विवेक ने भोपाल स्थित साई अकादमी से खेल की शुरुआत की। खेल के दौरान कई उतार चढ़ाव आए। एक दौर तो ऐसा आया कि दुर्घटना के बाद डॉक्टर्स ने कह दिया कि वह कभी हॉकी नहीं खेल पाएगा। उसकी इच्छाशक्ति और जुनून ही था कि वह फिर मैदान में उतरा। बिस्तर पर पड़े रहने के दौरान वह हॉकी स्टिक ही चलाता रहता था। आज हमारे परिवार के साथ पूरे देश को भी उस पर गर्व है। वे बताते हैं कि खेल के शुरुआती दौर में उसके पास अच्छे जूते और हॉकी स्टिक नहीं थी तो फैक्ट्री के कुछ सीनियर खिलाडिय़ों ने उसे जूते, ड्रेस और हॉकी स्टिक दिलाई।
अशोक ध्यानचंद ने पहचानी प्रतिभा
विवेक के पिता बताते हैं कि महाराष्ट्र में एक प्रतियोगिता के दौरान अशोक ध्यानचंद (ashok dhyanchand) उसके खेल से प्रभावित हुए। उन्होंने उसे मप्र राज्य पुरुष हॉकी अकादमी में प्रवेश दिलाकर हॉकी की बारीकियां सिखाईं। जिसके बाद अब विवेक भारतीय हॉकी का एक सफल खिलाड़ी बन गया है।शुरुआत में दुर्घटना ने तोड़ दिया था
पिता बताते हैं कि 2017 में उसके कंधे की हड्डी टूट गई थी। खेल अकादमी के डॉक्टर दीपक शाह के पास ले गए। अगले दिन उसकी सर्जरी हुई। डॉक्टर और कोच ने इसके ठीक होने की संभावना 10 प्रतिशत बताई थी लेकिन हमें तो उम्मीद थी कि बेटा सफलता के शिखर पर पहुंचेगा।Expert Talk: अशोक ध्यानचंद बोले- खेल में विश्व स्तर तक जाएगा यह राज्य