
खुशखबरी: महाराष्ट्र में अब यहां होगा नया हिल स्टेशन, महाबलेश्वर नहीं जाएंगे पर्यटक?
मुंबई. राज्य में महाबलेश्वर को संवेदनशील पर्यावरण क्षेत्र घोषित किया गया है। वहीं इस मामले में क्षेत्र के निर्माण पर प्रतिबंध के मद्देनजर महाराष्ट्र सड़क विकास निगम सतारा जिले को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की योजना बना रहा है। राज्य सरकार की ओर से जारी एक हालिया अधिसूचना के अनुसार, एमएसआरडीसी को योजना प्राधिकरण का दर्जा दिया गया है और सतारा के पहाड़ी क्षेत्र के जावली समेत पाटन और सतारा तालुका में 52 गांवों को विकसित किया जाएगा। आधुनिक पद्धति से इन गांवों का विकास किया जाएगा, जबकि पहाड़ी क्षेत्रों को मॉडर्न हिल स्टेशन बनाने की योजना एमएसआरडीसी बना रहा है।
37 हजार 258 हेक्टेयर पर हिल स्टेशन...
विदित हो कि शहरी विकास विभाग ने पहले ही एमएसआरडीसी के लिए सात शर्तें रखी हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन क्षेत्रों को विकसित करते समय पर्यावरण को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं होगा। इसके अंतर्गत प्राकृतिक पर्वतीय कटाई, घाटी-ढलानों में निर्माण पर रोक, पेड़ की कटाई पर प्रतिबंध लगाया गया है। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 में निर्धारित नियमों का कड़ाई से पालन किया जाना है। नगर विकास विभाग के सचिव नितिन करीर ने कहा कि जावली, पाटन और सतारा की प्राकृतिक संरचना को बाधित किए बिना आर्थिक गणनाओं को समायोजित करके सरकार की लाभप्रदता को समायोजित करने के लिए हिल स्टेशन का निर्माण एमएसआरडीसी को करना होगा। इसके लिए करीब 37 हजार 258 हेक्टेयर पर हिल स्टेशन का निर्माण किया जाएगा।
डेढ़ साल में डीपी बनकर हो जाएगा तैयार
इस साल महाबलेश्वर में देश की सबसे अधिक 8 हजार मिमी बारिश दर्ज की गई है। इसके अलावा सांगली और कोल्हापुर में बाढ़ से क्षेत्र की प्राकृतिक जैव विविधता प्रभावित होने की संभावना है। ऐसी स्थितियों में पर्यटन के लिए महाबलेश्वर लौटना पर्यटकों के लिए थोड़ा दूर की बात हो सकती है। एमएसआरडीसी के संयुक्त प्रबंध निदेशक विजय वाघमारे ने बताया कि सरकार ने सतारा, पाटन और जावली घाटियों को विकसित करने की योजना बनाई है, क्योंकि भविष्य में राज्य के पर्यटन को प्रभावित करने की कोई आवश्यकता नहीं है, जबकि महाराष्ट्र में सतत विकास के लिए इस तरह के कृत्रिम रूप से निर्मित हिल स्टेशनों की आवश्यकता है। इस इलाके के विकास से पहले नियोजन योजना (डीपी) तैयार करने के लिए एक निजी परामर्श के माध्यम से एक सर्वेक्षण किया जाएगा। सर्वेक्षण पूरा करने में लगभग छह महीने लगेंगे और एक डेढ़ साल में डीपी बनकर तैयार हो जाएगा।
प्राकृतिक सुंदरता की योजना...
क्षेत्र में बाघ परियोजनाओं के पर्यावरणीय महत्व को ध्यान में रखते हुए, कासपठार के अलावा प्राकृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कृषि पर्यटन के साथ-साथ प्राकृतिक सुंदरता को संतुलित करने की योजना बनाई जा रही है। वहीं इस योजना का फायदा राज्य सरकार के अलावा दूर-दराज से आने वाले पर्यटकों को भी मिलेगा।
- राधेश्याम मोपलवार, उपाध्यक्ष, एमएसआरडीसी
Published on:
29 Sept 2019 02:27 pm
बड़ी खबरें
View Allमुंबई
महाराष्ट्र न्यूज़
ट्रेंडिंग
