ग्लोबल वार्मिंग से 2100तक भारत समेत इन देशों को होगा बड़ा खतरा : अध्ययन डीआरडीओं के अनुसार ‘ड्रोन की उड़ान के परीक्षण को कई रडार और इलेक्ट्रो ऑप्टिक सिस्टम की मदद से ट्रैक किया गया और इसने पूरी तरह से स्वायत्त रहकर प्वाइंट नेविगेशन मोड में अपने प्रदर्शन को साबित किया।’
अभ्यास की खासित
दरअसल, अभ्यास एक एेसा ड्रोन माना जा रहा है। -जिसको इस तरह से डिजाइन किया गया है जो खुद उड़ान भर सके। -इसको उड़ान भरने के लिए किसी बाहरी चीज के मदद की आवश्यकता नहीं होती है।
दरअसल, अभ्यास एक एेसा ड्रोन माना जा रहा है। -जिसको इस तरह से डिजाइन किया गया है जो खुद उड़ान भर सके। -इसको उड़ान भरने के लिए किसी बाहरी चीज के मदद की आवश्यकता नहीं होती है।
-डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) के मुताबिक ‘ABHYAS का कॉन्फ़िग्रेशन एक इन-लाइन छोटे गैस टरबाइन इंजन पर डिज़ाइन किया गया है – यह अपने नेविगेशन और रास्ता खोजने के लिए स्वदेशी रूप से विकसित MEMS आधारित नेविगेशन प्रणाली का उपयोग करता है।
-इस प्रणाली को सिमुलेशन के अनुसार प्रदर्शित किया गया है और लागत को ध्यान में रखते हुए मिशन की जरूरत को पूरा करने के लिए ABHYAS की क्षमता को दिखाया गया है।’ अध्ययन में दावा : मेडिटेशन करने वालों में होती हैं डर और विकृत भावनाएं
साल 2012 में पहला टेस्ट अभ्यास को साल 2012 में पहली बार लॉन्च किया गया था । इसको बनाने की सोच और परियोजना जनवरी 2013 में आरंभ की गई थी। अभ्यास की शुरुआती लागत 15 करोड़ रुपये थी। जिसको मंजूरी मिल गई थी। 225 एचएटी ड्रोन के लिए टेंडर निकाले जाने के बाद इस परियोजना को तेजी से आगे बढ़ाया गया। इस ड्रोन का डिजायनिंग इसके लक्ष्य पर आधारिकत था, लक्ष्य डीआरडीओ के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (एडीई) की ओर से विकसित की गई एक हाई स्पीड ड्रोन प्रणाली है।