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ओह माई गॉड: करोड़ों बकाए के बावजूद म्हाडा मुंबई उदार, आखिर क्यों ?

locationमुंबईPublished: Sep 23, 2019 06:04:20 pm

Submitted by:

Rohit Tiwari

करोड़ों के बकाए के बावजूद म्हाडा ( Mhada ) नहीं कर रही उचित कार्यवाही, अंधेरी ( Andheri ) में के ओशिवारा ( Oshiwara ) स्थित बेहरामबाग ( behram baug ) के रायगढ़ मिलीटरी स्कूल ( Raigad Military School ) ट्रस्ट का मामला, निजी संस्था ( private foundation ) पर मेहरबान म्हाडा के अधिकारी, संबंधित जिम्मेदार अधकारियों के बयान पर बारंबार उजागर हो रहे नए-नए घोटाले ( New scams )

ओह माई गॉड: करोड़ों बकाए के बावजूद म्हाडा उदार, आखिर क्यों ?

ओह माई गॉड: करोड़ों बकाए के बावजूद म्हाडा उदार, आखिर क्यों ?

रोहित के. तिवारी

मुंबई. म्हाडा में अधिकारियों के साठगांठ से लगातार अलग-अलग भ्रष्टाचार सामने आ रहा है। वर्षों से सामाजिक संस्था, एनजीओ, बिल्डरों और म्हाडा के अधिकारियों की आपसी समझौते व मिलीभगत से म्हाडा प्राधिकरण को हर साल करोड़ों के नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। जिस पर जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए ‘पत्रिका‘ लगातार म्हाडा के राजस्व फायदे के लिए दस्तावेज और संबंधित जिम्मेदार अधकारियों के बयान पर बारंबार नए-नए घोटाले उजागर कर रहा है। म्हाडा के अधिकारियों की साठगांठ और पोल खोल सीरीज में अब नया मामला अंधेरी के ओशिवारा के बेहरामबाग के रायगढ़ मिलीटरी स्कूल ट्रस्ट का प्रकाश में आया है, जिसमें संस्था ने म्हाडा से स्कूल खोलने के नाम पर अरबों की जमीन लाखों में भाड़े पर लेकर करोड़ों रुपये की बकाया भाड़ा राशि भी भरने से अब मुकर रही है।
दरअसल, सन 2002 में महाराष्ट्र शासन ने राज पुरोहित ट्रस्ट व रायगड सैनिक शिक्षण संस्थान के नाम पर जमीन देने का आदेश दिया था। इसके उपरांत म्हाडा ने कई भागों में बंटे सीटीएस नंबर 99 में कुल 11 हजार 231 चौरस मीटर जमीन संस्था को लीज पर सौंप दी थी। वहीं म्हाडा ने शुरुआती दौर में महीने का लगभग 83 लाख भाड़ा तय कर सन 2005 में जमीन 30 साल के लिए लीज पर दे दिया था ।
उस समय पर करोड़ों रुपयों की इस जमीन की कीमत अब अरबों रुपयों तक जा पहुंची है। लेकिन संस्थान ने 2007 से म्हाडा को किराया देना बंद कर दी। म्हाडा की ओर से तय भाड़े की और पैनाल्टी को मिलाकर अब तक कुल 5 करोड़ 97 लाख 51 हजार 383 रुपये किराया बकाया है। हालांकि संस्था ने खानापूर्ति के लिए लगभग 24 लाख ही भाड़ा एक बार चुकाया, जबकि बाकी के बकाए के लिए अधिकारियों से चापलूसी और साठगांठ कर कठोर कार्रवाई से अब तक बचता चला आया है।
म्हाडा ने 2004 में जब संस्था को 30 साल तक 1 रुपये भाड़े के दर पर दिया, लेकिन साथ ही यह शर्त भी लगाई गई कि आरक्षित जमीन बचाकर रखना है, लेकिन व्यापार के दृष्टिकोण से प्रयोग हो रहे जमीन पर हुए निर्माण से आ रहे राजस्व से अपने हिस्से का राजस्व और जमीन का किराया मिलाकर इतनी भारी भरकम राशि बकाया हो गई है कि अब इसे भरने में संस्था म्हाडा से तरह-तरह के बहाने बनाते हुए आनाकानी कर रही है।
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संबंधित लोगों पर होगी कार्रवाई…

म्हाडा की जमीन पर बकाया राशि वसूलने और संबंधित लोगों की ओर से म्हाडा को धोखे में रखते हुए अवैध निर्माण कराए जाने को लेकर उचित कार्रवाई की जाएगी, जबकि जांच के दौरान जोशी पाए जाने वाले संबंधित अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जाएगी। म्हाडा हमेशा ही जरूरतमंदों के लिए कार्य करती है जबकि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
मैं काफी परेशान चल रहा हूं जबकि इस मामले पर मैं फिलहाल कुछ भी बोलना नहीं चाहता हूं। रही बात म्हाडा के करोड़ों रुपए बकाया की तो इसके लिए मैं संबंधित लोगों के संपर्क में हूं, जबकि इस मामले पर हमारे वकील भी पैरवी में लगे हुए हैं।

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