यह भी पढ़ें
फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा अब इस सीट से भरेंगी हुंकार!, सपा-बसपा को लग सकता है तगड़ा झटका
ऐसे ही मामले में अब एक बड़ा खुलासा हुआ है। दरअसल भाजपा नेताओं ने राष्ट्रीय लोकदल के जिस एकमात्र विधायक से क्रॉस वोटिंग कराई उसकी बुरी इबारत हरियाणा में लिखी गई थी। इसके पीछे संबंधों का पूरा खेल है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक दरअसल रालोद के बागपत की छपरौली सीट से एकमात्र विधायक सहेंद्र हरियाणा सरकार में वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यु के भाई के समधी हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कैप्टन अभिमन्यु ने इसी रिश्ते की दुहाई देकर सहेंद्र को भाजपा के 9वें प्रत्याशी के पक्ष में प्रथम वरीयता मत देने के लिए तैयार कर लिया।
यह भी पढ़ें
इस शहर के नए SSP ने आते ही अपराधियों के खिलाफ की ऐसी कार्रवाई कि बन गया रिकॉर्ड, अब मचा हड़कंप
भाजपा की इस चाल से रालोद मुखिया चौधरी अजित सिंह चारों खाने चित्त हो गए। साथ ही अपने बेटे जयंत चौधरी को कैराना लोकसभा उपचुनाव में विपक्ष का संयुक्त उम्मीदवार घोषित कराने की उनकी प्लानिंग भी धरी रह गई। अब परिस्थितियां ऐसी हो गई हैं कि मायावती से वोट देने का वादा पूरा नहीं करने का दाग भी उन पर लग गया है। इसके अलावा अब उनके पास कोई भी सांसद और विधायक नहीं बचा है, जिसके वोट के आधार पर वह कोई मोलभाव कर पाएं। अब तो मई के महीने में होने वाले विधानपरिषद चुनाव के लिए भी उनके हाथ बिल्कुल खाली हो गए हैं। यह भी देखें- पश्चिमी उत्तर प्रदेश की खबरों के लिए यहां क्लिक करें आरोप यह भी लग रहे हैं कि भाजपा से मिलकर बसपा को नुकसान पहुंचाने के लिए उन्होंने वोट कैंसल कराई। खुद मायावती ने यही आरोप रालोद विधायक पर मढ़ दिया और यहां तक कह दिया कि रालोद को लेकर आगे की रणनीति पर अब बसपा को पुनर्विचार करना पड़ेगा। बसपा सुप्रीमो के इस रुख से साफ है कि कैराना उपचुनाव में रालोद को बसपा का साथ मिलने में मुश्किल हो सकती है।
सूत्र बताते हैं कि यूपी के राज्यसभा चुनाव में वोट कैंसल कराने की पूरी बिसात हरियाणा में ही बिछी। रिश्तों की दुहाई देकर रालोद विधायक सहेंद्र को मनाया गया। उधर रालोद नेता जयंत चौधरी का कहना है कि सहेंद्र ने धोखा दिया है। उनको बसपा के पक्ष में वोट देने के लिए कहा गया था पर उन्होंने विश्वासघात किया है। छपरौली पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की सीट रही है। इसलिए सहेंद्र द्वारा वोट कैंसिल कराना, वहां की जनता भी धोखा करना है।
आपको बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में रालोद को एक भी लोकसभा सीट पर जीत नहीं मिली थी। चौधरी अजित सिंह और जयंत चौधरी खुद अपनी-अपनी सीटों से चुनाव हार गए थे। 2017 के विधानसभा चुनाव में करीब 300 सीटों पर लड़ने वाली रालोद के टिकट पर सिर्फ बागपत जिले की छपरौली सीट से सहेंद्र सिंह रमाला ही जीत सके थे।