निजी अस्पताल में नहीं हो रहा इलाज
इस संदर्भ में जब आइएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) अध्यक्ष डॉ. महेश सिंहा से बात की गई, तो उन्होंने बताया, कि किसी भी निजी अस्पताल में स्मार्ट कार्ड के माध्यम से इलाज नहीं हो पा रहा है। आयुष्मान से लिंक करने के लिए प्रशासन की तरफ से निजी अस्पतालों को आवेदन करने कहा गया है। वहीं, पुराने अस्पतालों को इस योजना से बाहर कर दिया गया है। ऐसे में प्रदेश भर के 62 लाख स्मार्ट कार्ड हितग्राही स्मार्ट कार्ड का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।
नहीं बनाई व्यवस्थित कार्ययोजना
आयुष्मान भारत के तहत प्रदेश को पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुने जाने के साथ ही प्रशासन ने आनन-फानन में बिना किसी ट्रायल या विधिवत कार्य योजना के ही लांच कर दिया। वहीं, इसके तहत चिन्हित 40 लाख हितग्राहियों में से गिनती के मरीजों को ही लाभ मिल पा रहा है। फिर चाहे मरीज निजी में हो या फिर सरकारी में। आंबेडकर के ही आंकड़े बताते हैं कि अस्पताल में 60 में से सिर्फ 10 मरीजों को ही इलाज की अनुमति दी गई है।फैक्ट फाइल
– प्रदेश में कुल स्मार्ट कार्ड- 62 लाख
– जिले स्मार्ट कार्ड की संख्या- 4.75 लाख
– आयुष्मान के तहत पंजीकृत अस्पताल- 325 निजी, 608 शासकीय – पूर्व में स्वास्थ्य बीमा में शामिल अस्पताल- 600 से अधिक
इलाज के लिए अस्पतालों की संख्या घटी
मिली जानकारी के अनुसार प्रदेशभर में आरएसबीवाय और एमएसबीवाय निजी अस्पतालों की संख्या 600 से अधिक थी, जो कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में महज 325 (डेंटल हॉस्पिटल को छोड़कर) रह गई है। वहीं, निजी संस्थानों के लिए कई तरह के कड़े मापदंड शासन की ओर से रखे गए हैं, जबकि शासकीय अस्पतालों को खुली छूट दी गई है, इस पर आइएमए के माध्यम से निजी अस्पताल आपत्ति जता रहे हैं।
कई बार की शिकायत
स्मार्ट कार्ड से इलाज करने में दिक्कतें आ रही हैं, जिसके लिए रोजाना प्रशासन से शिकायत की जा रही है। गुरुवार को हमारे एक कर्मी को भी भेजा गया था, जिसके बाद भी अब तक कोई भी मरीज नहीं आया है।
कहीं भी नहीं हो रहा इलाज आयुष्मान भारत के आने से तकनीकी दिक्कतों के कारण किसी भी अस्पताल में स्मार्ट कार्ड के माध्यम से इलाज नहीं हो पा रहा है। साथ ही प्रशासन की तरफ से पूर्व में शामिल अस्पतालों से फिर से आवेदन करने को कहा गया है। जिसके बाद संबद्ध अस्पतालों की संख्या आधी से भी कम रह गई है।
डॉ. महेश सिन्हा, अध्यक्ष, आइएमए रायपुर
आयुष्मान लिंक में कुछ दिक्कतें आ रही हैं। जिसके लिए केंद्र से टीम आई है, जो कि निराकरण के लिए काम पड़ रही है। जल्द ही उचित व्यवस्था बना दी जाएगी। साथ ही मरीजों को कैश न चुकाना पड़े इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था बना दी जाएगी।
आर. प्रसन्ना, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, स्वास्थ्य बीमा योजना