सितार के सुर और कथक की झंकार
उदयपुरPublished: Jan 16, 2015 11:56:31 am
उदयपुर। सितार के तारों पर अंगुलियों की चपलता बढ़ी और सुर बहते रहे। श्रोता मंत्रमुग्ध हो...


उदयपुर। सितार के तारों पर अंगुलियों की चपलता बढ़ी और सुर बहते रहे। श्रोता मंत्रमुग्ध होकर सुनते रहे और संगीत अपनी लय में बहता रहा। महाराणा कुंभा संगीत परिषद की ओर से आयोजित तीन दिवसीय कुंभा समारोह के तीसरे और अंतिम दिन रविवार को उस्ताद निशात खां के सितार वादन का जादू सिर चढ़कर बोला। दूसरे चरण में पद्मश्री शोभना नारायण के कथक ने समारोह को चरम पर पहुंचाया और घुंघरूओं की झनकार में दर्शक डूब से गए। बिरजू महाराज की शिष्या शोभना नारायण के साथ आए दल की सामूहिक प्रस्तुति के साथ सालाना समारोह को विराम मिला।
आखिरी दिन की प्रस्तुति उस्ताद निशात खां ने सितार बजाने की शुरूआत राग मारवां से की और आलाप, तान, झाले के साथ बंदिशें भी सुनाई। अपनी पसंदीदा राग को बजाते हुए उन्होंने कहा कि मैं जब राग मारवा बजाता हूं तो मुझे पता ही नहीं चलता कि किस धुन में बजाता चला जाता हूं। रागालाप में मारवा की गंभीरता व उदासी के साथ ही सितार की झंकार एक अद्भुत संयोग रहा। उस्ताद साबिर खां की तबले पर संगत के साथ दी गई प्रस्तुति भी प्रभावी बन पड़ी। आखिर में द्रुत लय में भैरवी छेड़ते हुए उन्होंने रागमाला छेड़ दी। रागमाला को फूलों का गुलदस्ता बताते हुए उन्होंने मालकौस, चंद्रकौस, बिहाग आदि रागों का एक के बाद एक इस्तेमाल किया। दादा निहायत खां की बंदिश बजाते हुए खां ने प्रस्तुति को विराम दिया।
बुद्धम् शरणम् गच्छामि
शिवतांडव से शुरूआत करते हुए खयातनाम नृत्यांगना शोभना नारायण के दल ने भी खूबसूरत प्रस्तुतियां दीं। नारायण ने आमद, परन, तोड़े, टुकड़े पेश करते हुए कथक के स्वरूप को पेश किया। गौतम बुद्ध की पत्नी यशोधरा के विरह पीड़ा को बखूबी उभारा। तबले पर स्ताद शकील अहमद खां,पखावज पर महावीर गंगानी, गायन व म्यूजिक मधो प्रसाद, सितार पर पं. विजय शर्मा ने संगत दी। तकनीकी सहायक अतुल मिश्रा थे। प्रारम्भ में वेदान्ता ग्रुप के सीईओ अखिलेश जोशी थे, जबकि अध्यक्षता पश्चिम क्षेत्र संास्कृतिक केन्द्र के निदेशक शैलेन्द्र दशोरा ने की। विशिष्ठ अतिथि नगर निकाय विभाग के उपनिदेशक दिनेश कोठारी व सिक्योर मीटर के संयुक्त प्रबन्ध निदेशक भगवत बाबेल थे। इस अवसर पर महाराणा कुंभा संगीत परिषद के मानद सचिव डॉ. यशवन्तसिंह कोठारी ने अतिथियों का स्वागत किया।