यह खुलासा तब हुआ जब अपने बच्चों के फेल होने पर कुछ अभिभावकों ने बोर्ड से कॉपियां निकलवाई। इस साल ओपन स्कूल की 10वीं बोर्ड की परीक्षा में 93 हजार छात्र शामिल हुए। इनमें से 50 हजार से अधिक फेल हो गए। सेट-सी के पेपर में एक प्रश्न पूछा गया कि भारत लोकतांत्रिक देश है या अलोकतांत्रिक। लगभग 1000 हजार छात्रों ने अलोकतांत्रिक वाले विकल्प को सही ठहराया। वहीं, कई विद्यार्थियों ने लोकतांत्रिक विकल्प चुना। परीक्षा खत्म होने के बाद कॉपियां मूल्यांकन के लिए भेजी गई। मूल्यांकनकर्ताओं ने अलोकतांत्रिक विकल्प चुनने वालों को पूरे माक्र्स दिए। वहंीं, लोकतांत्रिक विकल्प लिखने वालों के नंबर कट गए। अब बोर्ड अधिकारियों की दलील है कि मूल्यांकन के लिए जो मॉडल जारी किए जाते हैं, उसी आधार पर अंक दिए जाते हैं। मॉडल में भारत को अलोकतांत्रिक देश बताया गया है।
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बोर्ड के पेपर सेट करने की जिम्मेदारी तीन विशेषज्ञों की होती है। इन्हें तीन दिन तक प्रशिक्षण देने के बाद पेपर सेट करवाया जाता है। मॉडल पेपर भी सेट करने के लिए अलग से विषय विशेषज्ञ नियुक्त किए जाते हैं।
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बृजेश बाजपेयी, रजिस्ट्रार, छत्तीसगढ़ राज्य ओपन स्कूल बोर्ड