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सामने आया जैन मुनि तरुण सागर का अंतिम पत्र, जानिए क्या लिखा है इसमें

locationनोएडाPublished: Sep 03, 2018 02:16:20 pm

Submitted by:

Rahul Chauhan

तरुण सागर महाराज कहते थे कि मैं घाव पर मरहम नहीं लगाता, बल्कि घाव की शल्य क्रिया कर उसे पूरी तरह ठीक करता हूं।

नोएडा। कड़वे प्रवचनों के लिए विख्यात दिगंबर जैन मुनि तरुण सागर महाराज के निधन से जैन समाज में शोक की लहर छा गई। शनिवार को सुबह 3.18 मिनट पर उनका निधन हो गया था। उनका अंतिम संस्कार शनिवार को शाम 6 बजे गाजियाबाद के मुरादनगर में स्थित तरुण सागरम् तीर्थस्थल पर किया गया था। इस बीच मुनि तरुण सागर का हस्तलिखित अंतिम पत्र सामने आया है। जो उन्होंने स्वयं 29 अगस्त को सुबह 8:25 बजे लिखा था। जिसमें उनके शब्द थे…मैं बिना दीक्षा के नहीं जीना चाहता अत: ये सभी मुझे गुप्ती सागर जी के पास ले चले, वही मेरा आगे का जीवन देखे समाधि आदि दे, जैसे जरूरी समझे…नमोस्तु महाराज जी।
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आपको बता दें कि जैन मुनि तरूण सागर कड़वे प्रवचनों के लिए प्रसिद्ध थे। कुछ समय पूर्व तरुण सागर महाराज ने सीकर प्रवास के दौरान बताया था कि उनके कड़वे प्रवचन पर गुजरात के कड़वा पटेल समाज का पेटेंट है। जयंती भाई पटेल ने 200 गांवों को इकट्ठा कर तरुण सागर का एक सत्संग कराया था जो बाद में कड़वे प्रवचन के नाम से मशहूर हुआ। तरुण सागर महाराज कहते थे कि मैं घाव पर मरहम नहीं लगाता, बल्कि घाव की शल्य क्रिया कर उसे पूरी तरह ठीक करता हूं।
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समाज को जगाने के लिए शेर की दहाड़ और हाथी सी चिंघाड़ की जरूरत है न कि लोरी की इसलिए मैं कड़वे प्रवचन देता हूं। मुनि तरुण सागर के नाम सबसे बड़ी पुस्तक लिखने का लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड भी जयपुर में बना जो मुनि तरुण सागर के नाम दर्ज है। मुनि तरुण सागर महाराज के कड़वे प्रवचन भाग-9 पुस्तक का विमोचन 5 साल पहले 18 अगस्त 2013 को जयपुर में किया गया था। पुस्तक का विमोचन नागपुर से आई विश्व की सबसे छोटे कद (24 इंच) की महिला 24 वर्षीय ज्योति आमगे ने किया था। पुस्तक 30 फीट ऊंची और 24 फीट चौड़ी है। इसका भार 2000 किलोग्राम था।
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इन वजहों से खास थे मुनि तरूण सागर
1.मुनि तरुण सागर एकमात्र संत थे, जिन्होंने लालकिले से प्रवचन दिए।
2.दुष्कर्मी और फर्जी बाबाओं के पुतले जलाए जाने चाहिए, रावण के नहीं। दशहरा तभी सार्थक माना जाएगा।
3.देश की कई विधानसभा, मुख्यमंत्री आवास, अनेक राजनेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों के निवास पर प्रवचन दिए। सेंट्रल जेल, आरएसएस और सेना तक में प्रवचन दिए।
4.उनका कहना था कि संतों को अब जनता के बीच प्रवचन नहीं करने चाहिए बल्कि राजनेताओं के लिए लोकसभा व विधानसभा में प्रवचन करने चाहिए, क्योंकि ज्यादा जरूरत वहीं है।
5.देश के 10% लोग ही पूरी तरह ईमानदार हैं। नेताओं पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा था कि छोटी चोरी करने वाले जेलों में बंद हैं और बड़ी-बड़ी चोरियां करने वाले लोकसभा और विधानसभा में बैठे हैं।

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