इलाज के लिए पहुंची एक बच्ची व एक महिला मरीज रात में लगभग साढ़े आठ बजे जिला अस्पताल पहुंचे थे। आपातकालीन कक्ष में 13 दिसंबर की रात 8 से 10 बजे तक डॉक्टर नहीं होने से कई मरीज परेशान होते रहे। अंत में मजबूरन इलाज के बगैर अस्पताल से वापस जाना पड़ा। नाइट शिफ्ट के दौरान केजुअल्टी वार्ड में स्टॉफ नर्स भी नहीं रही। अपने बच्चे का इलाज करा रही महिला ने बताया कि रात में दो तीन घंटे में एक बार आकर नर्स देखकर चले जाती है। इस मामले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ अधिकारी 9424281947 के मोबाइल नम्बर पर उनका पक्ष लेने लिए कॉल किया गया पर सम्पर्क नहीं हो सका।
एआईएसएफ छात्र संघ नेता राजेश नाग ने बताया कि सरकार 14 साल जश्न में डूबी हुई है। दूसरी और सुकमा जिला अस्पताल की अव्यवस्था का खामियाजा मरीजों को उठाना पड़ रहा है। बुधवार की रात जिला अस्पताल के आपातकालीन कक्ष में डॉक्टर नहीं होने से इलाज के लिए पहुंचे मरीज परेशान थे। इसकी जानकारी मिलने पर तत्काल एसडीएम सुकमा व सिविल सर्जन को मोबाइल पर डॉक्टर नहीं होने जानकारी दी। उसके बाद डॉक्टर अस्पताल पहुंचकर इलाज शुरू किया गया।
संवेदनशील क्षेत्र होने के कारण कभी भी कोई बड़ी अनहोनी होने की संभावना बनी रही है। इसके बाद भी जिला अस्पताल में डॉक्टरों की गैर मौजूदगी व लचर व्यवस्था बनी हुई है। जिला अस्पताल में डॉक्टर सहित सभी जरूरी सुविधाएं 24 घंटे मरीजों के लिए उपलब्ध होनी चाहिए लेकिन यहां ऐसा होता नहीं दिखता। किसी भी परिस्थिति में पहुंचे मरीजों को बेहतर इलाज की सुविधा नहीं मिल रही है।