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World Rabies Day: 97% रैबीज कुत्तों के काटने या खरोंच से फैलता है, 1 माह से 6 साल में दिख सकते लक्षण…

World Rabies Day: हल्की खरोंच भी खतरनाक हो सकती है। इसलिए न केवल आवारा, बल्कि पालतू कुत्तों से भी पर्याप्त सावधानी की जरूरत है।

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कसडोल में पागल कुत्ते ने 20 लोगों को काटा (photo-patrika)

कसडोल में पागल कुत्ते ने 20 लोगों को काटा (photo-patrika)

World Rabies Day: छत्तीसगढ़ के रायपुर में 90 फीसदी रैबीज की बीमारी कुत्तों के काटने से होती है। हल्की खरोंच भी खतरनाक हो सकती है। इसलिए न केवल आवारा, बल्कि पालतू कुत्तों से भी पर्याप्त सावधानी की जरूरत है। डॉक्टरों के अनुसार राजधानी में सबसे ज्यादा 50 डॉग बाइट के केस आते हैं। इनमें 20 से 25 नए केस होते हैं। इन्हें एंटी रैबीज वैक्सीन लगाने की जरूरत पड़ती है। सभी सरकारी अस्पतालों में यह मुफ्त में लगाई जाती है।

World Rabies Day: खरोंच भी हो सकती है जानलेवा

विश्व रैबीज दिवस 28 सितंबर को मनाया जाएगा। राजधानी समेत प्रदेश के विभिन्न जिलों में रोजाना 400 से ज्यादा डॉग बाइट के केस आते हैं। इसमें आवारा व पालतू पशुओं के खरोंच वाले केस भी शामिल हैं। विशेषज्ञों के अनुसार कुत्तों के बाद दूसरे नंबर बिल्ली का आता है। बिल्लियों से 2 फीसदी, नेवले, सियार व अन्य जानवरों से एक फीसदी रैबीज फैलता है।

डॉग बाइट के केस राष्ट्रव्यापी समस्या बन गई है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट तक को दखल देनी पड़ी। रायपुर में डॉग बाइट के वीभत्स केस आते रहें हैं। खासकर बच्चों को विशेष ऐहतियात बरतने की जरूरत है। सरकारी अस्पतालों में जहां एंटी रैबीज वैक्सीन फ्री लगती है, वहीं निजी में 400 से लेकर 500 रुपए प्रति डोज पड़ता है।

खून निकलना जरूरी नहीं, खरोंच आए या दांत गड़े तो भी जरूरी

डॉक्टरों के अनुसार केवल गंभीर चोट में ही नहीं, बल्कि नाखून गड़ने व खरोंच आने पर भी एंटी रैबीज वैक्सीन लगाने की जरूरत है। डॉग बाइट के 72 घंटे के भीतर ये वैक्सीन लगाना सुरक्षित माना जाता है। इसमें किसी को भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।

राजधानी के गली-मोहल्ले में आवारा कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है। नगर निगम का नसबंदी अभियान भी बंद है। इस कारण शहर में कुत्तों की संख्या घटने के बजाय बढ़ रही है। लोग न केवल रात में बल्कि दिन में भी कुत्तों से भयभीत देखे जा सकते हैं।

डॉग बाइट के बाद ये सावधानी बरतें

  • कटे हुए जगह को साबुन, डिटर्जेंट या एंटीसेप्टिक से धोएं व डॉक्टर को दिखाएं।
  • त्वचा में दांत या नाखून गड़ जाए तो एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाना जरूरी है।
  • चोट गहरी हो तो 24 घंटे के भीतर इम्यूनोग्लोबुलिन सीरम की जरूरत होती है।
  • पालतू कुत्तों व बिल्लियों को वैक्सीन नियमित रूप से लगाएं तो नुकसान कम।

एक माह से लेकर छह वर्ष में दिखते हैं लक्षण

पागल कुत्ते व दूसरे जानवर के काटने के 30 दिनों से लेकर 90 दिनों तक, यहां तक कई केस में 6 वर्ष के भीतर मरीज में रैबीज के लक्षण देखे गए हैं। पानी से डरना यानी हाइड्रोफोबिया, प्रकाश से डरना मतलब फोटोफोबिया व हवा से डर यानी एयरोफोबिया रैबीज के प्रमुख लक्षणों में है।

पीड़ित मरीज पानी को कुत्तों की तरह चाट-चाटकर पीता है। डॉक्टरों के अनुसार 14 इंजेक्शनों के बजाय अब मांसपेशियों में लगने वाला 5 वैक्सीन पर्याप्त है। इसे पहले दिन, तीसरे, सातवें, 14वें व 28वें दिन लगाया जाता है। ये पूर्णत: सुरक्षित व असरदार है। किसी को रैबीज हो जाए तो यह लाइलाज है।

कुत्तों के गहरे काटने से त्वचा, मांसपेशियां, नसें व हड्डियां भी क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। रैबीज का खतरा न केवल आवारा, बल्कि पालतू कुत्तों से भी है। काटने के बाद तत्काल एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाएं। घाव गंभीर हो तो इम्यूनोग्लोबुलिन सीरम लगवाएं। अपनी मर्जी से जड़ी-बूटी का उपयोग न करें। वैक्सीन फ्री में लगाई जा रही है।