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हमारी विरासत : मंदिरों की नगरी एवं प्राचीन आध्यात्मिक स्थली के नाम से प्रसिद्व है नारलाई

locationपालीPublished: May 09, 2019 07:01:15 pm

Submitted by:

Suresh Hemnani

-पाली जिले के नारलाई गांव का इतिहास

History of Narlai village of Pali district

हमारी विरासत : मंदिरों की नगरी एवं प्राचीन आध्यात्मिक स्थली के नाम से प्रसिद्व है नारलाई

पाली/देसूरी। नारलाई कस्बे के इतिहास में गहराई से देखते है,यह गांव प्राचीनकाल से आध्यात्मिकता के क्ष्ेात्र में प्रमुख रहा है। यह वजह है कि आज भी इसे देव नगरी, पौराणिक तीर्थ स्थली, मंदिरों की नगरी एवं प्राचीन आध्यात्मिक स्थली के नाम से प्रसिद्व है।
इस भूमि में भ्यातिभव्य कलात्मक, नक्काशीदार, गुम्बजदार करीब 22 शिखरबंद मंदिर आज भी मौजुद है। जिनके नक्काशीदार स्तम्भों पर अतिसुन्दर प्रतिमाएं, बारीक कोरिणयां तथा तोरण देखने योज्य है। इन मंदिरों के साथ छोटे-छोटे अन्य पूर्ण अपूर्ण देव मंदिरों, देवलियों में विराजमान लोकदेवता खेतलाजी, मामाधणी, भैरूजी,ईनाजी,वीर व दास हनुमानजी, विध्रहरण, विनायक सहित अनगिनत स्थान है। जबकि नारलाई में बताया जाता है कि 108 मंदिर थे, जिनकी नगाड़ो, घडियालों, झालरों, कांसी-तांबा एवं पीतल के बडे बडे घडियालों एवं टंकारो तथा वाद्यउयंऋो कली शानदार सुमधुर ध्वनियां से आसपास के गांवों में शानदार वातावरण बनता था।
नारलाई गांव की प्राकृतिक गुफाओं,घाटियों,चोटियों एवं मंडपों, उपाश्रयों मठ, मढियों, पौशाले, हिवन यज्ञ शालाओं, धार्मिक शालाओं, साधु संत कुअिया छोटे मोटे आश्रम स्थलों, संत महात्माओं की धूणियों आदि की ओर दृष्टिपात करते है। तो उनकी संख्याओं की भरमार तथा उनमें स्थापित विविध प्रतिमाओं चण्डी-त्रिशुलों को देखकर ही अलग ही अनुभव होता है। इसके अलावा भी इस ऐतिहासिक नगरी में कलात्मक 27 बावडिय़ा मौजूद है। जिनकी पावड्यिों, दीवारों में पुरानी शैली की विभिन्न देवी देवताओं की आकृषित प्रतिमाएं स्थापित है।
इस नारलाई गांव की सीरवी समाज के आराध्य देवी आई माताजी का प्रसिद्व मंदिर मौजुद है,वही नारलाई गांव में उत्तर पूर्व एक विशाल हाथीनमा पर्वत जिसका नाम जय एकलिंगजी जैकलजी है,इस पर्वत के शिखर पर 15 फीट उंची हार्थी की सफेद प्रतिमा है। साथ ही 200 से 250 फीट की ऊंचाई पर पर्वत की अधर गुफा में एकलिंगजी का एक छोटा मंदिर भी मौजुद है। इसी पहाड़ की तहलटी में भंवर गुफा है, इसके निर्माण के बारे में बताया जाता है कि माताजी ने सोहन सीटीया चलाया और भंवर गुफा का प्रादुर्भाव हुआ तो अंदर शिवजी का शिवलिंग स्थान पाया गया। जो ग्रामीणों की आस्था का केन्द्र बना हुआ है, भंवर गुफा को देखने के लिए बडी संख्या में देशी और विदेशी पर्यटक आते है।
इस गुफा में प्रवेश करते ही अलग ही एहसास होता है। जिसकी लम्बाई करीब 500 मीटर से भी अधिक है,साथ ही नारलाई में कई ऐतिहासिक धरोहर आज भी मौजुद है। जो नारलाई गांव के इतिहास की गवाह है,नारलाई गांव में रावला होटल भी प्रसिद्व है जिसके कारण सबसे अधिक विदेश पर्यटक इस गांव में आते है। जिसके कारण पर्यटकों के मानचित्र में नारलाई गांव की पहचान बन गई है। यही कारण है कि नारलाई गांव के अतीत के अंदर झाकते है तो ऐसा आत्मीय एहसास होता है कि यह गांव प्राचीनकाल से आध्यात्मिकता के क्षेत्र में मुख्य रहा है।

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