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Maha Election: कालीना विधानसभा में मराठी वर्सेस मराठी, निर्दलीय बिगाड़ सकते हैं खेल?

locationमुंबईPublished: Oct 14, 2019 11:00:14 am

Submitted by:

Rohit Tiwari

कालीना ( Kalina ) में मराठी वर्सेस मराठी ( Marathi V/s Marathi ) की लड़ाई में निर्णायक ( Decisive ) साबित होंगे हिंदी भाषी ( Hindi Speaking ) मतदाता, निर्दलीय ( Independents ) बिगाड़ सकते हैं खेल, युति ( Yuti ) से ही युति के नाराज कार्यकर्ता दबा सकते हैं नोटा ( Nota ), मनसे ( MNS ) और शिवसेना ( Shivsena )के बीच सीधी कांटे की टक्कर

Maha Election: कालीना विधानसभा में मराठी वर्सेस मराठी, निर्दलीय बिगाड़ सकते हैं खेल?

Maha Election: कालीना विधानसभा में मराठी वर्सेस मराठी, निर्दलीय बिगाड़ सकते हैं खेल?

मुंबई. महाराष्ट्र 288 विधानसभाओं में उत्तर मध्य मुंबई के 175 कालीना विधानसभा सीट की मतदाताओं का मूड इस बार बिल्कुल युति का खेल बिगाड़ते दिख रही है। इस बार यहां 14 उम्मीदवार मैदान में हैं। कालिना के कुल मतदाताओं की संख्या करीब 2 लाख 57 हजार 576 हैं। यहां की सीट पर शिवसेना ने मैजूदा विधायक संजय गोविंद पोतनीस को फिर से उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस से नए चेहरे जॉर्ज अब्राहम को उम्मीदवार बनाया गया है। तो मनसे ने सजंय रामचन्द्र तरडे को उम्मीदवार बनया है। वहीं कालीना विधानसभा क्षेत्र से तीन बार नगरसेवक रह चुके रफीक शेख के लड़के मोहम्मद जावेद रफीक शेख ने अपने पिताजी को कांग्रेस की ओर से टिकट न दिए जाने के चलते कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवार जॉर्ज अब्राहम के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार जाहिर की है।
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नाराज कार्यकर्ता दबा सकते हैं नोटा…
भले ही युति के उम्मीदवार मौजूदा शिवसेना के विधायक हों, लेकिन यहां विकास की उम्मीद का पहिया आगे न बढ़ने के चलते मतदाता नाराज दिख रहे हैं। सबसे बड़ी बात है कि यहां शिवसेना में आपसी फूट नजर आ रही है तो वहीं भाजपा कार्यकर्ता खुलकर सहयोग भी नहीं कर रहे हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं ने नाम न छापे जाने के शर्त पर कहा युती के कार्यकर्ता इस बार नोटा दबा सकते हैं।
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मुख्य परेशानीयां…
यहां पर मीठी नदी का हर बरसात में भरना, समुचित ड्रेनेज व्यवस्था का न होना, ढंग के अस्पताल का अभाव, शौचालयों का अभाव, सबसे अधिक ट्रैफिक लगने के चलते लोगों को हो परेशानी का अब तक कोई विशेष निराकरण नहीं निकाला जा सका है।
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मनसे-शिवसेना के बीच मुकाबला…
कालीना विधानसभा युति के शिवसेना और मनसे के बीच सीधी लड़ाई देखी जा रही है। भले ही पोतनीस मराठी चेहरा मैदान में हो, जबकि कांग्रेस से कोई विशेष चेहरा इस बार सामने नहीं है। अब सवाल उठता है तो ऐसे में कौन प्रतिद्वंदी है? तो मनसे के लगभग 20 हजार वोटर उनके साथ हैं ही और अन्य आने की संभावना है। कांग्रेस के कमजोर प्रत्याशी के चलते यहां इन्हें दलित व अल्पसंख्यकों का वोट भी नही मिलने का उम्मीद है। ऐसे मतदाता वंचित आघाडी का रुख कर सकते है, जबकि ऐसे में सिर्फ हिंदी भाषी मतदाता ही पोतनीस की नैया पार लगा सकते हैं।
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मराठी वोटरों की टक्कर…
वहीं कांग्रेस के उम्मीदवार नगरसेवक रफीक शेख के लड़के जावेद ने कलीना विधानसभा से कांग्रेस के टिकट पर लड़ रहे हैं जॉर्ज अब्राहम के सामने कड़वा आह्वान किया है। जावेद का कहना है कि जब मेरे पिताजी लगातार तीन बार कालीना से नगरसेवक हैं। इनके काम का फायदा उन्हें हो सकता है, जबकि कालीना में मुस्लिम और उत्तर भारतीय ज्यादा हैं। इसका भी लाभ मिल सकता है। वहीं दूसरी ओर जॉर्ज के खिलाफ जो उनके कांग्रेस के ही लोग नाराज चल रहे हैं। वहीं कांग्रेस और अब्राहम से नाराज लोग भी युति का खेल बिगाड़ सकते हैं। जबकि देखा जाए तो मनसे और शिवसेना दोनों में मराठी वोटरों की टक्कर देखने को मिलेगी और इसका फायदा निर्दलीय को मिलने की उम्मीद है।
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विधानसभा क्षेत्र का इतिहास…
कलीना विधानसभा विकास न करने वाले प्रत्याशियों में परिवर्तन में विश्वास रखते हैं। चुनाव की बात करें तो इस सीट पर 2009 में कांग्रेस का कब्जा रहा है, जिसमें कृपाशंकर सिंह 51 हजार 205 मत पाकर पहले नंबर पर तो वहीं मनसे के चंद्रकांत मोरे 38 हजार 284 वोटों से दूसरे स्थान पर, जबकि बीजेपी के दीनानाथ तिवारी 13 हजार 994 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे। 2014 की बात करें तो यहां पर शिवसेना के संजय पोतनीस 30 हजार 715 मत पाकर पहले स्थान पर, जबकि भाजपा के अमरजीत सिंह 29 हजार 418 मत पाकर दूसरे स्थान पर और कांग्रेस के दिग्गज नेता कृपाशंकर सिंह 23 हजार 595 मत पाकर तीसरे स्थान पर थे। वहीं 2014 में 50.15 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस बार मनसे व युति के शिवसेना प्रत्याशी के बीच सीधा मुकाबला है।
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