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VIDEO कोई हनुमान चालिसा पढ़वा रहे तो कोई दे रहे समाज को ज्ञान

locationरतलामPublished: Apr 24, 2020 12:02:45 pm

Submitted by:

Ashish Pathak

कोरोना वायरस के चलते देशभर में लगे हुए लॉकडाउन ने जिंदगी की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिया है। शहर हो या गांव मानों सब कुछ ठहर सा गया है। इन सब के बीच गांव में जहां वृद्ध अपने परिवार के छोटे बच्चों को हनुमान चालिसा का पाठ करवा रहे है तो शहर में जैन संत सामाजिक संदेश दे रहे है।

VIDEO कोई हनुमान चालिसा पढ़वा रहे तो कोई दे रहे समाज को ज्ञान

VIDEO कोई हनुमान चालिसा पढ़वा रहे तो कोई दे रहे समाज को ज्ञान

रतलाम। कोरोना वायरस के चलते देशभर में लगे हुए लॉकडाउन ने जिंदगी की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिया है। शहर हो या गांव मानों सब कुछ ठहर सा गया है। इन सब के बीच गांव में जहां वृद्ध अपने परिवार के छोटे बच्चों को हनुमान चालिसा का पाठ करवा रहे है तो शहर में जैन संत सामाजिक संदेश दे रहे है।
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इन दिनों कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन है। ऐसे समय मे ग्रामीण क्षेत्रो में बुजुर्ग गांव के बच्चों को संस्कारों की पाठशाला लगा रहे है। इसमे कही हनुमान चालिसा तो कही पर संस्कारों की पाठशाला लगाकर नीति का ज्ञान दिया जा रहा है। बिलपांक में 92 वर्ष की गुलाब पाटीदार व 95 वर्ष के गिरधारी पाटीदार द्वारा पोते पोतियों सहित ग्रामीण बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करते हुए हनुमान चालीसा का पाठ करवाया जा रहा है।
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नीति का ज्ञान भी देते

95 वर्ष के गिरधारी व 92 वर्ष की गुलाब देवी के अनुसार कलयुग में जाग्रत देवताओं में हनुमान जी ही सभी बीमारी से रक्षा करेंगे। इतना ही नहीं दोनों गांव के बच्चों को इतिहास व अपने पूर्व के अनुभव साझा करके विभिन्न बीमारी के दौरान हाथ को साफ रखने के बारे में भी बता रहे है। बिलपांक, धराड़, नामली, सेमलिया सहित विभिन्न गांव सहित शहरों में वृद्ध इन दिनों अपने परिवार के बच्चों के साथ समय को गुजार रहे है। बाहर जाने की अनुमति या मंजूरी नहीं है तो बच्चे भी परिवार के वृद्ध के साथ कही कैरम तो कही शतरंग खेल रहे है। इसके अलावा विभिन्न ग्रामीण खेल के अलावा वृद्ध बच्चों को नीति का ज्ञान भी देते नजर आ रहे है।
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इधर संत दे रहे सामाजिक संदेश

इमानदारी, घर में शांति का केन्द्र, व्यवसाय में ख्याति का केन्द्र, देश में शक्ति का केन्द्र होती है। इसी से जनमानस में विश्वास स्थापित होता है। इमानदारी ना तो क्रय-विक्रय की वस्तु और ना ही इसका आयात-निर्यात हो सकता है। जो कहा, वो करो और जो करो, वह कहो, यही इमानदारी की पृष्ठभूमि है। कोरोना के इस भयप्रद वातावरण में अभय की चेतना इमानदारी से ही जगेगी।
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सत्य निष्ठा ही इमानदारी को जन्म देते

यह संदेश आचार्य विजयराजजी ने दिया। सिलावटो का वास स्थित नवकार भवन में विराजित आचार्य ने धर्मानुरागियों को बताया कि सत्य निष्ठा ही इमानदारी को जन्म देते है। सत्य, निष्ठा के बिना इमानदारी की कल्पना नहीं की जा सकती। सत्य में वो शक्ति है, जो मानव मन को अभय, निर्भय और निश्चित बनाती है। इमानदारी व्यक्तित्व का ऐसा महान गुण है, जो पारिवारिक एवं सामाजिक जीवन को विश्वसनीय बनाता हैं। इसके बिना सफल और सरस जीवन को कोई आधार नहीं मिलता। वर्तमान दौर में इमानदारी का जितना पतन हुआ है, उतना किसी का नहीं हुआ है। इमानदार और कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति जिस संगठन व समाज तथा देश में होंगे, उसका नैतिक धरातल कभी कमजोर नहीं हो सकता। वहां की आबोहवा सदैव सुखद और शांतिप्रद ही रहेगी।
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