विदित हो कि पिछले कई वर्षों से लगभग 179 रूम खाली पड़े हैं, जिनमें बड़ी संख्या में लोग बिना किसी अलॉटमेंट के रह रहें हैं। स्थानीय वासियों का कहना है कि इन बिल्डिंगों में बिना किसी दस्तावेज माफियाओं को मोटी रकम देकर लोग रहते हैं। स्थानिकों की माने तो ट्रांजिट में कुल 7 दलाल मुख्य रूप से सक्रिय हैं। अधिकारीयों को माफिया दर महीने उनका हिस्सा पहुंचा देते हैं, जिससे ऊपरी दबाव नहीं बनता। लेकिन जब किसी भी प्रकार का ऊपर के वरिष्ठ अधिकारियों का दबाव पड़ता है तो इस्टेट व अन्य जिम्मेदार अधिकारियों पर दलाल गाली-गलौज कर रूम न खाली करने को लेकर मारपीट पर उतारू हो जाते हैं।
उल्लेखनीय है कि आरआर बोर्ड के अध्यक्ष विनोद घोसालकर ने 25 अगस्त 2019 को 5 दिनों में आरआर बोर्ड के अधिकारियों से गवनपाड़ा ट्रांजिट कैंप की पूरी रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के चलते 35 दिन बीत जाने के बाद भी ट्रांजिट कैंप की जानकारी अध्यक्ष के पास नहीं पहुंची। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जब अधिकारी अध्यक्ष की बात नहीं सुन रहे हैं तो आखिर आम आदमी व शिकायतकर्ताओं की बात कैसे सुनी जाएगी? आखिर कैसे ट्रांजिट कैंप से रूम माफिया का आतंक खत्म होगा?
हमने रिपोर्ट मंगाई है, लेकिन किन्हीं कारणों से अधिकारी अभी तक दे नहीं पाए हैं। पूरी अपडेटेड रिपोर्ट जैसे ही हमारे हाथ आएगा, हम जल्द से जल्द उच्च स्तरीय कार्रवाई करेंगे और अवैध कब्जेदारों व रूम माफियाओं को बाहर निकाला जाएगा। इस गंभीर मामले पर संबंधित अधिकारियों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है।
– विनोद घोसालकर, अध्यक्ष, रिपेयरिंग बोर्ड, म्हाडा
कुछ दिनों पहले हमने साइड विजिट किया था, लेकिन वहां पर विजिट में आए म्हाडा के अधिकारियों को गिने-चुने रूम माफिया गिरोह ने घेर लिया और कार्रवाई न करने का दबाव डाला। यह सब हमारी आंखों के सामने ही घटित हुआ, लेकिन म्हाडा अधिकारी न जाने किन कारणों से पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज नहीं कराते हैं।
– रजनी केणी, स्थानीय नगर सेविका