यहां के कुल मतदाता लगभग 2,65060 हैं। चुनावी समीकरण इस बार शिवसेना को अपनी जमीन बचाने के लिए जद्दोजहद करना पड़ रहा है। इसकी सबसे मुख्य वजह यह है कि बांद्रा पूर्व से शिवसेना के विधायक रहीं तृप्ति इस बार शिवसेना से बगावत करके निर्दलीय मैदान में उतरी हैं। यहां की मुस्लिम आबादी लगभग 60 प्रतिशत तो अन्य 40 प्रतिशत में समाहित हैं। जहां एक तरफ शिवसेना में आपसी कलह नजर आ रहा है तो वहीं दूसरी तरफ जीशान सिद्दीकी यहां को यहां मुस्लिम आबादी का बड़ा सहयोग पहले स्थान पर ला सकता है।
बांद्रा पूर्व का क्षेत्र महानगर का बिजनेस हब कहे जाने वाला बीकेसी के बगल है। इसलिए यहां पर आने-जाने वालों की लाखों की भीड़ है, लेकिन बांद्रा स्टेशन से ही निकलते ही यहां प्रतिदिन लोगों को घंटों में ट्रैफिक जाम में फंसना पड़ता है, जो कि बड़ी परेशानी का सबब बन गया है। इसके अलावा यहां पर ऐसी 4 मंजिलों की झोपड़पट्टीयां हैं, जो कभी भी धराशाई हो सकती हैं। यहां आये दिन इन स्लम बस्तियों में आग भी लगती रहती है, लेकिन अब तक उनका कोई खास विकास नहीं हो सका है। वहीं दूसरी तरफ शौचालय के अभाव के चलते लोग खुले में शौच भी जाते हैं। गंदगी, गटर- ड्रेनेज सिस्टम का यथावत न होना और ट्रैफिक की समस्या यहां पर अब भी जस की तस बनी हुई है।
इस सीट पर 2009 में प्रकाश वसंत सावंत 45 हजार 659 वोटों के साथ पहले स्थान पर थे तो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के जनार्दन चन्दूरकर 38 हजार 239 मत पाकर दूसरे नंबर पर और शिल्पा अतुल सरपोतदार 19 हजार 109 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थीं। 2014 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना के प्रकाश वसंत सावंत एक बार फिर 15 हजार 597 मतों से जीते थे, लेकिन शिवसेना विधायक सावंत के निधन होने से सीट रिक्त हुई। पुनः इस सीट पर 2015 में उपचुनाव हुए। वहीं 2015 में जब उपचुनाव हुए तो यहां से तृप्ती सावंत ने अपने सिर प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार को 19 हजार 008 मतों से हराकर जीत की ताज पहना। यहां 47 प्रतिशत वोटिंग हुई थी, जो इस बार बढ़कर 50 प्रतिशत तक पहुंच सकता है।