिकाएं) में से कुछ सौ से ही संपर्क साध पाते हैं। इससे पीडि़त को भी आंशिक तौर पर ही फायदा पहुंच पाता है। हालांकि उम्मीद अभी कायम है।

सवाल. इस दिशा में कौन कर रहा है काम?

वैसे तो दुनियाभर में प्रयोग हो रहे हैं। मगर, अमरीकी सुरक्षा एजेंसी और सिलिकॉन वैली दोनों मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर फोकस कर इस दिशा में शोध कर रहे हैं। फेसबुक भी सोचने से शब्दों की टाइपिंग पर काम कर रहा है। केरनल नामा का एक स्टार्टअप भी न्यूरोटेक्रोलॉजी पर 632 करोड़ रुपए खर्च कर रहा है। स्पेस एक्स कंपनी के सीईओ एलोन मस्क ने न्यूरालिंक कंपनी बनाई है, जो मानते हैं कि मानवता को बने रहने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का होना जरूरी है।

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विलियम कोचेवर एक दुर्घटना में लकवे का शिकार हो गए थे। उनके कंधे के नीचे के पूरे शरीर पर उनका कोई नियंत्रण नहीं रह गया था। मगर आज वह अपने हाथों से खाना खा पाते हैं। यह बदलाव सिर्फ तकनीक के चलते हुआ है। इसके लिए विलियम के दाएं हाथ में इलेक्ट्रोड फिट किया गया, जो उनके हाथों की मांसपेशियों को सक्रिय कर देता है, जिससे वह कोई भी हरकत कर पाते हैं। खास बात यह है कि वह अपनी सोच से ही यह काम कर लेते हैं। जब उनका दिमाग सोचता है तो उनके मस्तिष्क में स्थित मोटर कॉर्टेक्स में इसकी प्रतिक्रिया होती है। इन संदेशों को उनके मस्तिष्क में लगे एक उपकरण प्राप्त करते हैं और इसे उनकी बांह में लगे इलेक्ट्रोड्स तक भेजते हैं, जो उसे सक्रिय कर देते हैं।