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MP Election 2023 : जौरा विधानसभा में हुआ 70.26% मतदान, उपचुनाव के प्रतिद्वंदी फिर आमने-सामने

मुरैना जिले की जौरा विधानसभा सीट क्रमांक- 4 पर शुक्रवार 17 नवंबर 2023 को संपन्न हुए मतदान में 70.26 फीसदी फाइनल वोटिंग हुई है। भाजपा ने मौजूदा विधायक सूबेदार सिंह रजौधा को ही प्रत्याशी बनाया है तो वहीं कांग्रेस ने पंकज उपाध्याय को यहां उम्मीदवार बनाया है।

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MP Election 2023

MP Election 2023 : जौरा विधानसभा में हुआ 70.26% मतदान, उपचुनाव के प्रतिद्वंदी फिर आमने-सामने

साल 1977 में अस्तित्व में आई मध्य प्रदेश के चंबल संभाग के अंतर्गत आने वाले मुरैना जिले की जौरा विधानसभा सीट राजनीतिक रूप से हमेशा ही महत्वपूर्ण स्थान रखती आई है। खासतौर पर 2020 में ये सीट उस समय चर्चा में रही जब यहां उपचुनाव हुए। हालांकि, यहां उपचुनाव दल बदल के चलते नहीं, बल्कि 2018 में जीते कांग्रेस विधायक बनवारी लाल शर्मा का निधन हो जाने की वजह से इस सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसके बाद ये सीट भाजपा के खाते में चली गई, सीट से पार्टी के अपने पुराने नेता पर दांव आजमाया और सूबेदार सिंह रजौधा यहां से विधायक चुने गए।

17 नवंबर को संपन्न हुए चुनाव में जौरा विधानसभा सीट पर 70.26 फीसदी की वोटिंग दर्ज की गई है। वहीं, बात करें 2018 के वोट प्रतिशत की तो पिछली बार इस सीट पर 72.30 प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि 2013 में यहां 68.15 प्रतिशत वोट पड़े थे। देखना दिलचस्प होगा कि इस बार जनता इस सीट से किस उम्मीदवार को चुनकर मध्य प्रदेश की विधानसभा पहुंचाती है।

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विधानसभा का राजनीतिक इतिहास

मुरैना जिला केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का गढ़ माना जाता है। बावजूद इसके जौरा विधानसभा सीट पर भाजपा हो या कांग्रेस किसी का भी एकाधिकार नहीं रहा है। मजे की बात ये है कि 2008 तक यहां बहुजन समाज पार्टी का दबदबा हुआ करता था। इस सीट पर 4 बार कांग्रेस, 3 बार बसपा और 2 बार भाजपा को जीत हासिल हुई है। इस बार भी जौरा सीट पर बीजेपी ने मौजूदा विधायक सूबेदार सिंह रजौधा तो उतारा है, जबिक कांग्रेस ने पंकज उपाध्याय मैदान में उतारा है। 2018 के विधानसभा चुनाव इस सीट पर कांग्रेस के बनवारी लाल शर्मा ने जीते थे, पर उनके निधन के बाद 2020 में हुए उपचुनाव में ये सीट भाजपा के खाते में चली गई। इस बार भी मुकाबला दिलचस्प है, क्योंकि उपचुनाव के प्रतिद्वंदी रहे सूबेदार सिंह रजौधा और पंकज उपाध्याय एक बार फिर आमने सामने हैं।

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भाजपा के सूबेदार सिंह रजौधा

जौरा विधानसभा सीट पर इस बार भी भारतीय जनता पार्टी ने 2020 के उपचुनाव में जीतकर विधानसभा जाने वाले सूबेदार सिंह रजौधा को ही अपना उम्मीदवार चुना है। 69 साल के सूबेदार सिंह रजौधा 12वीं पास हैं। सूबेदार सिंह 2013 में पहले भी विध्याक रह चुके हैं।

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कांग्रेस के पंकज उपाध्याय

पंकज उपाध्याय साल 2020 में जौरा सीट पर हुए उपचुनाव के दौरान भी चुनावी मैदान में उतरे थे, लेकिन उन्हें सूबेदार सिंह से हार का सामना करना पड़ा था। 43 साल के पंकज उपाध्याय ने एलएलबी की पढ़ाई की है। 2020 में जमा कराए गए घोषणा पत्र के मुताबिक, उनकी कुल संपत्ति करीब 2.5 करोड़ रुपए थी। पंकज उपाध्याय के खिलाफ एक क्रिमिनल केस भी दर्ज था।

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जातीय समीकरण

करीब सवा दो लाख मतदाताओं वाली जौरा विधानसभा सीट पर राजपूत, ब्राह्मण, धाकड़ और दलित वोटर्स निर्णायक भूमिका में हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जौरा में 25 से 30 हजार पारंपरिक दलित वोट बैंक की बदौलत बसपा हमेशा से यहां मजबूत रही है। यही वजह है कि इस सीट पर तीन बार बीएसपी की जीत भी हुई है। यहां करीब 30 हजार राजपूत, करीब 50 हजार ब्राह्मण और करीब 25 हजार धाकड़ मतदाता हैं।

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जौरा विधानसभा के मतदाता

जौरा विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या 2 लाख 62 हजार 630 है। इनमें 1 लाख 41 हजार 80 पुरुष मतदाता हैं, दजबकि 1 लाख 21 हजार 542 महिला मतदाता हैं।

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विधानसभा की जनता की आवाज

1- शहर में नेशनल हाईवे पर बने फ्लाईओवर की लंबाई बढ़ाकर धौलपुर साइड आरटीओ चेकपोस्ट और ग्वालियर साइड छौंदा टोल टैक्स तक पहुंचाई जानी चाहिए।

2- शहर के चारों तरफ एक रिंग रोड बने, ताकि अंबाह-पोरसा, जौरा-कैलारस और शहर से ग्वालियर-आगरा जाने वाले वाहन शहर के अंदर आए बिना सीधे बाहर जा सकें।

3- जिले में स्थित 108 गौशालाओं का संचालन उद्योगपतियों के सहयोग से संचालित हो, ताकि सड़कों पर घूमने वाले आवारा गौवंश से 20 लाख की आबादी और किसानों को राहत मिल सके।

4- मुरैना जिला कृषि प्रधान है। इसलिए यहां कृषि कॉलेज और उच्च तकनीकी या व्यवसायिक शिक्षण संस्थान की स्थापना होना चाहिए। ताकि युवाओं में इन क्षेत्रों का ज्ञान बढ़े।

5- अंबाह-पोरसा से शहर को जोड़ने वाले लालौर फाटक और शिकारपुर रेलवे क्रॉसिंग पर फ्लाईओवर का निर्माण होना चाहिए।

6- शहर से ग्वालियर, अंबाह-पोरसा, जौरा - कैलारस - सबलगढ़ और धौलपुर जाने वाली बसों के लिए शहर से बाहर 4 अलग-अलग बस स्टैंड बनें, ताकि शहर के बैरियर और एमएस रोड पर ट्रैफिक जाम से निजात मिल सके।

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इस बार हर सीट पर कांटे की टक्कर

6 जनवरी 2024 को मध्यप्रदेश विधानसभा का कार्यकाल पूरा हो जाएगा। उससे पहले 3 दिसंबर को चुनाव आयोग नई विधानसभा के गठन की प्रक्रिया को पूरा कर लेगा। 17 नवंबर को पूरे प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने सभी 230 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है। चुनाव से पहले अबतक सामने आए सर्वेक्षणों में ये पता चला है कि इस बार मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान कांग्रेस और भाजपा के बीच हर सीट पर कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी।