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इस हास्पिटल में रात होते ही मरीजों के परिजनों की बढ़ जाती है धड़कनें, पढ़ें क्या है राज

locationसुकमाPublished: Dec 18, 2017 05:31:25 pm

Submitted by:

ajay shrivastav

जिला अस्पताल का हाल…डॉक्टर नदारद, दर्द से कराह रह हैं कई मरीज, ड्यूटी पर नर्स भी नहीं रहती हैं तैनात। समय पर नहीं मिलता इलाज। कौन जिम्मेदार ?

इस हास्पिटल में रात होते ही मरीजों के परिजनों की बढ़ जाती है धड़कनें

इस हास्पिटल में रात होते ही मरीजों के परिजनों की बढ़ जाती है धड़कनें

सुकमा . जिला मुख्यालय में 24 घंटे बेहतर इलाज की सुविधा का प्रशासन का दावा बोगस साबित होता दिखाई दे रहा है। करोड़ों की लागत से बने जिला अस्पताल में आने वाले मरीजों को स्वास्थ्य सुविधाऐं नहीं मिल पा रही है। रात के समय अधिकतर वक्त डॉक्टर ड्यूटी से घंटो नदारद रहते हैं। इस दौरान इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीज इधर-उधर भटकते रहते हैं। कई बार डॉक्टर के नहीं आने से बगैर इलाज के ही अस्पताल से वापस लौटना पड़ता है।
बुधवार की रात जिला अस्पताल में डॉक्टर ड्यूटी पर नहीं थे। इलाज के लिए पहुंचे मरीज दो घंटे से अधिक समय तक डॉक्टर के आने के इंतजार करते रहे। इस दौरान कई मरीज डॉक्टर के नहीं रहने से वापस चले गये। इसकी जानकारी एसडीएम व सिविल सर्जन को मोबाइल पर बताये जाने के बाद आनन-फानन में तत्काल अस्पताल में डॉक्टर की व्यवस्था की गई।
इलाज के बगैर अस्पताल से वापस
इलाज के लिए पहुंची एक बच्ची व एक महिला मरीज रात में लगभग साढ़े आठ बजे जिला अस्पताल पहुंचे थे। आपातकालीन कक्ष में 13 दिसंबर की रात 8 से 10 बजे तक डॉक्टर नहीं होने से कई मरीज परेशान होते रहे। अंत में मजबूरन इलाज के बगैर अस्पताल से वापस जाना पड़ा। नाइट शिफ्ट के दौरान केजुअल्टी वार्ड में स्टॉफ नर्स भी नहीं रही। अपने बच्चे का इलाज करा रही महिला ने बताया कि रात में दो तीन घंटे में एक बार आकर नर्स देखकर चले जाती है। इस मामले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ अधिकारी 9424281947 के मोबाइल नम्बर पर उनका पक्ष लेने लिए कॉल किया गया पर सम्पर्क नहीं हो सका।
जनप्रतिनिधि व मरीजों ने जताई नाराजगी
एआईएसएफ छात्र संघ नेता राजेश नाग ने बताया कि सरकार 14 साल जश्न में डूबी हुई है। दूसरी और सुकमा जिला अस्पताल की अव्यवस्था का खामियाजा मरीजों को उठाना पड़ रहा है। बुधवार की रात जिला अस्पताल के आपातकालीन कक्ष में डॉक्टर नहीं होने से इलाज के लिए पहुंचे मरीज परेशान थे। इसकी जानकारी मिलने पर तत्काल एसडीएम सुकमा व सिविल सर्जन को मोबाइल पर डॉक्टर नहीं होने जानकारी दी। उसके बाद डॉक्टर अस्पताल पहुंचकर इलाज शुरू किया गया।
मलेरिया पीडि़त अशोक कश्यप बताया कि शाम को अचानक और अधिक तबियत बिगडऩे के कारण शाम साढ़े सात बजे अस्पताल पहुंचे। डॉक्टर नहीं रहने के कारण इलाज शुरू नहीं हुआ। रात 10 बजे डॉक्टर पहुंचकर के बाद इलाज किया गया। सुनील कश्यप ने बताया कि शाम को डॉक्टर नहीं होने से बहुत अधिक दिक्कत हुई। जिला अस्पताल में डॉक्टर नही होना व समय पर इलाज नहीं मिलना बडी दुर्भाग्य की बात हैं। इस दौरान और भी मरीज इलाज के लिए पहुचे थे लेकिन डॉक्टर नहीं होने के कारण बैगर ईलाज के वापस चलेगे।
संवेदनशील है क्षेत्र
संवेदनशील क्षेत्र होने के कारण कभी भी कोई बड़ी अनहोनी होने की संभावना बनी रही है। इसके बाद भी जिला अस्पताल में डॉक्टरों की गैर मौजूदगी व लचर व्यवस्था बनी हुई है। जिला अस्पताल में डॉक्टर सहित सभी जरूरी सुविधाएं 24 घंटे मरीजों के लिए उपलब्ध होनी चाहिए लेकिन यहां ऐसा होता नहीं दिखता। किसी भी परिस्थिति में पहुंचे मरीजों को बेहतर इलाज की सुविधा नहीं मिल रही है।
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