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PM मोदी की 5 लाख वाली इस योजना में सामने आई ये बड़ी खामियां, उलझन में पड़ गए लोग

locationरायपुरPublished: Sep 20, 2018 10:02:14 pm

PM मोदी की 5 लाख वाली इस योजना में सामने आई ये बड़ी खामियां, उलझन में पड़ गए लोग

PM Modi

PM मोदी की 5 लाख वाली इस योजना में सामने आई ये बड़ी खामियां, उलझन में पड़ गए लोग

रायपुर. आयुष्मान जन आरोग्य योजना के चक्कर में स्वास्थ्य बीमा योजना पूरी तरह से ठप हो गई है। निजी अस्पतालों में ना तो आयुष्मान योजना का मरीजों को लाभ मिल पा रहा है और ना ही पुरानी स्वास्थ्य बीमा का। ऐसे में स्मार्ट कार्ड से इलाज की आस में भर्ती हुए मरीज अस्पतालों में ही फंसे हुए हैं। कैश रकम चुकाने में सक्षम मरीज तो पैसे देकर चले जा रहे हैं, जबकि गरीब मरीज इलाज पूरा होने के बाद भी अस्पताल में चमत्कार के इंतजार में बैठे हुए हैं।
राजधानी के तात्यापारा स्थित एक निजी अस्पताल में लगभग 8-10 मरीजों को प्रबंधन की तरफ से स्मार्ट कार्ड से इलाज की बात कह कर भर्ती कराया गया, जबकि इलाज पूरा होने के बाद स्मार्ट कार्ड काम नहीं करने से प्रबंधन मरीजों से कैश रकम देकर जाने की बात कह रहे हैं।
इस मामले पर संचालक ने पत्रिका से चर्चा में बताया, कि पिछले कई दिनों से स्मार्ट कार्ड से पैसे लेने में दिक्कतें आ रही है, इस संदर्भ में कई बार प्रशासन से शिकायत की गई। इसके बावजूद अब तक कोई भी अधिकारी या सुपरवाइजर अस्पताल में झांकने तक नहीं पहुंचे हैं। ऐसी स्थिति में मरीजों से कैश लेकर डिस्चार्ज के अलावा कोई और विकल्प शेष नहीं रह गया है।

निजी अस्पताल में नहीं हो रहा इलाज
इस संदर्भ में जब आइएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) अध्यक्ष डॉ. महेश सिंहा से बात की गई, तो उन्होंने बताया, कि किसी भी निजी अस्पताल में स्मार्ट कार्ड के माध्यम से इलाज नहीं हो पा रहा है। आयुष्मान से लिंक करने के लिए प्रशासन की तरफ से निजी अस्पतालों को आवेदन करने कहा गया है। वहीं, पुराने अस्पतालों को इस योजना से बाहर कर दिया गया है। ऐसे में प्रदेश भर के 62 लाख स्मार्ट कार्ड हितग्राही स्मार्ट कार्ड का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।

नहीं बनाई व्यवस्थित कार्ययोजना

आयुष्मान भारत के तहत प्रदेश को पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुने जाने के साथ ही प्रशासन ने आनन-फानन में बिना किसी ट्रायल या विधिवत कार्य योजना के ही लांच कर दिया। वहीं, इसके तहत चिन्हित 40 लाख हितग्राहियों में से गिनती के मरीजों को ही लाभ मिल पा रहा है। फिर चाहे मरीज निजी में हो या फिर सरकारी में। आंबेडकर के ही आंकड़े बताते हैं कि अस्पताल में 60 में से सिर्फ 10 मरीजों को ही इलाज की अनुमति दी गई है।

फैक्ट फाइल
– प्रदेश में कुल स्मार्ट कार्ड- 62 लाख
– जिले स्मार्ट कार्ड की संख्या- 4.75 लाख

– आयुष्मान हितग्राहियों की संख्या- 40 लाख
– आयुष्मान के तहत पंजीकृत अस्पताल- 325 निजी, 608 शासकीय

– पूर्व में स्वास्थ्य बीमा में शामिल अस्पताल- 600 से अधिक

इलाज के लिए अस्पतालों की संख्या घटी
मिली जानकारी के अनुसार प्रदेशभर में आरएसबीवाय और एमएसबीवाय निजी अस्पतालों की संख्या 600 से अधिक थी, जो कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में महज 325 (डेंटल हॉस्पिटल को छोड़कर) रह गई है। वहीं, निजी संस्थानों के लिए कई तरह के कड़े मापदंड शासन की ओर से रखे गए हैं, जबकि शासकीय अस्पतालों को खुली छूट दी गई है, इस पर आइएमए के माध्यम से निजी अस्पताल आपत्ति जता रहे हैं।

कई बार की शिकायत
स्मार्ट कार्ड से इलाज करने में दिक्कतें आ रही हैं, जिसके लिए रोजाना प्रशासन से शिकायत की जा रही है। गुरुवार को हमारे एक कर्मी को भी भेजा गया था, जिसके बाद भी अब तक कोई भी मरीज नहीं आया है।

डॉ. सुरेंद्र शुक्ला, संचालक, निजी अस्पताल
कहीं भी नहीं हो रहा इलाज

आयुष्मान भारत के आने से तकनीकी दिक्कतों के कारण किसी भी अस्पताल में स्मार्ट कार्ड के माध्यम से इलाज नहीं हो पा रहा है। साथ ही प्रशासन की तरफ से पूर्व में शामिल अस्पतालों से फिर से आवेदन करने को कहा गया है। जिसके बाद संबद्ध अस्पतालों की संख्या आधी से भी कम रह गई है।
डॉ. महेश सिन्हा, अध्यक्ष, आइएमए रायपुर
आ रही हैं तकनीकी दिक्कतें
आयुष्मान लिंक में कुछ दिक्कतें आ रही हैं। जिसके लिए केंद्र से टीम आई है, जो कि निराकरण के लिए काम पड़ रही है। जल्द ही उचित व्यवस्था बना दी जाएगी। साथ ही मरीजों को कैश न चुकाना पड़े इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था बना दी जाएगी।
आर. प्रसन्ना, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, स्वास्थ्य बीमा योजना

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